सोमवार, 12 अगस्त 2019

मुख्यमंत्री की मंसा को चूना लगाया माफिया ने / करोड़ों की भूमि, कौड़ियों में..लुट गया बैगा

अथकथा आदिवासी क्षेत्रे -4

 तू डाल डाल-मैं पात पात ......

करोड़ों की भूमि,  
कौड़ियों में  लूटा साहूकार /भूमाफिया ने 
(  त्रिलोकिनाथ )
×गुहार लगाती रहा मजदूर  बैगा परिवार 
×हत्या की धमकी के बाद  अंततः लुटा  बैगा
×आदिवासी विशेष पिछड़ी जनजाति  समाज 

😭मुख्यमंत्री की मंसा को  चूना लगाया माफिया ने

दिवस- विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त 19🇮🇳

स्थान - आदिवासी संभाग मुख्यालय संविधान की  पांचवी                   अनुसूची में  आदिवासी विशेष  हितों के लिए 
           सुरक्षित क्षेत्र शहडोल नगरी क्षेत्र गोरतरा

नाम-    संसतिया बैगा बेवा गज्जू बैगा उम्र करीब 55 साल 
           2 पुत्र 1 पुत्री
पेसा-   दिहाड़ी मजदूरी

भूमि मालिक-  आराजी ग्राम गोरतरा रकबा करीब 3:30 एकड़
                     मुख्यमंत्री आवास योजना में निर्मित मकान 

भूमि को लूटने वाले
 साहूकार/ माफिया-  अभिषेक सोनी, जीवन जयसवाल व
                    अन्य 
भूमि का सौदा - 2 एकड़ भूमि करीब 89000 वर्ग फिट

स्थल -           नेशनल हाईवे सड़क से करीब आधा कि0मी0 
                  दूर संभाग मुख्यालय शहडोल का बसाहट
                    ग्राम गोरतरा, आराजी
सासकीय कीमत - करीब 43 लाख रुपए 
आराजी का सौदा-- ₹3 लाख 
भुगतान की प्रक्रिया - पहले दो ₹2000-3000 करके 
                               अभिसेक सोनी द्वारा
                  साहूकारी  करना बाद में जमीन गिरवी
                 रखना , एग्रीमेंट करना और फिर  किसी राहुल 
                 बैगा के नाम पर 89000 वर्ग फीट जमीन का 
                 सौदा करना 2017 के अंत से चालू है षड्यंत्र में
                 मार्च 2018 तक अभिषेक सोनी साहूकार द्वारा 
                आदिवासी के नाम पर एग्रीमेंट करना  धन अग्रिम 
                देने के बाद रजिस्ट्री के वक्त दिया  ₹50हजार।,
                 ₹300000 की रजिस्ट्री कराना
                रजिस्ट्री वक्त मात्र ₹50000 देना और 1 वर्ष 
                तक कई किलोमीटर दूर पैसे के भुगतान के लिए 
                विधवा महिला मजदूर संसदीय बैगा और उसके 
                परिवार को पैदल बार-बार बुलाना ।
                इसके बावजूद भी पैसा न देना 

शिकायत - अंततः शहडोल कलेक्टर को, पुलिस अधीक्षक को मई 2019 में पहली बार जमीन लूटे जाने की आराजी क्षति होने की शिकायत हुई ।

शिकायत में कोई कार्यवाही ना होने से, बैगा परियोजना शहडोल के प्रशासक को भी शिकायत।
 फिर कई स्मरण पत्र ,अंतिम पत्र; जनसुनवाई में पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को।

 न्याय के लिए गुहार ,भू माफिया व बेनामी कारोबारी साहूकार द्वारा जान से मारे जाने धमकाने, व हत्या करने की शिकायत ......? बैगा परिवार द्वारा बार-बार की गई, कोई कार्यवाही नहीं...?

 निष्कर्ष :---    आदिवासी दिवस में, मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा किए जाने के बाद पुलिस थाना सुहागपुर की सहमति और निर्देश पर, घेराबंदी करते हुए षड्यंत्र करके, धमकी और पैसे के बलबूते अंततः नाममात्र का पैसा वापस कर, शिकायत वापस लेने का सफलता........  भूमाफिया ने कराया

तकनीकी कानूनी व्यवस्था- पूर्व राजस्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश त्रिपाठी का मानना है कि जिस प्रकार का 43  लाख रुपए की सासकीय घोषित मूल्य में तीन लाख रुपए की रजिस्ट्री "मिथ्या-सौदा है जिसे मान्य नहीं किया जा सकता। वे कहते हैं की भलाई आदिवासी व्यक्ति के नाम पर यह लेनदेन हुआ है किंतु जिस प्रकार की प्रक्रिया दिखती है यह विशुद्ध माफिया का "बेनामी लेनदेन" है जिसे बेनामी-सौदे और  पांचवी अनुसूची में साहूकारी लेन-देन के प्रकरण में शामिल करते हुए खुली जांच करना चाहिए... व जब तक 5 एकड़ से कम कृषि भूमि बची रह जाए तब तक ही उस आदिवासी परिवार को जमीन बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए जैसा कि 165 में के प्रावधानों में कानून ने सुरक्षा दी है.....।

अंतिम निष्कर्ष:--- विश्व आदिवासी दिवस में मुख्यमंत्री कमलनाथ के फैसले के बाद कि साहूकारी कर्ज़ माफ होंगे.... पुलिस, प्रशासन के भृष्ट लोगो की सहमती से "भू-माफिया" के षडयंत्र से हत्या और धमकी से भयभीत बैगा परिवार की एकमात्र कीमती करोड़ों रुपए की भूमि 2 एकड़ लूट ली गई मात्र तीन लाख रुपए में वह भी 2 वर्ष में टुकड़े टुकड़े कर साहूकारी की तरह पैसे दिए गए। याने जमकर बंदरबांट हुआ, यानी गरीब मजदूर की भूमि जो उसके और उसके परिवार को कृषि अजीबका का एक मात्र साधन था, माफिया-तंत्र जिसमें भू माफिया, दलाल ,सहयोगी भ्रष्ट पुलिस कर्मचारी, प्रशासनिक कर्मचारी ,बैगा परियोजना आदि सबने मिलकर मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की मंशा जानकर तत्काल गरीब की जमीन लूटने का षडयंत्र का अंजाम दिया ..?

 इस प्रकार सनसतिया  बैगा का  शिकायती  पत्र, "सांप" भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी....? याने भू माफिया से लेकर उच्च पुलिस प्रशासनिक अधिकारी तक करोड़ों रुपए की जमीन का बंदरबांट हुआ...?. और बैगा परिवार  विरासत में प्राप्त अपनी जमीन को खो दिया ...,वह मजदूर का मजदूर रह गया..
 अब उसके और उसके परिवार के हिस्से में इन्हीं पुलिस , प्रशासन ,नेता माफिया और दलाल की गुलामी सुनिश्चित हो गई है । वे उनके यहां जाकर मजदूरी और गुलामी करें ।यही व्यवस्था है.......?
 विश्व आदिवासी दिवस में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा के संकल्प को इस प्रकार से साकार किया गया... यही लोकतंत्र है या भ्रष्टतंत्र....
 काश..., जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा कर भारत के संविधान में  बनाई गई  आदिवासी हितों के लिए पांचवी अनुसूची के साथ 370 भी लगा दी गई होती तो शायद विरासत में प्राप्त विशेष पिछड़ी जनजाति आदिवासी बैगा समाज का यह परिवार लोकतंत्र की आजादी में गुलाम घोषित नहीं होता.....
 यह अलग बात है कि उसे गरीबी रेखा के नीचे का प्रमाण पत्र और इन तथाकथित मसीहाओं की भीख में दी हुई आजादी हासिल है ....


लालपुर बैगा सम्मेलन में भी लगे थे
 भ्रष्टाचार के ठुमके ....
मुख्यमंत्री ने भी ठुमक-ठुमक कर 
भ्रष्टाचारियों को किया संरक्षित....?

तो यह कहानी है व आंकड़े हैं, उस आदिवासी विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा परिवार की जिनको लूटकर हमारा सिस्टम इन्हीं के नाम पर करोड़ों रुपए बर्बाद कर सम्मेलन करता है और उसमें भी सरकारी धन को लूट के अंजाम देता है...., और फिर मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री जैसा कि लालपुर बैगा सम्मेलन में आए और जमकर इनके साथ ठुमके भी लगाए... शिवराज सिंह चौहान इन ठुमको से इतना खुश हुए कि उन्होंने नगदी में दो तीन लाख रुपए देने की घोषणा भी कर दी..... और कथित तौर किन्हीं खनिज माफिया से यह नगदी की राशि तत्काल लेकर खनिज अधिकारी शहडोल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को उपलब्ध करवाई...., जरिए कलेक्टर...?

 दूसरा पक्ष  इसी बैगा सम्मेलन में हुआ कि  करोड़ों रुपए से भी ज्यादा के मिठाई बांटे और पानी की बोतलें, पैकिंग के खाली लिफाफे भी इन करोड़ों रुपए के बंटवारा हुआ जिसके चश्मदीद गवाह हैं.... यह बात आदिवासी विकास शहडोल के फाइलों में दर्ज है.... कि किस प्रकार से नए कलेक्टर को छुपाकर किसी मंडल संयोजक अंसारी ने आपत्ति के बावजूद प्रभारी सहायक आयुक्त बनकर भी नए कलेक्टर से 13 लाख रुपए इन्हीं बैगा को पानी पिलाने के नाम पर फर्जी बिल का भुगतान दुर्गा टेंट हाउस शहडोल के बल्लू गुप्ता को कर दिया.....
 माफिया के अलग-अलग रंग हैं, अलग-अलग रुप हैं, देश की आजादी के 70 साल बाद भी गरीबों आदिवासियों को लूटने के लिए नए नए षडयंत्र बनते हैं.. और सफल होते हैं ...।और भ्रष्ट तंत्र को हटाने की  या उन पर कार्यवाही करने की हिमाकत प्रशासन में भी नहीं होती ....., क्योंकि वे दावा करते हैं गरीबों को लूटने का पैसा इन्हीं अधिकारियों तक जाता है... "कोई पैसे पेड़ पर तो उगते नहीं...?"
 भ्रष्ट-तंत्र की परिवार का पेट शासन की तनख्वाह से नहीं भरता ......यह सिद्ध होता है...। तो एक बात और सिद्धि होती है जब मुख्यमंत्री कमलनाथ विश्व आदिवासी दिवस में साहूकारी कर्जा मुक्त करने की घोषणा कर रहे थे... तब षड्यंत्रकारी-माफिया  बैगा आदिवासी मजदूर की विरासत की करोड़ों रुपए की जमीन को यह जानते हुए भी कि शासकीय मूल्य 43 लाख रुपए पंजीकृत दस्तावेजों में दर्ज हैं, जिसका वे टैक्स भी उस से वसूला जा रहा है... शासन भी इस गरीब को लूटने के लिए अपना योगदान घोषित तौर पर करता है..... और गरीब, पिछड़ी जनजाति के हिस्से पर 3 लाख रुपए सैकड़ों टुकड़ों में करके उसे गुलाम बनाने के लिए अपने कार्यवाही को विश्व आदिवासी दिवस में अंजाम देता है......

 क्या मुख्यमंत्री कमलनाथ की यही मंशा थी.....? कम से कम शहडोल में तो यही सिद्ध होता है ....? हो सकता है अपना दामन साफ करने के लिए संबंधित प प्रशासन और पुलिस तंत्र जागृत हो.. उनका जमीर , आजादी के आज के पड़ाव में जब झंडे लहरा रहे हो कुछ शर्म खाए, और इस पूरे विषय का खुलासा, वकायदे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके करें कि वह इस पूरे भ्रष्ट तंत्र में शामिल नहीं है और भ्रष्टाचार का बटवारा उस तक नहीं आया है....।
 यदि ऐसा नहीं होता है तो निश्चित तौर पर सब "एक ही थैली के सभी चट्टे-बट्टे हैं..., यह भी सिद्ध होगा और यह भी सिद्ध होगा कि नियम कानून और संविधान की हैसियत है क्या.....? 
 तू डाल-डाल..., तो मैं पात-पात....

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