कैसा होता है..?
मोहनराम तालाब से सीखा जा सकता है।
विधानसभा में प्रश्न भी हुआ ....?
इतना भी पानी नहीं कि डूब मरे ...?
----------------( त्रिलोकीनाथ )------------------
कमोवेश अखिलेश के सामने निरहुआ हो चाहे हेमवती नंदन बहुगुणा के सामने अमिताभ बच्चन यह सब राजनीति के खेल को नष्ट करने का काम किया....
माफियाओं ने जो शासन और प्रशासन में नेता का नकाब पहन कर बैठे थे ..."मोहन राम तालाब को कैसे नष्ट किया या बने बनाये, तालाब को कैसे नहीं बनाया" यह देख सकते हैं.... उम्मीद है सब कुछ पारदर्शी होगा.....?
हाल में जब शाजापुर में पत्रकार रवीश कुमार ने राहुल गांधी का इंटरव्यू किया ,उससे राहुल गांधी का नेतृत्व या राजनीतिक सोच निकल कर आई ; पता नहीं क्यों पहली बार लगा कि राहुल वास्तव में एक दावेदार है.. प्रधानमंत्री पद के लिए। बहरहाल इस इंटरव्यू का वह भाग उठाना चाहूंगा ..जिसमें राहुल गांधी कहते हैं कि मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सीखा है , रवीश हंसते हैं.. राहुल गांधी कहते हैं.. हां, मैंने नरेंद्र मोदी से सीखा कि "देश को कैसे नहीं चलाया जाता", जब संवाद ना हो लोकमत ना हो और मनमानी देश को चला में तब इसको कहते हैं देश को नहीं चलाना।..
कमोवेश शहडोल इसी हालात को जूझ रहा है... शहडोल का mr. talab याने मोहन राम तालाब.
इस आइकॉन तालाब को अगर हम समन्वित विकास के साथ नहीं चला पा रहे हैं लोग ज्ञान से दूर कर रहे हैं तो इसे कहते हैं "तालाब को संरक्षण कैसे नहीं किया जा सकता" य तालाब को संरक्षण नहीं करना कैसा होता है, यह मोहन राम तालाब से सीखा जा सकता है। प्रशासन वर्तमान में कुछ इसी अंदाज में इस तालाब को "नहीं बनाया"3-4 करोड़ रुपए यूं ही बर्बाद कर दिए....?
इस आइकॉन तालाब को अगर हम समन्वित विकास के साथ नहीं चला पा रहे हैं लोग ज्ञान से दूर कर रहे हैं तो इसे कहते हैं "तालाब को संरक्षण कैसे नहीं किया जा सकता" य तालाब को संरक्षण नहीं करना कैसा होता है, यह मोहन राम तालाब से सीखा जा सकता है। प्रशासन वर्तमान में कुछ इसी अंदाज में इस तालाब को "नहीं बनाया"3-4 करोड़ रुपए यूं ही बर्बाद कर दिए....?
कहने को विकास हुआ है मोहनराम तालाब का, करीब 3-4 करोड़ रुपए का विकास... किंतु यह भ्रष्टाचार का आइकॉन बन गया है. यानी भ्रष्टाचार का मोहनराम तालाब , पाखंडीओं का मोहनराम तालाब और अंधविश्वासीयों का मोहनराम तालाब.
जांच फाइल और जांच कमेटी भी शहडोल आ गई
कहते हैं इस तालाब को लेकर विधानसभा में प्रश्न भी हुआ था... और उसका नतीजा यह रहा कि नगरी प्रशासन के नेतृत्व मे एक जांच कमेटी बनी। जिसमें तत्कालीन उपसंचालक नगरीप्रशासन रीवा के नेतृत्व में 3 सदस्य दल को मोहनराम तालाब के भ्रष्टाचार की जांच करनी थी... भाजपा गवर्नमेंट भी गई... कांग्रेस की गवर्नमेंट भी आ गई .....लेकिन नगरी प्रशासन रीवा का जांच पूरा नहीं हुआ.....?
अब एक दिन कोई बता रहा था, उपसंचालक नगरी प्रशासन का कार्यालय शहडोल में आ गया है.. तो हो सकता है जांच फाइल और जांच कमेटी भी शहडोल आ गई हो...? अब कोई परेशानी नहीं होना चाहिए.. क्योंकि शहडोल संभाग छोटा है ..पहले यही जिला था। तो कम से कम इस कमेटी को शहडोल संभाग की आईकान तालाब, mr तालाब के भ्रष्टाचार की जांच का प्रतिवेदन सामने लाना चाहिए, कि आखिर कितने करोड़ों रुपए इस तालाब के नाम पर लूटे गए या लुटाए गए .....?क्योंकि तालाब में इतना भी पानी नहीं बचता दिखाई दे रहा है एक कोने में, कि उसमें अफसर और नेता तत्कालीन, डूब मरे ...?हां ऐसे अफसरों और नेताओं के बंगलों में खुद के तरणताल जरूर बन गए होंगे. इस भ्रष्टाचार से जहां वे अर्ध- वस्त्र में डुबकी लगाते होंगे.. वहीं उनका सुख होगा.... किंतु यह शहडोल नगर का बड़ा भारी दुख है...। और यह जांच कमेटी को अपने प्राथमिक दायित्व के तहत सार्वजनिक करना चाहिए ताकि उन सभी दोषी व्यक्तियों को चिन्हित किया जा सके, जिनके कारण शहडोल का शान कहा जाने वाला मोहनराम तालाब अपने दुर्दशा का प्रमाण पत्र बना हुआ है।
प्रशासन और पालिका प्रशासन तालाब में पानी कैसे लाया जाए और वह भी शुद्ध... पानी कैसे बरकरार रहे....? इसके लिए प्राथमिक बैठकों का डे बाय डे बहस कर, निर्णय लें.......... यूं ही यह कह देने से की और भी बहुत सारे काम है यही एकमात्र काम नहीं .....,काम नहीं चलना है...।
शहर के मध्य में अगर यह तालाब नहीं बचाया जा सकता तो "इससे ज्यादा नागरिकों की आंख खोलकर मिर्ची डालने का और कोई काम हो ही नहीं सकता..... और इसीलिए राहुल गांधी ने ठीक कहा कि "नरेंद्र मोदी से उन्होंने सीखा कि प्रशासन कैसे नहीं चलाया जाता...... हम भी भाजपा में अच्छे कामों को छोड़ दें तो माफियाओं ने जो शासन और प्रशासन में नेता का नकाब पहन कर बैठे थे ..."मोहन राम तालाब को कैसे नष्ट किया या बने बनाये, तालाब को कैसे नहीं बनाया" यह देख सकते हैं.... उम्मीद है सब कुछ पारदर्शी होगा.....?
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