पारदर्शी अवैध खनन से ग्रामवासी परेशान
जिला पंचायत अध्यक्ष के क्षेत्र मे सदस्य वग्राम वासियों ने लगाई गुहार
ब्योहारी क्षेत्र में माइनिंग माफिया अपने आसमानी उड़ान पर है क्योंकि शहडोल का माइनिंग अधिकारी प्रमोद शर्मा पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। फिर भी लीक होकर कुछ समस्याएं जिला स्तर तक पहुंच जाती हैं अब व्यवहारी क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य पुष्पेंद्र पटेल और रसपुर ग्राम पंचायत की जनता उनसे इत्तेफाक नहीं रखती उन्हें भ्रम हो गया था कि उनके क्षेत्र में संचालित रेत खदान मे अवैध गतिविधियां और स्वीकृत रेत खदान क्षेत्र से कई गुना ज्यादा रेत की गैर कानूनी खुदाई होने के कारण और परिवहन होने के कारण कई समस्याएं खड़ी हो गई हैं । जिस कारण वह लंबे समय से व्यवहारी एसडीएम और तहसीलदार के संज्ञान में धरना आंदोलन कर खनिज अधिकारी के संरक्षण में हो रहे पारदर्शी अवैध उत्खनन की कर्तव्यनिष्ठा पर वहां के प्रशासन को परेशान कर रहे थे ।
ग्राम वासियों का कहना है की खनिज क्षेत्र में अवैध कार्य प्रणाली के चलते पूरी सड़कें प्रभावित हो गई हैं और जानवरों की भी क्षति हुई है और तो और ग्राम वासियों का दुस्साहस इस स्तर पर आ गया कि उन्होंने अपनी परेशानी को लेकर जिला प्रशासन स्तर पर भी शिकायत की है की अवैध खनन माफिया की कार्यप्रणाली की जांच की जाए और किसानों तथा ग्राम वासियों को राहत दी जाए।
जिला पंचायत सदस्य पुष्पेंद्र पटेल के अनुसार कलेक्टर शहडोल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि मौका स्थल पर जाकर खनिज विभाग का अमला स्थिति की जानकारी देगा किंतु जिला पंचायत सदस्य को इस बात की भी शिकायत है की अपने शांतिपूर्ण धरना आंदोलन पर पुलिस ने उनके विरोध में कार्यवाही की है ।गौरतलब है की जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मिश्रा इसी क्षेत्र पपौंध की निवासी हैं और खनिज का मामला उनके विकासखंड से संबंधित है। क्षेत्र के विधायक शरद कोल नियमित रूप से संचालित अवैध खनन पर हमेशा मुखर रहे हैं। देखना होगा कि ग्राम वासियों के समक्ष पारदर्शी रूप से हो रहे गैरकानूनी रेत खनन और परिवहन को प्रमाणित करा पाने में खनिज विभाग और ग्रामवासी जांच के दौरान अपना कितना रंग बदलते हैं। क्योंकि अन्य क्षेत्रों में तो पेसा एक्ट लग जाने के कारण ग्राम वासियों के अधिकार अपने ग्राम क्षेत्र के संरक्षण के लिए प्रभावशाली तो हो गए हैं और बाकी जगह अवैध खनन में प्रबंधन भी ग्राम स्तर पर किया जाने लगा है किंतु व्यवहारी विकासखंड में पेसा एक्ट प्रभावित नहीं होने के कारण ग्राम वासियों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
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