गांधी जन्मोत्सव के मायने
भविष्य का
शहडोल याने
धनबाद...?
आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस है आज के दिन लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन है। इस दिन को इसलिए भी याद करना चाहिए कि ऐसे दो महापुरुषों का जन्म इस
दिन हुआ था। जिन की परिभाषा अगर गढी जाए, तो त्याग, तपस्या और बलिदान मे कहानियां लिखी जाती हैं। जो हमें बार-बार स्मरण कराती हैं कि भारत की आजादी को लेकर संघर्ष के मायने क्या थे। और आजादी के बाद असुरक्षा और आंतरिक हत्या का वातावरण गुलाम भारत से ज्यादा खतरनाक क्यों हो गया.. क्योंकि आजाद भारत में ही हमारे महापुरुष हमसे षड्यंत्रकारी परिस्थितियों से निर्मित हत्याओं के कारण ऐसे दो महापुरुषों को हमसे छीन लिया।
किंतु गांधी के विचार आज भी जीवित है जो दुनिया में मानवता के संदेश देते थे। ऐसे विचारों का आज जन्म दिवस है, उत्सव का दिवस है । हम प्रथमतः उदया तिथि को मानने वाले लोग हैं। क्योंकि सूर्य के उपासक हैं इसलिए जन्मोत्सव भी
है। पूरी दुनिया के लिए महात्मा गांधी प्रेरणा के प्रतीक बने हैं। इस अवसर पर सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई। आज ही हमारे परिवार में भी ब्रह्म मुहूर्त में एक बालक का जन्म हुआ है ।इस तिथि में जन्मोत्सव पर वह वैचारिक रूप में गांधी बब्बा के रूप में अंश स्वरूप है, ऐसा हम मानते हैं क्योंकि आस्थाओं के संसार में हम ऐसे ही हैं।
तो गांधी जन्मोत्सव 2 अक्टूबर की एक परिभाषा और हो सकती है "स्वस्थ लोकतंत्र, सहज लोकतंत्र और खुशनसीब लोकतंत्र" में हम इसे देख सकते हैं ।
क्या शहडोल की नजर में देखें तो नगर पालिका परिषद का भी चुनाव हो गया है इस तरह भारतीय जनता पार्टी को 25 वर्ष शहडोल पालिका परिषद मे सेवा करने के अवसर बनेंगे। क्योंकि चार पंचवर्षीय योजना में उनके धुरंधर अध्यक्ष श्रीमती गुप्ता, श्री सराफ, श्री जगवानी, श्रीमती कटारे के बाद भाजपा अब एक नए अध्यक्ष को चुनने जा रही है।
"भाजपा के बारात में ठाकुरै-ठाकुर ...."
तो लोक कहावत के तर्ज में देखें तो अध्यक्ष पद के दावेदार के लिए इस बार "भाजपा के बारात में ठाकुरै-ठाकुर चुनकर आए हैं...." । कहा जा सकता है अब भारतीय जनता पार्टी को अपने सर्वाधिक सक्षम लोगों की भीड़ में सड़क के गड्ढे ना ढकने का कोई कारण नहीं मिलेगा। अगर वह इमानदार समझ का प्रमाण देते हैं तो, अन्यथा पूर्व अध्यक्षों ने बेईमानी का प्रमाण पत्र जिस प्रकार से इंदिरा चौक से रमाबाई अस्पताल तक सड़कों में डिवाइडर या फिर अन्य प्रकार के स्थापित भ्रष्टाचार को लक्ष्य लेकर काम किया है उसी परंपरा को आगे बढ़ाने का महान कार्य करेंगे। क्योंकि अब यह सिस्टम के रूप में विकसित हो चला है और इस सिस्टम में तालाब और नदियों को विकास के नाम पर नष्ट करना, जैसे चौपाटी के सामने वाले तालाबों की हत्या की गई है। अतिक्रमण क्षेत्र बढ़ाने के लिए उसे ही आगे बढ़ाया जाएगा... यह देखना होगा ।
क्योंकि गांधी के लोकतंत्र में इस प्रकार का विकास का नकाब पहनकर विनाश की कल्पना नहीं की गई थी । इसलिए भी गांधी जयंती में इसकी समीक्षा जरूरी है। तो जैसे गांधी को वैचारिक रूप से आगे बढ़ाने वालों में जॉर्ज फर्नांडिस ने राजनीति की परिभाषा तय की थी कि "राजनीति का मतलब लोगों की सेवा" है। क्या लोकतंत्र के वोट से निर्मित राजनीति यह काम कर पा रही है..? शायद नहीं..।
ऐसा हमने शहडोल नगर पालिका क्षेत्र में अनुभव में पाया है। तो जो पाया है और जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी पांचवें कार्यकाल के लिए अपने अध्यक्षों की दौड़ की भीड़ में तमाम अध्यक्ष के लिए सक्षम लोगों को चुन कर लेकर आई है बावजूद कि उसे आधे शहडोल में यानी 39 वार्डों के 21 वार्डों में उनके अपने चयनित "राष्ट्रभक्त सदस्य, नागरिक उन्हें नहीं मिले ।और मजबूरन ऐसे नेतृत्व को या चयन समिति को दूसरे वार्ड के लोगों को आयात करके चुनाव लडाना पड़ा। तो इसकी समीक्षा भी जरूरी है।
अब चुने गए उम्मीदवार जो कमल छाप ब्रांड से चुनकर आए थे यह क्या कमल छाप ब्रांड के बाजारवाद से मुक्त होकर स्वस्थ लोकतंत्र के लिए काम करेंगे अथवा अपने मालिक के गुलाम रहेंगे ताकि भ्रष्टाचार लक्ष्य पूर्ति के लिए वे शहडोल की जमीन और प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद करते रहें जो उनके नजर में विकाश है....?
यह बात भी महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि जीत की भाषा में देखें तो 20 साल के विकास के अनुभव को मतदाता ने और तेजी से विकास करने के लिए अपना चुनाव किया है; ऐसा भाजपा का दावा हो सकता है।
अगर वे बेईमान होते या भ्रष्ट होते तो जनता उन्हें नहीं चुनती और उन्हें नकार देती। किंतु ऐसा हुआ नहीं।
तो यह मानकर चलें कि हर वर्ष बरसात में नया गांधी चौक जब तालाब के रूप में विकसित हो जाता है तो यह भारतीय जनता पार्टी का लक्ष्य गत विकास है, इसी तरह आरएसएस मुख्यालय को बनाने के लिए जिस तालाब को नष्ट किया गया उसका रकबा छोटा कर दिया गया नगरपालिका के धन यानी जनता के टैक्स के पैसे से तो वह भी विकास है, या फिर जहां-जहां तालाबों को नष्ट करके भारतीय जनता पार्टी के वोट बैंक की फसल खड़ी करने के लिए अतिक्रमण कराए गए हैं वह भी विकास है, या फिर चौड़े सड़कों को संकीर्ण बनाकर सरकारी धन का भ्रष्टाचार की बढ़ोतरी के लिए काम किया गया वह भी विकास है, इसी प्रकार के तमाम भ्रष्टाचार लक्ष्य का विकास पूर्ति के लिए जो भी काम किए गए हैं इन 20 वर्षों में ऐसे विकास कार्यों को जनता ने भी पसंद किया है।
इसी विकास क्रम में जैसा कि बता चुका हूं 300 से ₹400 प्रति मकान कचरा संग्रहण के नाम पर अथवा अब जो सीवर-लाइन "गुजरात इंडिया कंपनी" के कर्मचारियों द्वारा बनाई जा रही है उसके नाम पर भारी-भरकम राशि प्रति मकान लिया जाएगा या फिर तमाम तालाबों को नष्ट करके जल स्रोतों को नष्ट करके पानी के नाम पर ₹10 प्रति नल से बढ़ाकर डेढ़ सौ रुपए प्रति नल टैक्स वसूला जाएगा इन सभी प्रकार के विकास को जनता ने पसंद किया है। इसलिए भाजपा में अध्यक्ष बनने की होड़ में ज्यादा से ज्यादा करोड़ों रुपए की बोली अगर लग जाती है और काले धन का इस्तेमाल बढ़ जाता है तो बड़ी बात नहीं कह लाएगी।
हमें याद है जब पूर्व अध्यक्ष जगबानी जी लड़ रहे थे तब यह बात उड़कर आई थी कि दो करोड़ का बजट अध्यक्ष जी के लिए खर्च किया गया है स्वभाविक है नदी, नाले, तालाब, सड़क ,मकान निर्माण अनुमति इत्यादि के भ्रष्टाचार से ऐसे लक्ष्य की पूर्ति होती है तो कई करोड रुपए इकट्ठा किए गए।
खुश रहिए शहडोल लाइन अट्ठारह पार्षदों के साथ भाजपा अघोषित तौर पर बहुमत में है। चयनित पार्षदों में देखे तो शक्ति लक्ष्कार, राकेश सोनी, सुभद्रा सिंह, प्रकाश सोनी, डोली आदि क्योंकि इस बार एक साथ कई योग्य अध्यक्ष पद के दावेदार भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव जिताकर परिषद में लाया है। और उसी का अनुगमन कांग्रेस ने भी प्रत्याशी चयन में किया था। उन्हें भी भाजपा का ही सिस्टम मॉडल के रूप में लगा था स्थानीय नेताओं को।
क्योंकि भाजपा की शहडोल पालिका परिषद में यह रजत जयंती का वर्ष भी है इसलिए भी नई पालिका परिषद बधाई की पात्र कह लाएगी। उसे कुछ नया करके दिखाना चाहिए यह इस नई पालिका परिषद के लिए चुनौती होगी। उसके तमाम अध्यक्ष पद के दावेदारों के लिए भी चुनौती है कि वह अब सिस्टमैटिक-भ्रष्टाचार को लक्ष्य पूर्ति के लिए काम करेंगे अथवा अपनी योग्यता का उपयोग गांधी के लोकतंत्र के लिए काम करेंगे। ताकि प्राकृतिक संसाधन के साथ छेड़छाड़ ना हो और शहज व सरल, ना कि खून चूसने वाला नगर पालिका परिषद स्थापित किया जा सके।
जैसा कि पिछले 20 वर्ष में विकास क्रम में अद कचरे विकास में शहडोल नगर पालिका परिषद या नगर क्षेत्र में बहुत कुछ खो दिया है। यह बताना जरूरी होगा की एक कोयला खदान विशेषज्ञ उच्च अधिकारी ने शहडोल की भविष्य के कल्पना मे उसे भविष्य का बिहार का धनबाद घोषित किया है। जैसे धनबाद बर्बाद क्षेत्र है, वैसे शहडोल भी भविष्य का बर्बाद नगर हो सकता है... क्योंकि आसपास कोयले की खदानों का भरमार हो रहा है क्योंकि सरकार आदिवासी क्षेत्र में प्रकृति दत्त बहरहाल महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर हम सभी को बधाई देते हैं वह शुभकामना ही प्रकट कर सकते हैं कि स्वस्थ लोकतंत्र को बचाने में हम अपनी योग्यता का इस्तेमाल करें।
..........................( त्रिलोकीनाथ )......
अच्छा आलेख ।नए अध्यक्ष के विजन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा ।जैसी सोच,वैसी रूप रेखा ।
जवाब देंहटाएंआपके विचार किसी के लिए आलोचनात्मक हो सकते हैं...
जवाब देंहटाएंवास्तविक रूप से ये छदम विकास के लिए
आंतरिक पीड़ा थी...
जो एक सहर निवासी होने के चलते होना भी चाहिए...
#मेघों को देख कर आशान्वित हैं...
बरसें ना बरसें....
#खेत तो पड़ती पड़े ही है... 😴
आपका, बिंदु बार सुन्दर आलेख के लिए बहोत बहोत धन्यवाद...
गांधी बाबा जी जयंती शास्त्री जी की जयंती बहोत बहोत मुबारक 🙏