प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभवतः
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृत्रिम मेधा (एआइ)और 'डीपफेक' प्रौद्योगिकी से उत्पन्न चुनौतियों को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को मीडिया से आग्रह किया कि वे इन तकनीकों के कारण पैदा हुई चुनौतियों के बारे में लोगों को जागरूक और शिक्षित करें।……..तव पार्टी मुख्यालय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 'दिवाली मिलन' कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने गरबा महोत्सव में भाग लेते हुए अपना एक वीडियो देखा, जबकि उन्होंने स्कूल के दिनों से ऐसा नहीं किया है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, यहां तक कि जो लोग उन्हें प्यार करते हैं. वे भी वीडियो को एक दूसरे से साझा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे जैसे
-----त्रिलोकी नाथ-----------
विविधतापूर्ण समाज में 'डीपफेक' एक बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं और यहां तक कि समाज में असंतोष की आग भी भड़का सकते हैं क्योंकि लोग मीडिया से जुड़ी किसी भी चीज पर उसी तरह भरोसा करते हैं जैसे आम तौर पर गेरूआ वस्त्र पहने व्यक्ति को सम्मान देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृत्रिम मेधा के माध्यम से उत्पादित 'डीपफेक' के कारण………………………के उन्होंने कहा कि विकसित भारत और अर्थव्यवस्था से संबंधित विचार 25 वर्ष तक चर्चा के केंद्र में रहने वाले हैं और जिस तरह से देश प्रगति कर रहा है, लोग उसे स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने हाल माही में मध्य प्रदेश के शहडोल के आदिवासी क्षेत्र की अपनी यात्रा को याद किया जहां उन्होंने सु महिला स्वयं सहायता समूहों और युवाओं के साथ म संवाद किया था।
तो आखिर शहडोल में "एडवांस्ड इंटेलिजेंस" जैसी क्या स्थिति हैजहां पर लंबे अरसे बाद मेडिकल कॉलेज खोला जाता है तो 30-35 लोगों की जब कोविद कल में हत्या हो जाती है उसे दफन कर दिया जाता है क्या यही एडवांस्ड इंटेलिजेंस है.
शहडोल माफिया गिरी से घिरा हुआ बुरी तरह से शोषित समाज वाला क्षेत्र है जहां के तालाब और नदियां उसे दौर में बर्बाद हो रही हैं . प्रधानमंत्री आवासके निर्माण के नाम पर, तो कहीं सड़क के विकास के नाम पर..जंगलों कोयहां का रेंजर ही माफिया को खुलेआम अवैध रूप से बेचता है और ऐसे वन अधिकारियों का कुछ भी नहीं होता है ...जहां पर जनजाति समाज की जमीन खुलेआम बिक्री करता हैऔर कुछ नहीं होता है ,जहां पर पूरी सोन नदी मेंएक उद्योग ओरिएंट पेपरमें 30 वर्षों तक एकाधिकार बना कर रखता है और उसका एक पैसा भी देना मुनासिब नहीं समझता है...,जबकि पानी के लिए किसानों के खेतों को नीलाम करनेकी बड़ी-बड़ी कारवाहियां होती हैं....जहां पर रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी आधुनिक उद्योगपति बिना खनन अनुबंध के ही गैस खुलेआम निकलते हैंऔर उनका कुछ नहीं होता है.... ऐसे स्थान पर जहां पर सोन नदी, नर्मदा नदी, जोहिला नदी सहायक सैकड़ो नदियांऔर नाले विनाश होने की कगार पर हैं...जहां की हिमालय जैसी जड़ी बूटियां का जैव विविधता मेंस्वाभाविक उत्पादन होता रहा हो उसे विनाश करने के कोई अवसर नहीं छोड़े गए....ऐसी जगह में एडवांस्ड इंटेलिजेंस यानी मेधा शक्ति की बात की जाए तो आश्चर्य ही होता है.
क्या भारत को और दुनिया को शहडोल का सपना दिखा करके वह किस दुनिया में भारतीय लोकतंत्र को पत्रकारों के बारे में बताना चाहते हैं या तो वहां पर उपस्थित पत्रकार समाज पूरी तरह से गुलाम समाज हो गया था या फिर प्रधानमंत्री पत्रकारों की बुद्धि और विवेक से ऊपर आसमानी ताकत की बात कर रहे थे...यह बात शहडोल में रहने के बाद अनुभव से बोली जा रही है देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री किस एडवांस्ड इंटेलिजेंस के संदर्भ मेंशहडोल को याद कर रहे थे.....? या फिर लोगों को एक और जुमला फेंक रहे थे....? यह उनकी पहली पत्रकार वार्ता की पहलीबड़ी जुमला गिरी थी....इस पर हम चर्चा करते रहेंगे|
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(आलेख में पत्रकार वार्ता कहा गया दरअसल वह पत्रकार वार्ता नहीं थी दीपावली में अपने पसंदीदा पत्रकारों के साथ एक मिलन समारोह था इसे कृपया इस रूप में ही समझे)
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