मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

"लगे रहो मुन्ना भाई..... " साबरमती का गांधी... (त्रिलोकीनाथ)


लगे रहो मुन्ना भाई..... 
साबरमती का गांधी दर्शन


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पांचवी अनुसूची क्षेत्र शहडोल आदिवासी विशेष क्षेत्र में भ्रष्टाचार में गांधीवाद के एक नए संज्ञा का जन्म हुआ है ।
देखिए काम कराना है तो "गांधी-दर्शन" कराना होगा बिना "गांधी-दर्शन" के यह समाज नहीं चलता है। पूरा प्रशासन "गांधी-दर्शन" से चल रहा है ....आदि-आदि।
 और तब नरेंद्र मोदी के 500 के नोट में कई गांधी उतर आते हैं..  कुछ गड्डीओं में, लिफाफा में भरकर..... मुंह दिखाई ,"गांधी-दर्शन" के साथ होता है ।
कुछ इसी अंदाज में  बहुचर्चित फिल्म "लगे रहो मुन्ना भाई" के  मुन्ना भाई व सर्किट का संवाद अमेरिका में कुछ इस प्रकार होता है।
 "सर्किट, यह गांधी कौन है ?
सर्किट- "सुना है भाई गुजरात में साबरमती आश्रम में रहता है, देखोगे क्या...?"
" हां सर्किट देखेंगे..."
 मुन्ना अहमदाबाद आता है एक स्टेडियम में शो करता है फिर बताता है यह दुनिया का सबसे बड़ा शो है। इसके पहले सर्किट, मुन्ना को साबरमती ले जाता है ।
मुन्ना- "सर्किट,ये तीन बंदर कौन है ?"
"मुन्ना यह अपने गांधी के बंदर है भाई।
 "यह यहां क्या कर रहे हैं", सर्किट?
 "भाई... यह कहते हैं,
 अच्छा मत देखो.,
 अच्छा मत सुनो..,
 अच्छा मत करो...।"
 "वाह, शानदार ..और यह गांधी कौन है..? सर्किट
 सर्किट -
"भाई... गांधी अपन का "एंटीक-आइटम" है, लोग कहते हैं इसी ने आजादी दिलाई...।
 मुन्ना- "अच्छा, यह आजादी क्या है"                       सर्किट?
"अरे वही जिसके कारण "गांधी-दर्शन" निकला। आज अख्खा देश "गांधी-दर्शन" से चल रहा है। बिना "गांधी-दर्शन" के विकास नहीं होता भाई।
 मुन्ना- वाह, गांधी कहां मिलेंगे भाई, सर्किट?
 वह तो गुलाबी नोट में मिलेंगे। वह नोट कहां है भाई पता नहीं, कहां गए। लेकिन हरे हरे नोटों में तो दिख ही रहे।
 अच्छा भाई साबरमती आने के बाद, इन बंदरों की चौकीदारी में कुछ लिखना होता है...
 "अरे वाह अपन भी लिखे क्या...?
 " हां हां मुन्ना भाई लिखो...."
 और मुन्ना लिखने बैठ जाते हैं। सर्किट भी खड़ा होकर देखता है मुन्ना एक गवाह के साथ कुछ लिखता है। सर्किट खुश हो जाता है......

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