बांधवगढ़ । उमरिया
रीवा रियासत का वो हिस्सा जो अब शासन का है ,लेकिन आज भी यहां पर राम जानकी के मंदिर में रीवा केे महाराज जन्माष्टमी के दिन पूजा करने आते हैं ।
यहां पर शेष शयन मुद्रा में भगवान विष्णु विराजमान हैं ।
ये है शिवपुराण का रहस्यमयी पहाड़ ..
सिर्फ किला ही नही ये पूरा का पूरा पहाड़ ही रहस्यमय और अद्भुत है।
आज हम आपको इसी किले, पहाड़ के बारे में बता रहे हैं।
अब तक आपने भगवान विष्णु की अनेक प्रतिमाएं देखी होंगी। क्षीर सागर में विश्राम मुद्रा में उनका स्वरूप कम ही देखने मिलता है।
आज हम आपको ऐसे ही स्थान पर ले जा रहे हैं। जो है तो एक किले में लेकिन राष्ट्रीय उद्यान के लिए पहचाना जाता हैै। भगवान विष्णु की विशालकाय प्रतिमा अति आकर्षक एवं रहस्यात्मक है ,मध्यप्रदेश उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ में। जिसे आमतौर पर लोग बांधवगढ़ नेशनल पार्क के लिए जानते हैं ।
बांधवगढ़ का नाम यहां मौजूद एक पहाड़ के नाम पर ही रखा गया है और इस पहाड़ पर ही स्थित है ये रहस्यमयी किला ।जिसका निर्माण करीब 2 हजार साल पहले कराया गया था। सिर्फ किला ही नही ये पूरा का पूरा पहाड़ ही रहस्यमय और अद्भुत है। आज हम आपको बांधवगढ़ के इसी किले, पहाड़ के बारे में बता रहे हैं।
राजा व्याघ्रदेव रीवा रियासत के महाराज द्वारा इसके निर्माण की जानकारी सामने आती है। इसका उल्लेख नारद-पंच और शिव पुराण में भी मिलता है। इस किले के अंदर जाने के लिए एक ही मार्ग है, जो घने जंगलों से होकर जाता है। इसके अंदर एक सुरंग बनी हुई थी जो सीधे रीवा निकलती थी।(ऐसा दावा है)
बघेल राजवंश द्वारा इस किले का इस्तेमाल खूफिया किले के रूप में करते थे। यहां कई गुप्त रणनीतियां बनायीं जाती थीं। किले की सीमा में ही भगवान विष्णु के 12 अवतारों की प्रतिमाएं पत्थरों को तराशकर बनाई गई हैं। इनमें कच्छप स्वरूप और शेष शैया पर आराम की मुद्रा में भी भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं।
कहते हैं कि भगवान राम ने लंका से लौटकर लक्ष्मण के लिए यहां एक किला बनवाया था। इसमें कितना सत्य और कितना मिथक है ये नही कहा जा सकता। अब किले के आस-पास जंगलों में टाइगर और दूसरे खतरनाक जानवर घूमते हैं। बताते हैं कि बांधवगढ़ में माघ, मौर्य, वाकाटक, सेंगर, कलचुरी और बघेलों ने राज किया।
इस किले का इतिहास टीपू सुल्तान से जुड़ा होना भी बताया जाता है। कहते हैं कि 6 माह के लगातार प्रयास के बाद भी वह इस पर विजय प्राप्त नहीं कर सका था। यही नही यहां अंदर सात ऐसे तालाब हैं जो अब तक कभी भी सूखे नही हैं। किसी भी मौसम में इनमें पानी लबालब भरा रहता है। अब यहां की देखरेख शासन द्वारा की जाती है। घने जंगल और सघन मार्ग होने की वजह से अब किले के अंदर जाने पर रोक लगा दी गई है।
इशांत सिंह के सौजन्य से यह रिपोर्ट
रीवा रियासत का वो हिस्सा जो अब शासन का है ,लेकिन आज भी यहां पर राम जानकी के मंदिर में रीवा केे महाराज जन्माष्टमी के दिन पूजा करने आते हैं ।
यहां पर शेष शयन मुद्रा में भगवान विष्णु विराजमान हैं ।
ये है शिवपुराण का रहस्यमयी पहाड़ ..
सिर्फ किला ही नही ये पूरा का पूरा पहाड़ ही रहस्यमय और अद्भुत है।
आज हम आपको इसी किले, पहाड़ के बारे में बता रहे हैं।
अब तक आपने भगवान विष्णु की अनेक प्रतिमाएं देखी होंगी। क्षीर सागर में विश्राम मुद्रा में उनका स्वरूप कम ही देखने मिलता है।
वर्तमान रीवा राजघराना |
बांधवगढ़ का नाम यहां मौजूद एक पहाड़ के नाम पर ही रखा गया है और इस पहाड़ पर ही स्थित है ये रहस्यमयी किला ।जिसका निर्माण करीब 2 हजार साल पहले कराया गया था। सिर्फ किला ही नही ये पूरा का पूरा पहाड़ ही रहस्यमय और अद्भुत है। आज हम आपको बांधवगढ़ के इसी किले, पहाड़ के बारे में बता रहे हैं।
किला द्वार |
कहते हैं कि भगवान राम ने लंका से लौटकर लक्ष्मण के लिए यहां एक किला बनवाया था। इसमें कितना सत्य और कितना मिथक है ये नही कहा जा सकता। अब किले के आस-पास जंगलों में टाइगर और दूसरे खतरनाक जानवर घूमते हैं। बताते हैं कि बांधवगढ़ में माघ, मौर्य, वाकाटक, सेंगर, कलचुरी और बघेलों ने राज किया।
इस किले का इतिहास टीपू सुल्तान से जुड़ा होना भी बताया जाता है। कहते हैं कि 6 माह के लगातार प्रयास के बाद भी वह इस पर विजय प्राप्त नहीं कर सका था। यही नही यहां अंदर सात ऐसे तालाब हैं जो अब तक कभी भी सूखे नही हैं। किसी भी मौसम में इनमें पानी लबालब भरा रहता है। अब यहां की देखरेख शासन द्वारा की जाती है। घने जंगल और सघन मार्ग होने की वजह से अब किले के अंदर जाने पर रोक लगा दी गई है।
इशांत सिंह के सौजन्य से यह रिपोर्ट
Very nice
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