रविवार, 1 मार्च 2020

गाड़ी की जनरल बोगी ... व्यंग (उत्कर्ष नाथ गर्ग)

गाड़ी की जनरल बोगी ...(उत्कर्ष नाथ गर्ग)

गाड़ी की जनरल बोगी आज़ाद भारत का वह पावन स्थान है , जिसकी कल्पना शायद सभी बड़े क्रान्तिकारियो ने की होगी ।
यहाँ आपको सम्पूर्ण भारत के दर्शन विभिन्न आधारों पे होजाएंगे ।
`एक मे चार बैठते हैं ', कौनो रिजर्वेशन है का जो सो रहे हो ? कहता हूआ एक व्यक्ति सबके सामाजिक अधिकार के लिए लड़ता हुआ दिखेगा , जो यह प्रतीत करता है की बिना किसी को जाने लोगो की मदद की जा सकती है एवं दुसरो के अधिकारों के लिए लड़ा जा सकता है ।
आपको यहां कोई अति पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति अपनी सफलता (जल्दी आने की, और कभी कभी रुमाल धरवाने की) के कारण सीट में ससम्मान बैठा हुआ दिखेगा तो कही कोई धन्ना सेठ , विद्वान अपनी अति विद्वता(TT से बात कर लेंगे, काम होजाएगा) के असफल होने के बाद यहाँ ज़मीन पे दूरसंचार यंत्र( तथा कथित मोबाइल) के साथ क्रीड़ा अवस्था मे दिखेगा । इस दृश्य का आनंद लीजिये और बिना रिजर्वेशन(ट्रैन वाला नही दूसरा वाला) के भी कैसे आत्मविश्वास जागृत किया जा सकता है उसका उदाहरण देखिए । भैया थोड़ा खिसको न बच्ची को बैठाना है*
 का सहज भाव बिना जात पूछे  ,बिना धर्म पूछे और बिना कौन से पार्टी के हो पूछे भारत की एकरूपता , सरलता एवं सहजता के उदाहरण देती है जिसकी कल्पना हमारे नेताओं ने की थी ।
ज़मीन में पड़ा हुआ एक मुमफली का छिलका भी अति धन्नासेठो, और अति विद्वानों के बराबर ही सम्मान प्राप्त करता हुआ दिखेगा क्योंकि दोनों को समय समय पे चलते फिरते लतिया दिया जाता है या कचर के आगे बढ़ जाते है , इस कारण अति वाले लोग कभी कभी क्रोधित भी होते है फिर कुछ देर चें चें के बाद शुतुरमुर्ग की तरह मुंडी को चद्दर के अंदर डाल के यह मानते है कि तूफान आया ही नही । चायना के फोनो की उच्च स्वरों बजते हुए विभिन्न धर्मों के भजन, हनी सिंह और अनूप जलोटा का साथ बजना भी आपको इसी महान स्थल पे मिलेगा । जैव विविधता को एक रूप में समेटे हुए शौचालय से आरही नेचुरल ओडोनिल की खुशबू भी यहाँ के खुशनुमा चेहरे में तनाव नही लापाएँगी , मुमफली उतने ही मज़े से खाई और खिलाई जाएगी जितना एक पार्क में पिकनिक मनाने पे ।जो यह प्रतीत करता है कि मुश्किल जितनी भी हो मुस्कुराना हमारे मानसिक स्थिति पे निर्भर करता है न कि बाहरी परिवेश में ।
इस पावन धरा में बोरिया को सीट का , एवं कई दिनों पुराने अखबार को किसी मैट्रेस का दर्जा मिल जाता है जो स्लीपवैल से भी बढ़िया प्रतीत होती है । विभिन्न स्वरों में समान बेच रहा बिना MBA का न. 1 बिज़नेस मैन लोकज्ञान का परिचय देगा । जिस जगह में क़ुरमुरे , और बिलसेरी को कुरकुरे और बिसलेरी जैसा सम्मान मिल जाए तो शायद ऐसा ही रहा होगा क्रान्तिकारियो के सपनो का भारत ?
तो आइए गा कभी  इस पावन धाम में , भारत के विभिन्नता में एकता के सिद्धांत को देखने समझने के लिए । जो समाजिक एक रूपता का दर्शन यहां है वह अब न मंदिर में है,न मस्जिद में ।

17 टिप्‍पणियां:

  1. Shandar....you have deebly observed all the things and then it came to an irony very few people in india can do this you are on of them i am proud of you my brother.

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