गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

शब्दकोश में छुपा है धर्म

 हमारे शब्दकोश भी भ्रम दूर करते हैं

 

अंबिया याने

 लाखों नवी का समुच्चय 

और अम्बा याने संदेश देनेवाली

(त्रिलोकीनाथ)

हालांकि धर्म-वर्तमान अतीत और भ्रष्ट राजनीति

 भी ज्यादा प्रदूषित हो चुका है। इसलिए धर्म की वर्तमान संदर्भ में व्याख्या करना अंधेरे में तीर चलाना जैसा। इसलिए उस पर टिप्पणी करना भी उचित नहीं है किंतु हिंदू मुस्लिम की दुकानदारी वर्तमान राजनीति कारों का धर्म हो चुका है। क्योंकि उसे इसी में ज्यादा धंधा दिखाई देता है। ज्यादा से ज्यादा भ्रामक फैलाव और उसमें मल्टीनैशनल्स के लिए कितना बिजनेस हो सकता है सत्ता में कैसे कब्जा बना रहा जा सकता है सिर्फ यह प्रयास होता है।

 किंतु आम आदमी के लिए धर्म की व्याख्या सिर्फ शब्दों की जादूगरी के अलावा कुछ समझ में नहीं आता। इसलिए नवरात्रि का दिन भी है तो हमारे पास एक पुस्तक उर्दू-हिंदी शब्दकोश को हम देख रहे थे।


 एक पेज में अंबा का जिक्र हुआ ।मां दुर्गा को उसमें हम खोज रहे थे। क्योंकि प्रचलित नाम अंबा आया। हमने देखा की पेज नंबर 17 में अंबा को उर्दू शब्द में "संदेश देना या सूचित करना के रूप में प्रदर्शित किया गया है। हमे रोचक लगा हम इसी में आगे बढे तो अंबिया का जिक्र आया जिसका अर्थ हिंदी में नवी का बहुवचन प्रदर्शित करके दिखाया गया।


तो नबी का नाम हमने जाना था जब नबी को 172 पेज में देखा तो वह देवदूत पैगंबर और रसूल के रूप में दिखाए गए थे। जो इस्लाम धर्म अल्लाह यानि परमात्मा के दूत हुआ करते हैं। इस्लामी भाषा में अंबिया कई दूतों की बहुवचन यानी समुच्चय के रूप में प्रदर्शित दिखाई गई है।

 ऐसे में अंबा या हमारी मां दुर्गा परम शक्ति की प्रणेता भी हैं।


और संदेश देने वाली हैं यानी कई नवी/ रसूलों की बहुवचन भी हैं।  तो इस्लाम धर्म में और हिंदू धर्म में फर्क कहां रह गया।

 स्थानीय खान-पान, रहन-सहन, उठक-बैठक, अस्त्र-शस्त्र, बोल-चाल आदि को छोड़ दें तो इस शब्दकोश के अनुसार इस्लाम और हिंदू धर्म में कोई अंतर नहीं है। शायद इसीलिए बलूचिस्तान में हिंगलाज पर्वत पर मां भवानी विराजमान है । वह अंबिया है वहां पर अंबा है। सर्वत्र शुभ हितकारिणी परमपिता परमात्मा /अल्लाहताला की आदिशक्ति की अंबिया है।

 बस धर्म के मूल को इतना सा समझना चाहिए।

 राजनीति का क्या है वह लूटने खसोटने और भ्रम फैलाने का उसी प्रकार का औजार बन कर रह गई है। जिस प्रकार धर्म दूर-दूर बसे हुए मानवता के लिए भ्रम फैलाने के औजार बन कर रह गए हैं।

 इसने मानवता कहां छुपी है यह ओंकार यानी शब्द में और शब्द की परिभाषा में व्यक्तिगत तौर पर देखना चाहिए। यही मां अंबा का अथवा अंबिया का लाखों लाख नबी का परमात्मा/ अल्लाह ताला का एकमात्र संदेश है।

 


नवरात्रि की बहुत शुभकामनाएं....

 जब कभी शब्दों में या धर्म में विभेद पैदा हो तब शब्द कोशो के जरिए उन्हें समझने का प्रयास करना चाहिए। अन्यथा भ्रम फैलाकर लूट लेने वाले डकैत सनातन युग से विद्यमान रहे हैं यह कोई नई बात नहीं है। अपने आसपास मानवता पूर्ण अपनी शांति अपना सुख अपना मनोभाव शब्दकोशओं में ही समझना चाहिए जो फिलहाल विलुप्त हो रहे हैं बाकी लाला अपने ही परिवार के हिस्से से निकले रूसी पुतिन के लिए यूक्रेन के अपने भाइयों की हत्या पर कैसे आमादा है यह सत्य भी हम वर्तमान में देख रहे हैं जो एक प्रकार का पागलपन भी है राष्ट्रवाद का पाखंड बनाकर पुतिन मानवता की हत्या कर रहा है उसके दूसरे रास्ते जबकि सुनिश्चित थे किंतु दुनिया में अपने हथियारों और बाजार में स्वयं को प्रदर्शित करने का अपने भाई की हत्या से ज्यादा और कौन सा रास्ता दिखता था जो अपनाया गया जो सर्वथा गलत है किंतु यही सत्य है तू जो परम सत्य है उसे निजी तौर पर ही समझना चाहिए पुनः नवरात्रि की बहुत शुभकामनाएं।


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