सोमवार, 28 जनवरी 2019

जॉर्ज फर्नांडीज एक प्रेरणादायक ऊर्जावान संग्रह थे : त्रिलोकीनाथ


जॉर्जफर्नांडीज एक प्रेरणादायक ऊर्जावान संग्रह थे। 


George Fernandis at the
time of emergency
   ==================त्रिलोकीनाथ==================

आज सुबह 10 बजे जब मैं अपनी मा को तेल-मालिश कर रहा था, खबर बेटे शुभांश ने बताया जॉर्जफर्नांडीज का निधन हो गया है. मेरी माता ने भी सुना तो काफी दुखी हुई, दरअसल वे अक्सर मुझसे पूछती रहती, "ना रे.., जारे-फन्नारे(जॉर्ज फर्नांडीज ) का अ-वै जियत  है..?" यानी जॉर्ज फर्नांडीज अभी भी जीवित है, क्योंकि शायद जिन बड़े नेताओं का मेरे घर में अक्सर पिताजी भोलाराम जी गर्ग के रहते आना-जाना लगा रहता था, उनमें मेरी माता श्रीमती बैजंतीदेवी (92) कम लोगों को याद करती थी. जॉर्ज फर्नांडिस उनकी स्मृति चित्र पटल पर छाए रहे. मुझे भी याद है कि घर के आंगन में, खाट में जॉर्जफर्नांडीज भोजन करने के बाद बैठे हुए कार्यकर्ताओं से बातचीत करते. तब मैं बहुत छोटा था.
 1994 में विधानसभा चुनाव को कवरेज के दौरान कांग्रेस के संपर्क में आया, क्योंकि कांग्रेस ऑब्जर्वर पवनसिंह घाटोवर और चंद्रकांता दायमा मुझे प्रो-कांग्रेश विचारधारा का माना तथा कांग्रेस के साथ काम करने की राय दी. तब सुशीलकुमार शिंदे प्रदेश के प्रभारी थे, उन्होंने भी दिल्ली में अपने बंगले पर मुझे कांग्रेस के साथ काम करने का प्रोत्साहन किया. किंतु जल्द ही मैं समझ गया कि तत्कालीन कांग्रेश वह नहीं है जो देश की आजादी के दौर में जागरूक रही. राजनीतिक पृष्ठभूमि का होने के कारण राजनीतिक उत्साह व हमारी समाजवादी पृष्ठभूमि के जॉर्ज फर्नांडीज के नजदीक आ गया. उन्होंने अपने साथ काम करने को प्रोत्साहित किया. समता पार्टी में राष्ट्रीयकार्यकारिणी सदस्य बनाए जाने कि नजदीकी के कारण मैं जॉर्जसाहब के संपर्क में रहा.
George Fernandis at Shahdol
 वे राजनीतिक संत थे. डॉ राममनोहर लोहिया की सोच के बाद, समाजवाद किसी विचारधारा में वर्तमान में कैसे जीवित रहा यह जॉर्ज फर्नांडीज के संपर्क और सानिध्य में होने के कारण देखने को मिला. राजकोट के सम्मेलन में जब अवसर मिला तो भीड़ के कारण वे मंच से नीचे उतरने वाली सीढ़ी पर ही जमीन पर बैठ गए, ताकि बाकी समाजवादी भी उनके साथ बैठ सकें. तब वे देश के रक्षा मंत्री थे. मैं ठीक उनके पास नीचे की सीडी में बैठा था. मैंने उन्हें टटोलने के लिए उनके घुटने में हाथ रखा, उन्होंने मुझे देखा, मेरे शरीर में अजीब रोमांच हो गया, जैसे किसी बड़ी ऊर्जा ने मुझे देखा. वह राजनीतिक रूप से सिद्ध संत थे, यह मुझे आभास हुआ.
 उसके बाद समतापार्टी का पतन और जैसा कि राजनीति में धोखाधड़ी-विश्वासघात,कूटनीति की परिभाषा में समझे जाते हैं हुआ. वे शायद इन्हीं सब के कारण भूल जाने की बीमारी से प्रभावित हो गए और लंबे समय से बीमार थे.
न भूतो न भविष्यति
21वीं सदी में अपनी छोटी समझ से अगर परिभाषित करता हूं तो दुनिया का समाजवाद का सबसे बड़ा नेता भारत  ने खो दिया है. समाजवादी नेता जॉर्जफर्नांडीज का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बड़ी क्षति है. और उसे ही मेरी माता श्रीमती बैजंतीदेवी, जब चर्चा कर रही थी; तो परिभाषित कर रही थी. कि वे किस प्रकार से एक पल में ही जन-जन के नेता बन जाते थे. जॉर्जफर्नांडीज एक प्रेरणादायक ऊर्जावान संग्रह थे.
George Fernandis on Pokhran Site 
 संसद को बमविस्फोट से उड़ाने के आरोप लगने वाले जॉर्जफर्नाडिस ; भारतवर्ष को मजबूत दुनिया की ताकत के रूप में स्थापित करने के लिए पोखरण परमाणु विस्फोट का बड़ा नायक माना जाएगा. उन्होंने अपनी कुशल राजनीतिक प्रणाली से या कहें समाजवादी प्रणाली से प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेई के नेतृत्व का पूरा उपयोग किया और परमाणु संपन्न देशों की श्रेणी में ताकतवर देश के रूप में स्थापित करने के लिए दुनिया में भारत का परचम लहराया. बावजूद इसके परमाणु संपन्न कोई पांच देश दुनिया को अपनी मुट्ठी में बंधा न देख सकें , दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को आखिर यह अधिकार सुरक्षित करने का तो दावा बनता ही था. की भारत एक सर्वशक्तिमान परमाणु संपन्न देश है. और उसकी घोषणा पर विस्पोट ने मोहर लगाया था . ऐसे थे समाजवादी नेता जॉर्ज साहब, उनकी गिनती दुनिया के समाजवादी नेताओं में हमेशा होती रहेगी और हम जैसे लोगों के दिलों में वह हमेशा बने रहेंगे. इसलिए भी कि भारत ऐसे ही राजनीतिक संतो के भरोसे आगे बढ़ रहा है.
हालांकि आलोचक उन्हें तमाम प्रकार से आलोचना का केंद्र बनाते हैं, किंतु खासतौर से आर एस एस के नेता अटलबिहारी वाजपेई के नेतृत्व को स्वीकारने की आलोचना के लिए. किंतु राजकोट सम्मेलन में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था की आप सब मुझ पर आरोप लगाते हैं कि मैंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ हो लिया किंतु क्या आपको मालूम है कि भारत की सबसे बड़ी अनुशासनिक संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काम कर रहा है और यदि आप सबको लगता है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता गलत दिशा में काम कर रहा है या वह गलत है, तो क्या उसे ठीक करने के लिए हम उसके पास जाकर, उन्हें समझा नहीं सकते...? कि देश की राष्ट्रीय मुख्यधारा में कैसे चले.. आप क्या चाहते हैं कि क्या एक टुकड़ा भारत के अंदर और करने का काम हो...?” शायद वे आशंकित थे आर एस एस सही दिशा में काम नहीं कर रहा...? किंतु उनके इन प्रयासों को इसके लिए वे वियतनाम और अमेरिका के संबंधों का हवाला भी देते, कि किस प्रकार से वियतनाम के बड़े दुश्मन से विकास के लिए उनकी दोस्ती हो गई . जहां राष्ट्रीय हित का, राष्ट्रीय एकता की सोच की दूरदर्शी परिणाम देख रहे हो वहां फर्नांडीस हर प्रकार का जोखिम उठाने को तैयार थे...? और हम भी सहमत हुए, कि हां जॉर्ज साहब सही कह रहे हैं. आखिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग भी भारत के ही लोग हैं हम उनसे असहमत हो सकते हैं किंतु उनके साथ काम ना कर सकें, यह अपने आप को धोखा देना जैसा है. बाकी जिस को धोखा देना है, विश्वासघात करना है.. वह सेना के अंदर घुसकर.. प्रधानमंत्री भवन के अंदर घुसकर प्रधानमंत्री की हत्या भी करता है... इसलिए जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा. और सुधार भी लाने पड़ेंगे.

 इसलिए जॉर्ज फर्नाडीज हमेशा मेरे दिल और दिमाग में जगह बना पाए. मेरे अग्रज साथी सुरेंद्र शर्मा के घर सतना में जॉर्जफर्नांडिस का घरेलू रिश्ता उनके पिता श्री मुरलीधर शर्मा जी की विरासत के रूप में रहा, सुरेंद्र भाई ने कहा कि जब तक जॉर्ज फर्नांडिस है तब तक हमारी डोर समाजवाद से जॉर्ज के विचारों से जुड़ी रहनी चाहिए. जो डॉक्टर राममनोहर लोहिया के वैश्विक समाजवाद की डोर से जुड़ती है. और इस कारण हम उनसे लगातार संपर्क में रहे. अब यह एक अलग बात है किसी समाजवाद को हाईजैक करने वाले तमाम नेताओं ने जॉर्जसाहब को जातिगत तुष्टीकरण की राजनीति और आरक्षण के विशेष अवसर के जरिए दलित उत्थान का सपना देखने के विशेष अवसरों का दुरुपयोग, जातिगत वोट की राजनीति में बदल चुकी, आरक्षण की व्यवस्था के कारण कई भीतर घाट जवाब के साथ हुए उन्होंने जिन्हें बढ़ाया वहीं समाजवाद को सीमित करनेजिस कारण जॉर्ज फर्नांडीज के दिल और दिमाग में आंतरिक विश्वासघात उनकी बीमारी के रूप में शायद बदल गया..? और आज सुबह 88 वर्ष की उम्र पार करने के बाद जॉर्ज दुनिया से विदा ली. मेरी परम श्रद्धांजलि ऐसे राजनीतिक संत के लिए जिन्होंने अपने लिए कुछ नहीं सोचा, देश-दुनिया और राष्ट्रहित में समर्पित होकर राजनीति किया. यह हमेशा-हमेशा के लिए भारत के युवाओं को प्रेरणा देती रहेगी. जो राष्ट्रीय हित में अपने सरोकार को जोड़ने के लिए कुछ करने की सोच सकते हैं. उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.

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