भाजपा का "गरीबी में हुआ आटा गीला"....
मगर पांचवी अनुसूची के मद्देनजर
राजनीति अच्छी है....
व्योहारी विधायक शरद कोल ने आदिवासी समुदाय की उपेक्षा का लगाया आरोप
डॉ राम मनोहर लोहिया ने कहा था " जिंदा को में 5 साल इंतजार नहीं करती...." इस तर्ज पर "एक्सीडेंटल-एमएलए" शरद कोल अपनी अहमियत का और हैसियत का शानदार राजनीतिक उपयोग कर रहे हैं और सिद्ध भी कर रहे हैं कि जिंदा को में 5 साल इंतजार नहीं करती.... इसमें कोई शक नहीं कि आरक्षण होने के बावजूद संविधान की पांचवी अनुसूची मैं शामिल विधानसभा क्षेत्र भी होने के बावजूद अनुसूचित जनजाति का कोल समाज प्रखर रूप से राजनीति में आज भी उतना ही पिछड़ा है जितना कि 70 साल पहले, जितना की मध्य प्रदेश की बैगा जनजाति ।
इसलिए यह एक अवसर भी है की जब अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों यह संभाग क्षेत्र शहडोल में खनिज माफिया, ब्यूरोक्रेट्स से तालमेल करो खनिज संसाधन की खुली डकैती डाल रहा हो शहडोल का अनुसूचित जनजाति समाज से आए आदिवासी वर्ग के नेता अपनी-अपनी पार्टी के गुलामी की चादर ओढ़ कर कर्तव्यनिष्ठा दिखाते हुए शहडोल संभाग को लुटाने में भागीदार प्रतीत होते हैं। तब शरद कोल का लोहियावादी अंदाज तारीफे काबिल है ।यह एक अलग बात है कि वह लोहिया वादी सोच कितनी देर तक नशा बनकर शरत कोल के मनोमस्तिष्क को नियंत्रित करेगा और तारीफे काबिल बात है की कोल समाज का कोई व्यक्ति इतना मुखर और प्रखर वक्ता के रूप में अपने आप को अभिव्यक्त कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं है कि शहडोल क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में आरक्षित वर्ग अनुसूचित जनजाति व जाति वर्ग का फर्जी प्रमाण पत्र लेकर सैकड़ों लोग पांचवी अनुसूची क्षेत्र में खुली दलाली कर रहे हैं इसमें से कई लोग ईसाई समुदाय को धर्म परिवर्तित भी कर चुके हैं फिर भी सरकारें ना तो इन पर कोई समय सीमा पर नियंत्रण करती देख पा रही हैं बल्कि उन्हें ही अपने ब्यूरोक्रेट्स का महत्वपूर्ण काम सौंप कर पांचवी अनुसूची क्षेत्र को खुली लूट का मैदान बना दिया है।
हाल में ही शबरी माता महोत्सव के नाम पर आदिवासी विभाग में बैठा कोई एक माफिया नुमा अवैध पदधारी मुस्लिम समाज का कर्मचारी पूरी व्यवस्था को भ्रष्टाचार का साधन बना दिया।
शबरी माता महोत्सव के नाम पर जमकर एक ही वर्ग बजट का खुला नंगा खेल किया। यह तो नमूना है, लालपुर का बैगा सम्मेलन के करोड़ों का लूट में कुछ अधिकारी सस्पेंड हो गए हैं लेकिन यह व्यवस्था बन गई है कि जो बच जाता है वही सफल होता है। वही व्यक्ति सबरीमाला में भ्रष्टाचार का कारण बना हुआ है। इसी प्रकार की व्यवस्था अन्य क्षेत्र में भी सफलता के साथ आदिवासी समाज के लोगों के लिए अभिशाप बन गई है। इस दृष्टिकोण से कोई कोल समाज का व्यक्ति यदि अपने ही नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगा रहा है तो वह बगावत नहीं बल्कि चेतावनी है.... कि राजनीतिक पार्टियां आदिवासियों के नाम पर गुलाम पालने की आदी हो चुकी हैं और उनके क्षेत्र में खुले डकैतों को संरक्षण देकर चाहे वे ब्यूरोक्रेट्स में हो राजनीति क्षेत्र में हूं या अन्य क्षेत्र में पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों पर जिन्हें कि संविधान ने सुरक्षा का अभिवचन दिया है, खुली माफिया गिरी करवा रहे हैं। शरद कोल का बगावत शायद कोई नई संचेतना का कारण हो ।यह कल की ही बात है जब नारा मुखर हो रहा था "जो जमीन सरकारी है, वह जमीन हमारी है ।,सच में उन्हीं की है किंतु नजरिया स्पष्ट हो कि वह किसी नेता की तरह "चौकीदारी" न करें।
बहरहाल मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में एक एक सीट पर हार-जीत के लिए कांग्रेस-भाजपा में संघर्ष चल रहा है वही भाजपा नेतृत्व को उसके ही विधायक शरद कौल ने निशाने पर ले लिया है। गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन पर विधानसभा में कांग्रेस का साथ देने वाले कौल ने इस बार पार्टी को अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग को उचित स्थान पर नेतृत्व नहीं सौंपे जाने के आरोप लगाए हैं। वे यहीं नहीं रके, बल्कि उन्होंने बिजली बिल कम करने पर कमलनाथ सरकार की जमकर प्रशंसा भी की है।
भाजपा विधायक शरद कोल के बागी तेवर
भाजपा विधायक कौल के एक बार फिर बागी तेवर सामने आए हैं। कौल का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के नेतृत्व पर आरोप लगाते सुनाई दे रहे हैं। जब उनसे इस वीडियो की पुष्टि को लेकर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वे उपलब्ध नहीं हो सके। वायरल वीडियो में वे भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगा रहे हैं कि अब तक भाजपा के राष्ट्रीय या प्रदेश के अध्यक्ष, संभागीय संगठन मंत्री सहित नेता प्रतिपक्ष, सचेतक या आरएसएस के प्रमुख पदों पर अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता की नियुक्ति नहीं हुई है।
एससी-एसटी व ओबीसी के बिना भाजपा के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं
कौल ने कहा कि एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग की भाजपा व आरएसएस उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि इन वर्गो के बिना कोई चुनाव जीतना तो दूर जमानत भी नहीं बचा सकता। इन वर्गो की उपेक्षा को जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। कौल ने कहा कि भाजपा में नीचे से ऊपर तक एक वर्ग विशेष के नेताओं को महत्व दिया जा रहा है, जबकि आंबेडकर ने कहा था कि सर्वहारा वर्ग को समानता का अधिकार मिलना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें