एक यक्ष प्रश्न....?
क्या इस टेस्ट को
आईसीएमआर का सर्टिफिकेट माना जाए...?
(त्रिलोकी नाथ)
कोविड-19 की महामारी के तीसरे दौर में नया इंडिया की कल्पनाकार हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का पहला इंटरव्यू करने वाले भारत के प्रथम फर्जी पत्रकार अक्षय कुमार एक अन्य चरित्र के साथ कोरोनावायरस की जांच के लिए एंटीजन टेस्ट हेतु एक कमर्शियल विज्ञापन मे कोविड-19
का टेस्ट के लिये वीडियो सामने आया है । जिसमें दावा किया गया है कि 20 मिनट के अंदर आप घर में ही बैठकर अपना कोविड-19 का टेस्ट चेक कर सकते हैं कि आप पॉजिटिव हैं या नेगेटिव हैं।
एक हिसाब से मानवीय दृष्टिकोण से भी इस कंपनी का यह एंटीजन टेस्ट का धंधा शायद करोड़ों अरबों खरबों रुपयों का कारोबार कर जाए क्योंकि डर का कारोबार बहुत फलता फूलता रहा है। पिछले 3 साल में यही अनुभव में आया है। किंतु इस प्रथम पत्रकार के द्वारा प्रायोजित इस विज्ञापन का बुरा पक्ष यह भी है कि अगर आप भी पॉजिटिव हुए और स्वयं को आइसोलेट कर लिए और इसी दौरान उस भीड़ का हिस्सा बन गए जिसमें लाखों भारतीय मौत की गोद में समा गए हैं यानी कोरोनावायरस वायरस से मर गए तो आपको कोविड-19 से शहीद होने का कोई सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा। बावजूद इसके की
आईसीएमआर भी इस विज्ञापन का समर्थन करती है। क्योंकि आईसीएमआर के द्वारा जारी टेस्ट रिपोर्ट में कोई सर्टिफिकेट आईसीएमआर का भी नहीं मिलने वाला है ।
और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की गाइड लाइन पर सिर्फ कोविड-19 के मृतक परिवार को
शासन से मिलने वाली अनुग्रह राशि उन्हीं को शहडोल की अनुग्रह राशि स्वीकृत करने वाली कमेटी दे रही है जिसके पास आईसीएमआर का आरटीपीसीआर सर्टिफिकेट उपलब्ध हो।
ऐसे में भारत के इस पहले पत्रकार का यह विज्ञापन कंपनी को करोड़ों अरबों का धंधा तो करवा सकता है किंतु भारत के शहडोल में कोविड-19 से मृत्यु होने वाले परिवार को मात्र ₹50000 की अनुग्रह राहत राशि नहीं दिला सकता..? यह अनुभव में आया हुआ तथ्य है। इसलिए प्रथम पत्रकार अक्षय कुमार की कही हुई झूठी बातों पर या विज्ञापन पर फसने की बजाए हमारा स्थानीय प्रशासन-शासन और जो बौद्धिक समाज में कमेटी में उपलब्ध लोग हैं उस ज्ञान के अनुसार आरटीपीसीआर की सुनिश्चित का सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए आरटीपीसीआर जांच के आधार पर ही कोविड-19 से ही जांच हो तो सुनिश्चित करें।
अन्यथा जैसे शहडोल के कई कोविड-19 से पॉजिटिव हो चुके और अनेक परिस्थितियों में मृत हो गए लोग के परिवार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बाद भी अनुग्रह राशि अथवा अन्य सहायता के हकदार नहीं होंगे वैसे ही ईश्वर ना करें मृत्यु के बाद आपके साथ भी धोखा ना हो....?
तो बेहतर होगा सोच समझकर भारत के प्रथम फर्जी पत्रकार अक्षय कुमार के विज्ञापन के झांसे में फंसे अथवा पहले यह तय हो जाए की किसी भी प्रकार के कोविड-19 पॉजिटिव से हुई मौत के बाद उसके या उसके परिवार को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुरूप दी जाने वाली अनुग्रह राशि अथवा अन्य लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा अन्यथा इस विज्ञापन में फंसने का मतलब पैसा देकर नई परेशानी ही खरीदना होगा या ज्यादा पैसा है तो इस विज्ञापन के टेस्ट के बाद भी rtpcr करा लेना चाहिए यही नया इंडिया का आदिवासी क्षेत्र का तजुर्बा है। शुभम मंगलम।
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