अथ-कथा.., आदिवासी क्षेत्रे... ।
यातो,नर्मंं-मृदा कंकड़ को फोड़ फोड़ उछाल दें...,
या फिर.., सुंदर सुडौल शंकर बना दे...
- विद्यासागर
( त्रिलोकीनाथ )
सूरज और समय के संवाद में समय की ओर से कहा गया देखो,
उत्तर-पूर्व की ओर एक सशक्त बिंदु है इसरी, गिरिडीह (बिहार) पश्चिम की ओर बिंदु है महुआ, सूरत (गुजरात) दक्षिण की ओर बिंदु है रामटेक, नागपुर (महाराष्ट्र) और उत्तर की ओर बिंदु है अमरकंटक (मध्य प्रदेश)
इस प्रकार अमरकंटक का मायने आलोक शर्मा के नजर में जैन धर्म आचार्य की दृष्टि से प्रकृति सत्ता आचार्य श्री ने अपने वर्षा योग चतुर्मास वृत्त की चारों दिशाओं में पूर्व से ही 4 सशक्त बिंदु अंकित कर डाले हैं, प्रदर्शित किया है।
थोड़ा और आगे चलें, नर्मदा जी की चतुर्मास में आचार्य श्री ने "नर्मदा का नरम कंकर" जैसे बेमिसाल काव्य की रचना का भी जिक्र किया गया है। इसे जानना और पहचानना विद्यासागर जी के नजरिए से उनके महत्व को प्रदर्शित करता है, कि नर्मदा क्या है , इतना ही नहीं अमरकंटक की नर्म मृदा भी क्या है, अपने अनुभव के आधार पर काव्य संरचना में अपने अंतर्मन के सशक्त शब्दों का प्रवाह कुछ इस प्रकार से वर्णित है
" युगो युगो से....
जीवन विनाशक सामग्री से .....
संघर्ष करता हुआ अपने में निहित.....
विकास की पूर्ण क्षमता संजोए ......
अनंत गुणों का संरक्षण करता हुआ.....
आया हूं ........
किंतु विनाश ह्रास आज तक....
अशुद्धता का विकास द्वार......
शुद्धता का विकास .........
प्रकाश...., केवल अनुमान का .......
विषय रहा।
विश्वास.., विचार सागर कहां हुए....?
बस , अब निवेदन है....
कि .....,
या तो इस कंकर को फोड़ फोड़ कर.......
पल भर में .......
कण-कण कर......
शून्य में .........
......उछाल समाप्त कर दो....
अन्यथा.....
इसे .......सुंदर सुडौल......
शंकर का रूप प्रदान कर.... अविलंब ....इसमें..
अनंत गुणों की ....
प्राण-प्रतिष्ठा....
कर दो, ह्रदय में अपूर्व निष्ठा लिए.........
यह किन्नर .......
अकिंंचन किंकर......
नर्मदा का नरम कंकर .......
चरणों में....
उपस्थित हुआ है.....
हे विश्व व्याधि के प्रलयंकर.....!
तीर्थंंकर.....!
शंकर......!"
1980 में इस काब्य रचना का संदर्भ भी दिया गया है।
तो यह बताना कि नर्मदा, अमरकंटक और उसके नरम कंकर को क्या करना चाहते हैं...? वे लोग, जो विद्यासागर जी महाराज के विचारों के संदर्भों को या तो समझ नहीं पा रहे हैं या फिर उनके शब्दों में इसे कण-कण उछालने पर तुले हुए हैं.....
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