जल संरक्षण योजना मैं प्रशासन को
डब्ल्यू आर डी ने नहीं दिया तवज्जो..!
( त्रिलोकीनाथ )
ऐसा नहीं है की शहडोल प्रशासन ने शहडोल नगर में जल संरक्षण के लिए जल संसाधन विभाग से बेसिक इन्फ्राट्रक्चर बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए पत्र नहीं भेजा, पत्र भी भेजा और एप्रोच किया ।तब जल संसाधन विभाग में अधिकारी थे कार्यपालन यंत्री इंजीनियर ऑक्रे। उन्होंने पत्र को उतना महत्व नहीं दिया जितनी गंभीरता से पत्र लिखा गया। नतीजतन शहडोल नगर में तालाबों को इंटरलिंक करने और उसके जरिए नदी और नालों में जल संरक्षण के लिए एहतियातन बुनियादी जरूरतों की तैयारी करने के लिए कोई प्रगति नहीं हो पाई...।
यह भी दुर्भाग्य जनक रहा कलेक्टर ललित दायमा की तबीयत खराब हो गई और उन्हें अपेक्षित तैयारी का अवसर नहीं मिल पाया । सुहागपुर एसडीएम सुरेश अग्रवाल जी ने जरूर पत्र लिखकर कार्यपालन यंत्री को शहडोल के सभी जल स्रोतों और नदी नालों के लिए आवश्यक टोपोशीट तैयार करने का पत्र जरूर लिखा गया किंतु जल संसाधन का विशेषज्ञ अमला उस पत्र को शायद नजरअंदाज कर दिया.., जिस कारण से आवश्यक बुनियादी पत्राचार भी नहीं हो पाया कि किस प्रकार से शहडोल के तालाबों का और उससे लगे हुए नदी और नालों का जल संरक्षण के लिए कार्य किया जा सके।
सच बात तो यह है कि जब तक जिम्मेदार विशेषज्ञ विभाग अपने कर्तव्यों का निर्वहन शासकीय नीतियों के अनुरूप गंभीरता से नहीं करेगा तब तक मुख्यमंत्री जी की सभी बातें असफल होने के कगार में खड़ी हो जाती हैं। जल संरक्षण के लिए जल संसाधन विभाग का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से दिशा निर्देशक का होना चाहिए, प्रत्येक शासकीय विभाग में इस विशेषक विभाग को निर्देशक के रूप में जल संरक्षण का हर कार्य का दायित्व होना चाहिए । किंतु जल संसाधन विभाग का जो वर्तमान स्वरूप है वह सिर्फ ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के शेर खड़े करने और उस में संभावित भ्रष्टाचार के लिए समर्पित होता दिखता है .....बजाय इसके कि वह सभी प्राथमिक बुनियादी जल संसाधन की टोपोशीट तैयार करें और संबंधित विभाग को निर्देश प्रदान करें कि किसी भी प्रकार से होने वाले किसी भी निर्माण कार्य के लिए इसमें जल संरक्षण को प्राथमिक रूप से संज्ञान में रखा जाए ।
किंतु दुर्भाग्य है की जल संरक्षण के लिए जिम्मेदार तब का इससे हाथ झाड़ता नजर आता है और उसकी लापरवाही के कारण प्रशासन को नीचा देखना पड़ता है, बेहतर होता की विशेषज्ञ विभाग जल संसाधन सभी विभागों के समन्वय से शहडोल नगर की धरती को जल भंडारण के लिए नक्शा तैयार करके दे और इसी रोड मैप पर नगर पालिका व अन्य विभाग अपने विकास कार्यों को अंजाम दें। यदि ऐसा नहीं होगा तो भविष्य में शहडोल जल संकट के लिए त्राहि-त्राहि कर जाएगा ।
उम्मीद तो यह भी की जानी चाहिए जल संसाधन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के समन्वय से भूजल के लिए भी रोड मैप तैयार करें ताकि विनाश होने से जो कुछ बचा रह गया है उस उस पर कुछ काम हो सके जो होना था जो विनाश होना था भ्रष्टाचार के चलते वह हो चुका है अब उसको रोकने की योग्यता अगर इंजीनियर से में है या फिर भी पढ़े लिखे होने का दावा करते हैं तो लोकतंत्र के लिए नैतिक जिम्मेदारी से जल संरक्षण का रोड मैप तैयार करें गे यह आशा करनी चाहिए अन्यथा अखबारों में तो छप ही रहा है.......
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