क्या भविष्य
अंधकार में है...?
( त्रिलोकीनाथ )
हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं बावजूद इसको देखने का प्रयास करते हैं की इस वैज्ञानिक कलयुग में अलग-अलग भविष्यवाणियां होती रहे हैं और भविष्यवक्ता अपने ज्ञान और अनुमान के हिसाब से उसे समझ पा सकते है। आज एक वीडियो सोशल मीडिया में चल रहा है जिसमें यह तर्क दिया जा रहा है की यदि 27 दिन में युद्ध समाप्त हो गया तब तो ठीक है अन्यथा भविष्य अंधकार में है। उसमें कितने सत्य होते थे कितने असत्य वह भी हम दिन प्रतिदिन देखते हैं किंतु आज एक वीडियो में जो भविष्यवाणी ज्योतिषियों के किसी सम्मेलन में कहीं पर बोली जा रही है इस पर शहडोल में एक द्विवेदी जी आए थे उनसे मेरी बात हुई थी उन्होंने यूक्रेन रूस युद्ध पर यही टिप्पणी की थी तब दिन और तिथि का जिक्र नहीं किया था किंतु यह कहा था कि यह युद्ध खतरनाक होगा ईश्वर मालिक है जब मैंने उससे पूछा था कि क्या युद्ध शांत हो सकता है उनका उत्तर यही था।
आज जब इस वीडियो को देखा तो मुझे लगा कि मैं शेयर कर दूं। क्योंकि यह भविष्यवाणी द्विवेदी जी की बातों की पुष्टि की है। ईश्वर करे यह सब गलत हो, किंतु हमने धार्मिक स्थलों को अनैतिकता झूठ पाखंड और वोट की राजनीति के साथ अनैतिक और गंदे धंधे के रूप में उसे अड्डा बना रखा है। इससे पतन तो निश्चित है। यह अलग बात है कि ऐसे मामलों में जो बातें कही जाती हैं वह अनाचारी शासक वर्ग का सिर्फ विस्तार करता है बड़ी सरल भाषा में इसे मनोरंजन की तरह ही लें । क्योंकि हमने झूठ पर विश्वास करना सीख लिया है हमारा लोक ज्ञान इसे सरल भाषा में इस प्रकार से कहता है
"रामचंद्र कह गए सिया से, इक दिन ऐसा आएगा... ; हंस चुनेगा दाना चुनगा, कौवा मोती खायेगा..."
इसे सिर्फ "हॉरर शो" के रूप में आनंद लेना चाहिए, जैसे यूक्रेन में रूस आनंद ले रहा है.. और बाकी दुनिया भी अमानवीय मानवता का यह भी एक रूप है। हालांकि है एक निराशावादी और हताशा वादी सोच भी है बावजूद इसके भारत की भूमिका इसे आशावाद में बदल सकती है किंतु इसका भी ईश्वर ही मालिक है....?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें