शनिवार, 9 मई 2020

भाजपा नेता को अपने ही सरकार पर उठ गया भरोसा ....

भाजपा नेता को अपने ही सरकार पर उठ गया भरोसा .... 

निकाला ब्रह्मास्त्र...
शायद बन जाए बात....
मामला नगरपंचायत उपाध्यक्ष जैसीनगर का

जिस प्रकार से मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा 
मंत्रालय को अपने कार्यों में सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एक प्राणी शास्त्र के शिक्षक को पुनः कुलसचिव पद पर पदस्थ करने के लिए कोरोना को बेहोश हो जाने का इंतजार बाद अपने कार्य को शायद पहला आदेश करके शहडोल विश्वविद्यालय में कुल सचिव  को पदस्थ किया। शायद इसी प्रकार की कर्तव्यनिष्ठा का दबाव रहा होगा नगर पंचायत जैसीनगर में उपाध्यक्ष के ऊपर, उन्होंने कसम खा ली कि अब वह कोविड-19 कोरोना वायरस को धता बताते हुए अपनी निजी समस्या के चलते नगर पंचायत अधिकारी जैसीनगर के विरुद्ध आमरण अनशन की चेतावनी कलेक्टर शहडोल को दे डाली।
 उनकी शिकायत है कि सीएमओ ने गाली गलौज आदि की है... चुकी बात आमरण अनशन की थी इसलिए अन्य समकक्ष पार्षदों से भी जानकारी ली गई कि मुद्दा क्या इतना गरम बन गया था....? प्रथम दृष्टया बताने वालों ने बताया कि वास्तव में उपाध्यक्ष जी चाहते थे किं उन्हें सरकारी भूमि में वह सभी छूट दी जाए जो अक्सर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को आरक्षित होती है। ताकि वे अपने अवैध कार्यों पर पर्दा डाल सकें और भूमि पर कब्जा कर सकें। जानकार पार्षद तो यह भी बताते हैं कि दरअसल परिषद सदस्यों में आंतरिक कार्यपालिक कार्यों में अपना सिक्का जमा ए रखने का अंतर-संघर्ष जो चल रहा है उसी के परिणाम स्वरूप भाजपा नेता  नप उपाध्यक्ष संजय गुप्ता ने अपने नेताओं के इशारे पर कोरना से भी बड़ा कोरोना बनकर सामने आए। शायद आमरण अनशन का ब्रह्मास्त्र ही उनकी निजी समस्याओं से उन्हें मुक्ति दिला सकता है।
 शहडोल जिले में तमाम परिषद में अलग-अलग पार्षद हैं किंतु यह पहले पार्षद और उपाध्यक्ष हैं जिन्होंने अपने कार्यों की प्राथमिकता के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। देखना होगा प्रशासन इनके सर्वांगीण विकास को प्रशासक की नजर से किस प्रकार से ठीक करता है, अथवा संघम शरणम गच्छामि के तहत बुद्ध मंत्र का अभय दान देता है।
संजय उवाच
बावजूद इसके स्थानीय स्तर का आंतरिक संघर्ष है भाजपा नेता संजय गुप्ता का कहना है "बात स्वाभिमान की है जनप्रतिनिधि के सम्मान की अभद्रता किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाती फिर ऊपर से कोरोना के कार्यकाल में निर्माण कार्यों में मनमानी परंपरागत भ्रष्टाचार का हिस्सा बनता जा रहा था क्या उसे रुका भी नहीं जाना चाहिए"

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