भारतरत्न वापस लेने का प्रस्ताव दुर्भाग्यपूर्ण :
उदयप्रकाश
(त्रिलोकीनाथ)
शहडोल | नई किस्म की राजनीति का दावा करने वाली आम आदमी
पार्टी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारतरत्न पुरस्कार वापस लिए जाने
के प्रस्ताव पारित किए जाने से बौद्धिक स्तर के पढ़े-लिखे राजनीतिज्ञों की कार्यवाही 21वीं
सदी की सांप्रदायिकता का एक भिन्न रूप ही देखने में आया है. इससे कूटनीति के बहाने आम आदमी की भावनाओं के साथ
खिलवाड़ करने के नजर से भी देखा जा रहा है. जिस कारण से स्वयं आम आदमी पार्टी की सरकार में
वैचारिक मतभेद उठ खड़े हुए हैं. प्रसिद्ध उपन्यासकार उदयप्रकाश
दिल्ली सरकार की विधायिका मे भारत रत्न पुरस्कार वापस लौटाए जाने के संबंध में
पारित प्रस्ताव पर आश्चर्य व्यक्त किए हैं. बताते चलें कि हिंदी के चर्चित लेखक उदयप्रकाश ने कन्नड़ साहित्यकार और
विचारक एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने
की घोषणा की थी. और जिससे प्रभावित होकर पुरस्कारों के
लौटाने का जो सिलसिला चालू हुआ उसने मोदी सरकार पर संवेदनहीनता के कई प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए
थे. और नरेंद्र मोदी सरकार को असहिष्णुता
का संकट का सामना भी करना पड़ा थाउदयप्रकाश ने 2010-11 में अपनी कृति 'मोहन
दास' के लिए मिले साहित्य अकादमी पुरस्कार
को लौटाने की घोषणा की . तब कलबुर्गी की हत्या से आहत उन्होंने लिखा, "अब यह
चुप रहने का और मुँह सिल कर सुरक्षित कहीं छुप जाने का पल नहीं है. वर्ना ये ख़तरे
बढ़ते जाएंगे." "मैं साहित्यकार कलबुर्गी की हत्या के
विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ
लौटाता हूँ.उदयप्रकाश ने लिखा कि कलबुर्गी की हत्या ने उन्हें भीतर से हिला दिया
है.
“दिल्ली सरकार द्वारा राजीव गांधी से भारतरत्न वापस
लेने का प्रस्ताव दुर्भाग्यपूर्ण है. किन्ही राजनैतिक अथवा सामुदायिक पृष्ठभूमि के कारण
इस प्रकार से भारतरत्न की वापसी का प्रस्ताव पारित करना किसी भी सदन के लिए उचित
नहीं है. भारतरत्न
पुरस्कार व्यक्ति की किए गए कार्यों के मद्देनजर दिए हैं. विधायिका का किन्ही
निहित उद्देश्य के लिए इस प्रकार का हस्तक्षेप उचित नहीं है.”
उदय प्रकाश
विख्यात साहित्यकार/उपन्यासकार
दिल्ली विधानसभा मे शुक्रवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर एक प्रस्ताव को पास किया, जिसमें यह मांग की गई है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया गया भारत रत्न सम्मान वापस लिया जाए। हालांकि इस बीच, इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) में ही घमासान मचता दिख रहा है। AAP विधायक अलका लांबा ने बागी तेवर अपना लिए हैं। पार्टी ने अलकालांबा का इस्तीफा स्वीकार कर उनकी प्राथमिक सदस्यता रदद् कर दी है। AAP विधायक अलका लांबा ने एक ट्वीट कर कहा, 'दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया कि पूर्व पीएम प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी को दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिए। मुझे मेरे भाषण में इसका समर्थन करने को कहा गया, जो मुझे मंजूर नहीं था, मैंने सदन से वॉक आउट किया।
इन आरोपों के मद्देनजर पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सफाई देते हुए कहा पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में जो पंक्तियां हैं, वे सदन में पेश किए गए मूल प्रस्ताव का हिस्सा नहीं थी और एक सदस्य ने उस पर हाथ से लिखकर इन्हें शामिल किया था। भारद्वाज ने कहा कि इस तरीके से प्रस्ताव पास नहीं सकता। हालांकि, बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने दावा किया है कि राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लिए जाने का प्रस्ताव विधानसभा में पास हो चुका है और अब यह सदन की कार्यवाही का हिस्सा बन चुका है। विधायक जरनैल सिंह ने विधानसभा में प्रस्ताव को पेश करते वक्त राजीव गांधी के नाम का जिक्र किया और 'सिख विरोधी दंगों को का बचाव' करने के लिए कांग्रेस नेता से भारत रत्न वापस लिए जाने की मांग की। हालांकि, भारद्वाज के बयान के बाद जरनैल सिंह प्रस्ताव में सिख विरोधी दंगों को नरसंहार बताते हुए इससे जुड़े मामलों की तेजी से सुनवाई की मांग की गई है।
दूसरी तरफ, दिल्ली
कांग्रेस ने पूरे विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष
अजय माकन ने कहा कि राजीव गांधी ने देश के लिए अपना बलिदान दिया। उन्होंनेAAP को बीजेपी की बी टीम बताते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी
का असली रंग सामने आ गया है।
राजीव गांधी के खिलाफ प्रस्ताव से यह संभावित गठबंधन
बनने से पहले ही बिखर सकता है, इसीलिए आम आदमी पार्टी
तुरंत डैमेज कंट्रोल मोड में आ गई।
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