रविवार, 3 अप्रैल 2022

विंध्य निवासी होने का एक दीप जलाएं आज

 

विंध्यवासी होने का

 एक दीप जलाएं आज


मातृभूमि को शीश चढ़ाने 

जिस पथ जाएं वीर अनेक

कुछ ज्यादा नहीं करना सिर्फ यह एहसास करना कि कभी एक भारतीय आत्मा ने लिखा था 

"चाह नहीं मैं देवों के सर पर चढूं

 और इतराऊं;

 मुझे तोड़ लेना वनमाली

 उस पथ पर देना तुम फेंक,

 मातृभूमि को शीश चढ़ाने

 जिस पथ जाएं वीर अनेक...."

 इन भावनाओं को समर्पित हमारे देश के महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी का आज 4 अप्रैल को जन्मदिन भी है यह एक संयोग ही है जिस भावना को ज्वार को आप जिंदा रख सकते हैं क्यों कि यह सिर्फ कविता नहीं है यह अपनी मातृभूमि के कर्ज चुकाने का एक अवसर भी है। देश की आजादी के बाद भी अगर हम तमाम भरपूर प्राकृतिक संसाधन संपूर्ण संपन्नता के बाद भी बेरोजगारी-बेकारी और सत्ता की के नशे में डूबे हुए राजनीति की बद-नीति के शिकार हो रहे हैं। तब भी अगर हमारे जमीर में यह भावनाएं जीवित नहीं हो पा रही हैं कि हम क्या कर सकते हैं...? अपने मातृभूमि के लिए जो हमारा पालन-पोषण करने के लिए तत्पर हैं क्या हम कम से कम अपने विंध्य निवासी होने का फर्ज अदा नहीं कर सकते...?

 क्या हम कुछ नहीं तो हिंदू सनातन मान्यताओं में स्थापित इस कलयुग के राजा भगवान बजरंगबली महाराज जी के समक्ष एक दीप भी नहीं जला सकते कि वह हमारी अंधकार पूर्ण षड्यंत्रकारी व्यवस्था से हमें सही मार्ग दिखा सकें....

 यदि हम इतना नहीं कर सकते हैं तो हमने अपनी मानसिक गुलामी को स्वीकार कर लिया है और यह एक दुखद सोच भी होगी... संपूर्ण स्वतंत्रता, संपूर्ण स्वायत्तता और पूर्ण आत्म निर्भरता का आमंत्रण अगर कहीं निहित है और छोटे-छोटे राज्यों की संकल्पना में इसे किसी भारतीय दार्शनिक नेता अटल बिहारी बाजपेई ने सपने को रूप में देखा था तो क्या हम उस पर आगे नहीं बढ़ सकते...? 

यह ढेर सारे प्रश्न हैं जिनका समाधान किसी ने राज्य की संकल्पना में नहीं बल्कि हमारे विंध्य प्रदेश को मध्यप्रदेश में विलय करने के बाद अगर संभावनाएं विकास की विजय विनाश की ओर चली गई हैं भ्रामक वातावरण में हम भटक रहे हैं तो क्यों ना हमारा विंध्य प्रदेश हमें मिल जाना चाहिए ताकि सुशासन की संकल्पना को नए सिरे से पिरोया जा सके ।

और इसी संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए संयोगवश आज एक भारतीय आत्मा के जन्मदिवस पर उनकी कविताओं को समर्पित होकर भी हनुमान जी महाराज के सामने विंध्य प्रदेश निर्माण के लिए एक दीप जला कर सुंदर पाठ करना चाहिए। जिसे कई हिंदू सनातन धर्म के लोग आज विंध्य प्रदेश में करने जा रहे हैं आपकी क्या इतनी भी भागीदारी प्रदेश के पुनर निर्माण में होनी ही चाहिए। और यह बात हर विंध्य प्रदेश के रहने वाले नागरिकों को अपने अपने आध्यात्मिक धार्मिक वातावरण में अपने अपने आराध्य से प्रार्थना करना चाहिए। यही आज की "हमारा विंध्य हमें लौटा दो" का संपूर्ण स्वराज्य की शुरुआत कह लाएगी। क्योंकि यही एक भारतीय आत्मा पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की महान कविता का भाव था। हर व्यक्ति को शहीद हो जाने की आजाद भारत में एक दीप जला कर अपने गुरुद्वारों में अपने खुदा के सामने, अपने देवताओं के सामने, अपने गिरजा घरों के सामने प्रकाश करके भविष्य में इस प्रकाश में रहने का संकल्प भी लेना चाहिए क्योंकि इसी शुरुआत से हम संपूर्ण सुराज्य को पा सकते हैं यह बात विधायक नारायण त्रिपाठी और शहडोल के जयप्रकाश नारायण भी अपनी अपील में आमजन से कहते हैं


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