आखिर,
क्या मायने हैं
चुनाव परिणाम के..?
-----------------------( त्रिलोकीनाथ )---
आज नगर पालिका चुनाव परिणामों की घोषणा होगी। शहडोल नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 21 में करीब 800 वोट हैं करीब 617 वोट पड़े हैं। चुनाव परिणाम हमारे वार्ड में क्या सिद्ध करेंगे तो इसका पूर्वानुमान हमें लगाना चाहिए ।
तीन प्रत्याशी हैं एक कांग्रेसी, एक भाजपा और एक निर्दलीय। जातिगत और सांप्रदायिकता का
प्रतिनिधित्व करते हुए राजनीतिक दल कॉन्गस और बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा है। क्योंकि कांग्रेस मानती है कि जातिगत समीकरण में 617 मतों में करीब 130 मत सिंधियों के हैं जो 1947 के बाद विभाजन की पीड़ा से पाकिस्तान से निकलकर भारत में बसे हैं उनकी पीढ़ी है। उसमें से अपने एक अज्ञात प्रत्याशी को ढूंढ कर लड़ाया है। जो लोकल कांग्रेश में उनका अपना गुलाम प्रतिनिधि होगा। इसी तरह भारतीय जनता पार्टी ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के नाते अपने प्रत्याशी को बतौर गुलाम पेश किया है क्योंकि उनका किसी भी प्रकार से राजनैतिक कोई चिंतन नहीं है।
वे सीधे-साधे व्यवसायिक पृष्ठभूमि से आते हैं। दोनों ही राजनीतिक दल यह सोचकर प्रत्याशियों को खड़ा किए हैं कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के चुनाव में हाथ उठाने के काम में उनकी गुलामी करेंगे।
बहरहाल राजनीतिक पृष्ठभूमि से निर्दलीय प्रत्याशी विनीता चुनाव में खड़ी हुई है। चुनाव प्रक्रिया और मतदान पश्चात जो चर्चा निर्दलीय प्रत्याशी विनीता के संदर्भ में हुई उस चर्चा करना वार्ड के निवासियों की मन है इस मूल्यांकन स्तर का प्रतिनिधित्व करता है कि हम किस प्रकार के वोटर बन गए हैं। जाने अनजाने हम कहां पहुंचे हैं..? वैसे तो वार्ड नंबर 21 में बौद्धिक समाज के वोटर्स ज्यादा है इसलिए स्वाभाविक मतदान का मूल्यांकन भी होगा।
तो एक मतदाता का अभिमत निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में उन्होंने कहा कि बिनीता के पक्ष में जो भी मतदान होगा वह राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए परिवार के पक्ष में उसके सम्मान और लोकप्रियता को सिद्ध करेगा। क्योंकि निर्दलीय प्रत्याशी ने आज के दौर में चुनाव नहीं लड़ा है..?
तो प्रश्न उठा कि हां यह सही है की वार्ड नंबर 21 में भी सक्षम मतदाता बहुतायत होने के बाद भी 1000 से ₹3000 की कीमत में कुछ लोग बिक गए हैं, यानी पैसे का दौर भी चला है। और दोनों ही दलों ने यह धंधा किया है।
तो मतदाता ने टूटते हुए कहा, पैसे को छोड़िए; शराब का दौर ज्यादा महत्व रखता है। जो हमें आश्चर्यचकित कर गया कि पैसे से ज्यादा शराब आखिर क्यों महत्वपूर्ण हो गया है ...? तो कल के लिए शराब से आगे भी क्या वोटर को सप्लाई की संभावना भविष्य में बन सकेगी अथवा क्या हमारा बौद्धिक समाज जो शराब पर विश्वास रखता है उसे उच्च स्तर की शराब वोट पाने के लिए बतौर गिफ्ट देना पड़ेगा..? आदि आदि।
एक अन्य मतदाता की माने तो उन्होंने पाकिस्तान से आए सिंधियों और मुसलमानों की पीढ़ियों को एक हो जाने की बात पर बजन दिया। क्योंकि सिंधी प्रत्याशी कांग्रेस से है और मुसलमान भाजपा विरोधी होकर किसी फतवे के तहत और और जो पैसे से बिक सकते हैं उन्हें पैसे की ताकत से खरीद कर वार्ड नंबर 21 में सिंधी और मुसलमान आजाद भारत में अपना पाकिस्तान के लिए वोट किए। क्योंकि तथाकथित 130 सिंधी और करीब 75-80 मुस्लिम वोटर्स मिला दे तो 210 बोट के अलावा कुछ कांग्रेसी मानसिकता के वोटर भी एक हो जाएं तो 617 मतदान में वे चुनाव निकाल सकते हैं ।
एक अन्य मतदाता के विचार हिंदूवादी सांप्रदायिकता और पैसे की ताकत से भाजपा प्रत्याशी को उसके प्रबंधन के तहत चुनाव जीतने पर बड़ा भरोसा है, क्योंकि कांग्रेस के पास प्रबंधन शून्य है और भाजपा का पूरा कारोबार कुशल मार्केटिंग और प्रबंधन पर तथा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर टिका हुआ है ।
क्योंकि इतना तो सही है कि वार्ड नंबर 21 से यदि हिंदुत्व और सांप्रदायिकता ध्रुवीकरण के वोट, बीजेपी के प्रत्याशी को चुनाव परिणाम पर असर डालते हैं तो हिंदुत्व का राष्ट्रवाद को कोई फर्क नहीं पड़ना है और ना ही नरेंद्र मोदी और भाजपा की सरकार बननी अथवा बिगड़ने है। इसी तरह अगर आजाद भारत का पाकिस्तान याने सिंधी और मुसलमान वोट एक होकर याने जातिगत समीकरण और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एकत्र हो जाएं और कांग्रेसी जीत जाए तो भी कॉन्ग्रेस सत्ता पर भारत में नहीं आने वाली।
जो भी फर्क पड़ना है वह नगर पालिका में और उसकी तमाम भ्रष्टाचार पर कब्जा करने की नियत पर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वोट बैंक पर पड़ना है।
किंतु अगर विकल्प को विचार लेकर निर्दलीय प्रत्याशी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आया है वह जीततीं हैं तो वार्ड के मतदाताओं की बौद्धिक मूल्यांकन व उसके वैचारिक स्तर को प्रमाणित करेगा। जो 21वीं सदी के शहडोल में मतदाता का सैंपल क्या है ।
कुल मिलाकर निर्दलीय प्रत्याशी विनीता को पड़ने वाले वोट ही मूल्यांकन का पैमाना होगा। ऐसा वार्ड नंबर 21 के मतदान परिणाम के चश्मे से नगर पालिका परिषद शहडोल के निर्माण का नजरिया विकसित होगा और कुछ नहीं...
क्योंकि अगर 20 साल में ताकतवर भाजपा नगर पालिका परिषद में सही सड़क नहीं दे पाई, नालियों का निर्माण नहीं कर पाई ,तालाबों को व्यवस्थित इनपुट और आउटपुट वाटर रिसोर्स का विकास नहीं कर पाई, यानी तालाब कब्जा करा रही थी.. पानी की कीमत ₹10 से बढ़ाकर ₹150 प्रतिमाह और उससे ज्यादा जो सामने आ रहे हैं की प्रतिमाह 300 से ₹400 प्रति माह कचरा संग्रहण के लिए निर्धारित किए हैं इस डकैती पूर्ण योजना को आगे भाजपा बढ़ाएगी या कांग्रेश...?
यह भी नगर पालिका परिषद के मतदान से सिद्ध होगा। क्योंकि वार्ड नंबर 21, 19,20 अथवा 18 या फिर हनुमान मंदिर के टीले की बसाहट का पानी का बहाव किसी पार्षद के प्रयासों का महत्व नहीं है वह स्वाभाविक तौर पर नदी नाले में लुढ़क जाता है। हां, घरौला तालाब के अंदर पालिका परिषद के निर्वाचित पार्षदों के प्रयासों से जो गंदा पानी जा रहा है अथवा तालाब को बांट कर अतिक्रमण कराने के लिए पार्षदों ने जो वोटर्स के गुलाम पैदा किए हैं इस नुकसान को और कितना बढ़ाया जाएगा यह भी शहर के अन्य तालाबों पर चुनाव परिणामों से निष्कर्ष निकाला जाएगा।
ऐसा मानना चाहिए और इससे ज्यादा इस भेड़ चाल निर्वाचन प्रक्रिया से कुछ नहीं निकलने वाला। क्योंकि एक जागरूक प्रत्याशी की माने तो हम तो इसलिए जा रहे थे और हारेंगे भी। क्योंकि हमारी समझ में यह नहीं आया कि 6-7 रुपए प्रतिमाह रुपए समेकित संपत्ति कर देने वाला निवासी मकान-मालिक कैसे 300 से 400 रुपए प्रतिमाह कचरा उठान के लिए भुगतान कर सकता है...? इसे रोकना पालिका परिषद की आखिर क्यों पहली जिम्मेवारी नहीं होने चाहिए....? किंतु निर्वाचित परिषद सिर्फ भ्रष्टाचार लक्ष्य पूर्ति पर अभी प्रमाणित होती चली आई है तो वह ने भ्रष्टाचार अनुसंधान पर ही काम करेगी ऐसा भी क्यों नहीं समझना चाहिए...? क्या शहडोल का मतदाता वोट डालने पर यह सोच पाया यह बड़ा सवाल है......?
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