मामला एकलव्य( गुरुकुलम )का...
तो सजायाफ्ता,
ने दी
अना
धिकृत सजा....?
अगर न्यायालय का आदेश बरकरार है तो फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में दंडित कोई अधिकारी शहडोल जिले की गई गुजरी राजनीति के चलते न सिर्फ अफसर बनकर अफसरी चला रहे हैं बल्कि स्कूल और विद्यालयों में कर्मचारियों को अनाधिकृत तौर पर दंडित भी कर रहे हैं।
तो क्या यह बात शहडोल संभाग में आम हो चुकी है कि अगर आप सत्ता के संरक्षण में आ गए हैं तो भ्रष्टाचार कोई मायने नहीं रखता और उसकी सीमा कुछ भी हो सकती है अन्यथा शहडोल जैसे आदिवासी संभाग मुख्यालय में, जनजातीय गौरव मनाने वाली सरकार में खुलेआम पूरे अनैतिकता से अपने ईमानदार प्रमाण पत्र लेकर आम कर्मचारियों को भयभीत करने का काम कर सकते हैं। इन परिस्थितियों में यह प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर शहडोल के डीसी किस नेता के संरक्षण में गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दे रहे हैं जबकि वे स्वयं सजायाफ्ता हो चुके हो...? और आदिवासी मंत्रालय में बैठे हुए तमाम अफसर गण ऐसे अधिकारियों को आदिवासी मुख्यालय में आदिवासियों के उत्थान के लिए कैसे भेज सकते हैं..?,
किंतु सच यह है कि ऐसा हो रहा है हमने प्रयास किया कि शहडोल जिले में तमाम फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामलों की कोई बड़ी कार्यवाही क्या हो सकती है किंतु जब फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ही कोई अधिकारी बैठा हो उससे क्यों आशा करनी चाहिए कि वह इस पर कोई जवाब देगा और हुआ भी यही कि कोई जवाब नहीं दिया गया।
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