मंगलवार, 28 मई 2019

प्रदूषण मुक्त होने को तड़पता एक तालाब .....बन सकता है नया प्रयोगशाला.... ( त्रिलोकीनाथ )


प्रदूषण मुक्त होने को तड़पता एक तालाब .....
क्या विशेषज्ञ होने का वेतन पाने वालोंकी जमीर जागेगी
तालाब .....बन सकता है नया प्रयोगशाला....

 ( त्रिलोकीनाथ )
आज हम आपको सिर्फ तालाब के छायाचित्र दिखाएंगे ताकि आप यह महसूस कर सकें कि शहडोल नगर में एक ऐसा भी तालाब है जो पानी से भरा हुआ है..... यदि इस पानी का सदुपयोग करने की क्षमता शहडोल नगर पालिका या जिला प्रशासन के लोगों में है अथवा जल को शुद्धीकरण करते हुए फिल्टर कर सदुपयोग किया जाए ...., ऐसी कोई विशेषज्ञता में दक्षता रखने वाला विभाग शहडोल जिला प्रशासन के पास है, तो उसे इस तालाब को ढूंढ कर..... और इसके पानी को प्रदूषण मुक्त करते हुए सदुपयोग हेतु प्रयास करना चाहिए और स्वयं को इस बात के लिए प्रमाणिक भी करना चाहिए।जहां प्रशासन ,पालिका-प्रशासन मैं बैठे हुए लोग जो कि उच्च स्तर की शिक्षा और गुणवत्ता पूर्ण ज्ञान की डिग्री लेकर उच्च प्रशासनिक पदों पर बैठे हैं .....वह इस तालाब के प्रदूषित जल को




प्रदूषण मुक्त करते हुए स्वयं को यह प्रमाणित भी कर सकते हैं .....या इस तालाब को प्रयोगशाला के रूप में प्रशिक्षित करने के दृष्टिकोण से भी विशेषज्ञ लोगों को सिद्ध करने का काम कर सकते हैं..., कि वास्तव में वह किस बात का तनख्वाह ले रहे हैं वे ऐसी कोई योग्यता या दक्षता रखते भी हैं...?, कि हां यदि प्रदूषण युक्त जल संग्रहण है तो उसे प्रदूषण मुक्त कर उपयोग किया जा सकता है...... हालांकि देश दुनिया में अलग-अलग जगह है, ऐसे दावा होते हैं किंतु शहडोल आदिवासि क्षेत्र मुख्यालय में क्या ऐसे दावों को प्रमाणित करने की कोई सोच ....., किसी प्रशासनिक अधिकारी  में स्व प्रेरणा से जागृत भी होती है .......?यह इस तालाब से प्रमाणित होगा ।

अन्यथा शहडोल का लोकतंत्र नगर पालिका प्रशासन अथवा जिम्मेदार प्रशासनिक अमला सिर्फ ढोल की पोल और भ्रष्टाचार अनुसंधान के लिए तालाबों को नगाड़े के रूप में उपयोग कर रहे हैं.... ऐसा ही प्रमाणित प्रतीत होगा? ऐसी अपनी आदिवासी स्तर की छोटी सी समझ है.......।
 देखते हैं अपनी समझ में क्या प्रशासन की समझ का समावेश हो सकता है......? अथवा हमारे आदिवासी सोच का समन्वय क्या प्रशासनिक सोच से संभव है......?
 तो देखिए तालाब के चित्रों का चित्रहार..... हां हम यह बता सकते थे कि यह चित्र कहां के हैं ,किंतु सिर्फ हमारी जिम्मेदारी हो.... यह उचित नहीं है, अन्य को भी लगना चाहिए कि यह उनका भी दायित्व है....।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय संसद महामारी कोविड और कैंसर का खतरे मे.....: उपराष्ट्रपति

  मुंबई उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  राम राज्य में और अमृतकाल के दौर में गुजर रही भारतीय लोकतंत्र का सं...