कमलनाथ का मंत्रीमंडल
कांग्रेस में कीचड़ से कमल खिलाने का प्रयास
(त्रिलोकीनाथ)
तो
कांग्रेस सरकार की सर्कस में दो टाइगर एक “दांत और नाखून वाला”
तथा दूसरा सिर्फ “जिंदा-टाइगर” इन दोनों को टाइगर को कांग्रेस के सर्कस में संभालने का काम कमलनाथ
के लिए 2019 से ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि कौन सा टाइगर कब जीवित हो
जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. ये जंगल के वे टाइगर नहीं है जिनका अलग-अलग जंगल होता है, इन दोनों का जंगल एक ही है और यह
दोनों मिलकर कभी भी विधायिका पर हमला कर सकते हैं और एक नया सर्कस दिखा सकते हैं. यही चुनौती, दिग्विजय के अपने पुत्र के द्वारा
शिवराज सिंह का पैर-पड़ाते
हुए वायरल कराई गई तस्वीर का संदेश भी है. कमलनाथ इस संदेश को भली-भांति समझते भी हैं. बावजूद इसके मध्यप्रदेश में
मंत्रिमंडल में विंध्यप्रदेश के किसी भी टाइगर को टाइगर नहीं माना गया. चाहे वह अजय सिंह हो राजेंद्सिंह या
फिर या
फिर आदिवासी नेता बिसाहूलाल सिंह. यह
सब दिग्गी राजा कोटे में घायल विधायकों की तरह फड़फड़ा गए. बिसाहूलाल सिंह तो अपने लावलश्कर लेकर
कांग्रेस-सर्कस के सामने हो
हल्ला भी मचाते रहे. कमलनाथ
के तालाब की लहरों को दब गया अन्यथा एक तिहाई आदिवासी क्षेत्र वाले मध्यप्रदेश में
आदिवासी मंत्रियों की संख्या चार न रह जाती..?
बहराल
शहडोल में मानस भवन मैं उस वक्त सुशासन दिवस {(अटल बिहारी वाजपेई की जन्म दिवस) में पहुंचे शिवराज सिंह ने पुनः दहाड़ लगाई “टाइगर अभी जिंदा है” साफ-साफ कहा है कि 200/- से ज्यादा का बिजली बिल आवे तो मत भरो, हमारी योजनाएं अगर बंद की गई तो मैदान
में लड़ेंगे...
सुशासन दिवस पर अनुशासन भंग करने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सुशासन दिवस की
धज्जियां उड़ाते हुए पहली बार देखा गया. तो यह एक अंदाज था की मध्यप्रदेश की विधायिका में यह किस प्रकार की
चुनौतियां सामने आएंगी....?
अपने लिए तो इतना ही है की वीणा की संगीत में वीणा के तार जितने तने रहेंगे
लोकतंत्र उतना ही मधुर संगीत प्रदान करेगा.. यह आशा करनी चाहिए. और
2018 के अंतिम सप्ताह में नए वर्ष की यही शुभकामना इन तमाम “जिंदा टाइगरओं” से अपेक्षित होनी चाहिए.
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