------------------शहडोल लोकसभा क्षेत्र----------------
----कौन बनेगा
कांग्रेस-कन्डिडेट…?
====त्रिलोकीनाथ के कलम से=========
शहडोल लोकसभा चुनाव की अघोषत तौर पर घोषणा हो जायेगी, जब मुख्यमंत्री
कमलनाथ शहडोल में अपनी पहली सभा को संबोधित करेंगे। हालाँकि भाजपा प्रमुख अमित
शाह उमरिया में बाइक रैली कर सन्देस दिया है, किन्तु बात कुछ जमी नहीं..?
तो कल चुनाव की अंदाज मे बात होगी, लगेहाथ प्रत्याशी भी तलाशे जाएंगे। जो वर्तमान
कांग्रेस के लिए एक चुनौती होगी । बहरहाल अनुभव बताता है की शहडोल लोकसभा चुनाव
की फितरत ही ऐसी है कि वह बाहरी व्यक्तियों को बहुत कम बर्दाश्त करती। शहडोल के
कलेक्टर रहे आईएएस और तब कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता का एरा लिए शहडोल लोकसभा
क्षेत्र का चुनाव लड़ने आए अजीतप्रमोदकुमार जोगी यानी अजीत जोगी जो वर्तमान में कांग्रेस
से बागी होकर छत्तीसगढ़ में अपनी पार्टी चला रहे हैं, उन्हें चुनाव हरा कर शहडोल की
ईमानदार-पसंद जन मतदाता ने तब दलपतसिंह परस्ते की इमानदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता
दिया और अति संपन्नसाली ,धनाढ्य और आईएएस ग्लैमर लिए अजीत जोगी को चुनाव में
पछाड़ दिया । वे चुनाव हार गए और फिर लौट कर शहडोल की तरफ देखने की हिमाकत
नहीं किए। ब्याज में उन्हें जाति प्रमाण पत्र प्रमाणित करने का की वे अनुसूचित जनजाति के
हैं मुकदमे भी झेलने पड़े ।
इस घटना से यह तो साफ है की प्राकृतक रूप से अमूल्य सम्पदा का धनाडय शहडौल को
आज भी इमानदार-नेता की कसक बरकरार है। एक बात और चलते चलाते नाबाद राजनीति
में बने रहे ज्ञानसिंह अपने जीवन का सबसे महंगा चुनाव या यूं कहे शिवराज सिंह के नेतृत्व
में लड़ा गया और जब कुछ ही दिन बाद चुनाव होने हैं, हाल में उच्च न्यायालय जबलपुर में
सांसद ज्ञान सिंह की चुनाव को निरस्त कर दिया गया है । क्योंकि न्यायालय ने पाया की
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव था और एक प्रत्याशी के साथ न्याय नहीं हुआ ।
बहराल कांग्रेस की समस्या यह है कि उसे अब नए सिरे से अपने प्रत्याशियों का चयन करना
पड़ेगा, क्योंकि चिर-परिचित कांग्रेसी-परिवार स्व0 दलवीरसिंह-राजेशनन्दिनी के उत्तराधिकारी
हिमाद्री सिंह जिन्होंने मध्यावधि चुनाव लड़ा और एक हैसियत भी बतायि, बावजूद इसके जिसप्रकार से पिछले चुनाव में जो हालात बने उससे उनका बजन कांग्रेस के अंदर कम हो गया। वैसे अनूपपुर जिले के विधायक फुन्देलाल सिंह, चंद्रभान ने भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत किए है
किंतु प्रमुख तौर पर हाल में जो चेहरे नजर आए हैं उसमें शहडोल की दावेदारी दिखाई देती है|
प्रमिला सिंह या नरेंद्रसिंह मरावी ....?
जिसमें पूर्व विधायक श्रीमती प्रमिलासिंह वा जिलापंचायत अध्यक्ष नरेंद्रमरावी एवं पूर्व
विधायक कमलासिंह की पुत्री दिव्यासिंह के नाम चर्चा में आए हैं|
प्रमिला सिंह भाजपा से जैसीनगर क्षेत्र की विधायक रहीं और स्थानीय राजनीति में अपने को फुलटाइम सक्रिय रहीं इसके बावजूद भी भाजपा ने उन पर भरोसा नहीं किया तथा कोतमा निवासी जयसिंह को प्रत्याशी बनाया जो कि वर्तमान में विधायक हैं| अपने कार्यों का सम्मान न पाए जाने के कारण प्रमिलासिंह ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया था| उन्हें अपने किए गए कार्यों पर आत्मविश्वास है कि वे बेहतर सांसद प्रत्याशी हो
सकती हैं |पूर्व विधायक श्रीमती प्रमिलासिंह कांग्रेस में प्रवेश तो ले ली किंतु उनकी बातों का बजन अभी टिक नहीं पा रहा है। यह अलग बात है कि जब उमरिया में मुख्यमंत्री आए तो उन्होंने जिस प्रकार से श्रीमती प्रमिलासिंह को प्राथमिकता दिए, उससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि वे एक सशक्त दावेदार हैं।
युवा उम्मीदवार दिव्या सिंह को भी महिला प्रत्याशी के रूप में एक ग्रुप प्रस्तुत कर रहा है
किंतु इस ग्रुप के नेता अपने सबसे कमजोर दिनों मैं होने के कारण दिव्या सिंह का दिव्यता
कम होती दिखती है।
एक अन्य प्रत्याशी जिसे जोरशोर से भोपाल मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके शहडोल के तब जैसीनगर प्रत्याशी के रूप में जिलापंचायत अध्यक्ष नरेंद्रसिंह मरावी को
प्रधन संपत्ति केबौना कर दिया था। यह बात नरेंद्र सिंह मरावी को मजबूत उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करती है।किंतु राजनीतिक पकड़ में खासतौर से कांग्रेस की राजनीतिक पकड़ में उन्हें कितना साथ मिलता है,यह देखना होगा..?, यह बात भी देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी मैं उनके क्या कोईबड़े विरोधी भी हैं ? जो फिलहाल ना के बराबर हैं । शहडोल में कांग्रेस की गुटबाजी जग जाहिर है दो-तीन महीने होने को आए हैं कांग्रेस कीअंदरूनी राजनीति अपनी समस्या से निजात नहीं पा रही है, बावजूद इसके कांग्रेस चुनावी
रुख को पहचानते हुए शहडोल लोकसभा के मिजाज को पहचानने हेतु अपने मजबूत प्रत्याशी
को भी तलाशने का काम कर रही है ।शहडोल लोकसभा क्षेत्र के 8 चुनाव विधानसभा में तीन
अनूपपुर जिले में , दो शहडोल में, दो उमरिया में और एक कटनी जिले के बड़वारा
विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इनमें 8 विधानसभा क्षेत्र में अनूपपुर के तीनों विधानसभा कांग्रेस
के पक्ष में रहे हैं ।जबकि शहडोल कांग्रेस की माने तो व्हाट्सएप चैटिंग की शिकायतें बताती
हैं कि उनके साथ ठीक नहीं हुआ था। इसलिए वे चुनाव हार गए। किंतु मध्यावधि चुनाव के संघर्ष में जो वातावरण को दिखा कांग्रेस के पक्ष में ही है, इसलिए कांग्रेस पार्टी के कमलनाथ
और संगठन के लोग शहडोल लोकसभा क्षेत्र को जीते हुए लोकसभा की श्रेणी में रखकर
चलते हैं...। अपनी तमाम कमियों को दूर करके एक पारदर्शी व ईमानदार युवा चेहरे का
तलाश ही कांग्रेस के लिए एक चुनौती है । देखना होगा कि अब तक चिर-परिचित कांग्रेस
प्रत्याशियों में कांग्रेश संगठन किसे अपना समर्थथन देती है..? हो सकता है कल के आम
सभा मैं इसकी झलक देखने को मिल जाए।
----कौन बनेगा
कांग्रेस-कन्डिडेट…?
====त्रिलोकीनाथ के कलम से=========
शहडोल लोकसभा चुनाव की अघोषत तौर पर घोषणा हो जायेगी, जब मुख्यमंत्री
कमलनाथ शहडोल में अपनी पहली सभा को संबोधित करेंगे। हालाँकि भाजपा प्रमुख अमित
शाह उमरिया में बाइक रैली कर सन्देस दिया है, किन्तु बात कुछ जमी नहीं..?
तो कल चुनाव की अंदाज मे बात होगी, लगेहाथ प्रत्याशी भी तलाशे जाएंगे। जो वर्तमान
कांग्रेस के लिए एक चुनौती होगी । बहरहाल अनुभव बताता है की शहडोल लोकसभा चुनाव
की फितरत ही ऐसी है कि वह बाहरी व्यक्तियों को बहुत कम बर्दाश्त करती। शहडोल के
कलेक्टर रहे आईएएस और तब कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता का एरा लिए शहडोल लोकसभा
क्षेत्र का चुनाव लड़ने आए अजीतप्रमोदकुमार जोगी यानी अजीत जोगी जो वर्तमान में कांग्रेस
से बागी होकर छत्तीसगढ़ में अपनी पार्टी चला रहे हैं, उन्हें चुनाव हरा कर शहडोल की
ईमानदार-पसंद जन मतदाता ने तब दलपतसिंह परस्ते की इमानदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता
दिया और अति संपन्नसाली ,धनाढ्य और आईएएस ग्लैमर लिए अजीत जोगी को चुनाव में
पछाड़ दिया । वे चुनाव हार गए और फिर लौट कर शहडोल की तरफ देखने की हिमाकत
नहीं किए। ब्याज में उन्हें जाति प्रमाण पत्र प्रमाणित करने का की वे अनुसूचित जनजाति के
हैं मुकदमे भी झेलने पड़े ।
इस घटना से यह तो साफ है की प्राकृतक रूप से अमूल्य सम्पदा का धनाडय शहडौल को
आज भी इमानदार-नेता की कसक बरकरार है। एक बात और चलते चलाते नाबाद राजनीति
में बने रहे ज्ञानसिंह अपने जीवन का सबसे महंगा चुनाव या यूं कहे शिवराज सिंह के नेतृत्व
में लड़ा गया और जब कुछ ही दिन बाद चुनाव होने हैं, हाल में उच्च न्यायालय जबलपुर में
सांसद ज्ञान सिंह की चुनाव को निरस्त कर दिया गया है । क्योंकि न्यायालय ने पाया की
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव था और एक प्रत्याशी के साथ न्याय नहीं हुआ ।
बहराल कांग्रेस की समस्या यह है कि उसे अब नए सिरे से अपने प्रत्याशियों का चयन करना
पड़ेगा, क्योंकि चिर-परिचित कांग्रेसी-परिवार स्व0 दलवीरसिंह-राजेशनन्दिनी के उत्तराधिकारी
हिमाद्री सिंह जिन्होंने मध्यावधि चुनाव लड़ा और एक हैसियत भी बतायि, बावजूद इसके जिसप्रकार से पिछले चुनाव में जो हालात बने उससे उनका बजन कांग्रेस के अंदर कम हो गया। वैसे अनूपपुर जिले के विधायक फुन्देलाल सिंह, चंद्रभान ने भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत किए है
किंतु प्रमुख तौर पर हाल में जो चेहरे नजर आए हैं उसमें शहडोल की दावेदारी दिखाई देती है|
प्रमिला सिंह या नरेंद्रसिंह मरावी ....?
जिसमें पूर्व विधायक श्रीमती प्रमिलासिंह वा जिलापंचायत अध्यक्ष नरेंद्रमरावी एवं पूर्व
विधायक कमलासिंह की पुत्री दिव्यासिंह के नाम चर्चा में आए हैं|
प्रमिला सिंह भाजपा से जैसीनगर क्षेत्र की विधायक रहीं और स्थानीय राजनीति में अपने को फुलटाइम सक्रिय रहीं इसके बावजूद भी भाजपा ने उन पर भरोसा नहीं किया तथा कोतमा निवासी जयसिंह को प्रत्याशी बनाया जो कि वर्तमान में विधायक हैं| अपने कार्यों का सम्मान न पाए जाने के कारण प्रमिलासिंह ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया था| उन्हें अपने किए गए कार्यों पर आत्मविश्वास है कि वे बेहतर सांसद प्रत्याशी हो
सकती हैं |पूर्व विधायक श्रीमती प्रमिलासिंह कांग्रेस में प्रवेश तो ले ली किंतु उनकी बातों का बजन अभी टिक नहीं पा रहा है। यह अलग बात है कि जब उमरिया में मुख्यमंत्री आए तो उन्होंने जिस प्रकार से श्रीमती प्रमिलासिंह को प्राथमिकता दिए, उससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि वे एक सशक्त दावेदार हैं।
युवा उम्मीदवार दिव्या सिंह को भी महिला प्रत्याशी के रूप में एक ग्रुप प्रस्तुत कर रहा है
किंतु इस ग्रुप के नेता अपने सबसे कमजोर दिनों मैं होने के कारण दिव्या सिंह का दिव्यता
कम होती दिखती है।
एक अन्य प्रत्याशी जिसे जोरशोर से भोपाल मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके शहडोल के तब जैसीनगर प्रत्याशी के रूप में जिलापंचायत अध्यक्ष नरेंद्रसिंह मरावी को
प्रधन संपत्ति केबौना कर दिया था। यह बात नरेंद्र सिंह मरावी को मजबूत उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करती है।किंतु राजनीतिक पकड़ में खासतौर से कांग्रेस की राजनीतिक पकड़ में उन्हें कितना साथ मिलता है,यह देखना होगा..?, यह बात भी देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी मैं उनके क्या कोईबड़े विरोधी भी हैं ? जो फिलहाल ना के बराबर हैं । शहडोल में कांग्रेस की गुटबाजी जग जाहिर है दो-तीन महीने होने को आए हैं कांग्रेस कीअंदरूनी राजनीति अपनी समस्या से निजात नहीं पा रही है, बावजूद इसके कांग्रेस चुनावी
रुख को पहचानते हुए शहडोल लोकसभा के मिजाज को पहचानने हेतु अपने मजबूत प्रत्याशी
को भी तलाशने का काम कर रही है ।शहडोल लोकसभा क्षेत्र के 8 चुनाव विधानसभा में तीन
अनूपपुर जिले में , दो शहडोल में, दो उमरिया में और एक कटनी जिले के बड़वारा
विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इनमें 8 विधानसभा क्षेत्र में अनूपपुर के तीनों विधानसभा कांग्रेस
के पक्ष में रहे हैं ।जबकि शहडोल कांग्रेस की माने तो व्हाट्सएप चैटिंग की शिकायतें बताती
हैं कि उनके साथ ठीक नहीं हुआ था। इसलिए वे चुनाव हार गए। किंतु मध्यावधि चुनाव के संघर्ष में जो वातावरण को दिखा कांग्रेस के पक्ष में ही है, इसलिए कांग्रेस पार्टी के कमलनाथ
और संगठन के लोग शहडोल लोकसभा क्षेत्र को जीते हुए लोकसभा की श्रेणी में रखकर
चलते हैं...। अपनी तमाम कमियों को दूर करके एक पारदर्शी व ईमानदार युवा चेहरे का
तलाश ही कांग्रेस के लिए एक चुनौती है । देखना होगा कि अब तक चिर-परिचित कांग्रेस
प्रत्याशियों में कांग्रेश संगठन किसे अपना समर्थथन देती है..? हो सकता है कल के आम
सभा मैं इसकी झलक देखने को मिल जाए।
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