मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

तो ऐसे हुआ कुंभ-महापर्व का समागम.. ( भाग-1) : त्रिलोकीनाथ


 तो ऐसे हुआ कुंभ-महापर्व का समागम.. ( भाग-1)

                                  --------------------- त्रिलोकीनाथ -----------------------
आज प्रयागराज में कुंभ-महापर्व” स्नान के लिए आया, शायद काफी प्रयास के बावजूद भी मैं कुंभ के पर्व को स्नान नहीं कर पा रहा था. मेरी आध्यात्मिक तुष्टि मुझे पुकार रही थी. इस बार दिमाग में था कि मैं कुंभ में लंबा समय बिता लूंगा. किंतु मेरे पत्रकार मित्रों ने मेरे मीडिया-कार्ड बनाने में शायद दिलचस्पी नहीं ली. जिसके कारण मैं भी उदासीन रहा किंतु कुंभ जाने की ज़िद्द का बहाना मेरा पूरा हुआ, जब मेरे ससुराल पक्ष के लोग जा रहे थे और मुझे भी पूछ लिए, मैं सुबह 6:00 बजे करीब कुंभ में प्रयागराज पहुंच गया.
कुम्भ संगम मार्ग 
      स्नान ध्यान करने के बाद कुंभ देखने की इच्छा के पहले आस्था की मूर्ति के रूप में 5-5 लीटर त्रिवेणी के संगम का गंगाजल, क्योंकि इससे ज्यादा लाने की क्षमता भी नहीं थी. 4 प्लास्टिक के डब्बे में गंगाजल भी हाथ में लिए और कुंभ स्थल से पार्किंग के लिए चल पड़े. जो करीब 3-4 किलोमीटर दूर था. बीच में सामग्री बहुत थी. हनुमान जी महाराज लेटे हुए उनका भी दर्शन करना था. किंतु वहां भी जो परेशानी हुई उससे मन तुष्ट नहीं हो पाया. मेरे साथ लगभग-अस्वस्थ कुछ लोग भी थे. जिनका ख्याल रखना मेरी जिम्मेदारी थी. पदयात्रा और सामग्री लेकर चलना भारी कष्ट-दायि रहा. रास्ते में रिक्शा नहीं मिला, कार काफी दूर थी 2-3 बैठक के बाद हम उस मुकाम में पहुंचे जहां थोड़ा थकान को कम कर सकें और एक छोटे से पेड़ के नीचे जहां कई लोग राहत पा रहे थे.

मोदी जी आ रहे...

गूलर का पेड़ 
 फिर भी पुलिस लोगों को वहां से चलता कर रही थी. क्योंकि बताया गया मोदी जी आ रहे हैं इसलिए यहां बैठना और खड़ा होना मना है, चलते रहिए. थकान जबरदस्त, पीने के पानी की व्यवस्था नही, प्रदूषित गंगाजल या फिर यमुना का जल था. पानी दूर-दूर तक नहीं था बोतल का पानी खरीदने के लिए भी दूर तक जाना पड़ रहा था. हाथ-पैर जवाब दे रहे थे और ऊपर से वीआईपी लोगों के लिए तमाम प्रकार की छूट थी अपने-अपने वाहनों से आ रहे थे. जबकि हमारे जैसे तीर्थ-यात्रियों के लिए सिर्फ पैदल और पैदल....?  हनुमान मंदिर के बगल में गंगा प्रवेश मार्ग के पास चढ़ाई में एक छोटा सा छायादार गूलर का पेड़ हैं जिसमें छाया में कई लोग थे, वहां से भी भगाया जा रहा था.

थकान के राहत के अवसर नहीं..

    पता नहीं अनायास मन बहुत अशांत हुआ लगा कि अर्ध-कुंभ को कुंभ-महापर्व के रूप में अंतरराष्ट्रीयस्तर ब्रांडिंग  करने का काम किया गया . यदि पुलिस प्रबंधन और स्वच्छता को छोड़ दिया जाए तो क्षण क्षण में अपेक्षित पीने के पानी और ठहरने की व्यवस्था यात्रियों को थकान के बाद राहत के लिए कोई अवसर नहीं थे. सिर्फ चलना और चलना का दबाव रहा. सुविधा नाम की चीज  बिल्कुल नहीं थी , रिक्शा-वालों  को रोक दिया गया था, ऑटो की सुविधा दी नहीं की थी.सिर्फ  अफसरों के लिए  और  हिंदुत्व  की सत्ता वाले  नेताओं के लिए समस्त सुविधाएं उपलब्ध थी.  यह अकेली में मुझे प्रताड़ित करने वाली कार्यवाही नहीं थी बल्कि हर तीर्थयात्री  में, मैं ही प्रताड़ित हो रहा था.  बुजुर्गों-महिलाओं-बच्चों  को परेशानी हो रही थी.

 चोर-मोदी  या  चौकीदार-मोदी ....
गूलर की छाया में राहत...


जब मैं और मेरे जैसे थके हुए परेशान हालाकान यात्री गूलर की छाया में राहत ले रहे थे, तो लोगों ने बताया गया  की मोदी आ रहे हैं...,  तो मैंने सोचा  कि कौन मोदी..?,  चोर मोदी , तो विदेश में है, फरारी काट रहे हैं,  या चौकीदार-मोदी......,  क्यों आएंगे.?
  पता चला  ना चोर और ना चौकीदार आ रहे हैं..  इनके बीच में ही  वंशवाद  का ब्रांडिंग करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी के भाई-मोदी आ रहे हैं.  वह सहडोल में भी आए थे,  पूरे भारत में  पता नहीं उन्हें शहडोल क्यों पाया  और शहडोल के तेली-समाज को उन्होंने  संदेश दिया  कि तेली-समाज लोग अपने को मोदी लिखना चालू कर दें.  क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी  तेली हैं.  यह अलग बात है  कि गुजरात-कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष  ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया  कि नरेंद्रमोदी  जो अपने आप को ओबीसी का नेता बताते हैं दरअसल वे  वह मोदी नहीं है.. वे   वह मोदी हैं,  जो  नीरवमोदी, क्रिकेट वाला  मोदी,  मोदी कहलाते हैं.,  बहरहाल उनकी बात का ज्यादा ब्रांडिंग  कांग्रेसपार्टी  ने भी नहीं किया . शायद वे  अपने प्रदेश अध्यक्ष को नेता नहीं बनाना चाहते थे . क्योंकि मोदी कोई भी आए..,  चाहे स्वयं  नरेंद्रमोदी भी क्यों ना आए..  आम यात्रियों को  उनकी यात्रा-प्रताड़ना का कारण क्यों बनना चाहिए...?

पुत्रों के साथ गंगा-मां का भेदभाव क्यों.......?


    आखिर  नरेंद्रमोदी ही हैं  जिन्होंने  बनारस में जाकर  घोषणा की थी  कि मुझे गंगा मां ने बुलाया है,  तो अन्य पुत्रों के साथ गंगा-मां क्यों भेदभाव करते..,  उन्हें प्रताड़ित क्यों करवाती...  यह नरेंद्रमोदी की मंशा भी नहीं हो सकती.  तो फिर  तीर्थ यात्रा में  कुंभ में  करोड़ों रुपए का  खर्चा करने के बाद  अगर  यात्रियों को  तकलीफ-दे-परेशानी का सामना करना पड़ा, हिंदू नेता  व सन्यासी योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश  के लिए कदापि  गर्व करने की वजाये  शर्म करने की बात है..,  मन बहुत प्रताड़ित व दुखी था,  किसी तरह कुंभ की मर्यादा और आस्था को  अपने गैलन में भर कर  अपने कार पार्किंग तक मैं पहुंचा, तो टूट चुका था  दिल भी टूट गया था.  कि शायद  अगर ऐसे योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री, से जब तक  यात्रा की सुखद-गारंटी ना मिल जाए,  त्रिलोकीनाथ को  कभी  इन के क्षेत्र में  तीर्थ-यात्रा नहीं करनी चाहिए..?

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