बुधवार, 3 नवंबर 2021

करोड़ों के भुगतान में चर्चित शिक्षा समिति का होगी जांच

 ट्राईबल में करोड़ों का घोटाला

चर्चित समिति का हो रही दोहरी जांच


कमिश्नर ट्राइबल कि जांच के अलावा जिलास्तर पर एसडीएम, एसी, तहसीलदार मिलकर करेंगेे जांच


पंचतंत्र की कहानी लोमड़ी जब धोबी के नील के ड्रम में गिर जाता है तो वह स्वयं को जंगल का शेर घोषित कर देता है और बरसात होने पर सब साफ दिखने लगता है तो क्या आदिवासी विभाग में बरसात होने वाली है और इसके नतीजों का भी इंतजार करना होगा क्योंकि जब कोई मंडल संयोजक अंसारी, तृतीयवर्ग कर्मचारी करीब 25 वर्षो से एक हीीीी स्थान पर पदस्थ पर आदिवासी विकास विभाग शहडोल का अनुदान बाबू भूषण की मदद से सिर्फ 6 महीने का प्रभार लेकर कैसे करोड़ों रुपए का गैरकानूनी आहरण कर लेता है..? इसको लेकर उच्च अधिकारी सहायक आयुक्त कार्यालय शहडोल की गतिविधियों पर गंभीरता से नजर बनाए हुए हैं। अब खबर आ रही है उपआयुक्त आदिवासी विकास के अलावा जिला स्तर पर एक अलग समिति का निर्माण करके पांडे शिक्षा समिति जैसीहनगर की भौतिक सत्यापन कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। जिसके तहत यह तय किया जाएगा कि मीडिया के माध्यम से जो बातें आदिवासियोंं के नाम पर अवधेश प्रताप सिंंह विश्वविद्यालय रीवा के एक प्रोफेसर द्वारा शहडोल आदिवासी क्षेत्रर में पांडे शिक्षा समिति बनाकर प्रदेश के विभिन्न जिलोंं में आदिवासी फंड का जो वारान्यारा किया गया है क्या जमीनी स्तर वह क्राइटेरिया को पालन किया था...? जबकि पांडे के द्वारा शासन से करोड़ों रुपयों का बजट व  भू-संसाधन आदिवासी के उत्थान के नाम पर जमकर न सिर्फ लिया बल्कि बंदरबांट किए जाने की चर्चा मीडिया मेंं चर्चित हुआ।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार के मध्यप्रदेश के ट्राइबल कमिश्ननर संजीव सिंह के निर्देश पर शहडोल उपआयुक्त आदिवासी विकास उषाअजय सिंह ने संबंधित फाइलोंं को संकलित कर सूक्ष्मता से तकनीकी जांंच करना प्रारंभ कर दिया है ।जबकि एक अन्य सूत्र बताते हैं भौतिक सत्यापन के लिए वर्तमान सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शहडोल, अनुविभागीय अधिकारी जैसीहनगर और तहसीलदार जैसिंहनगर कि समिति, पांडे शिक्षा समिति की भौतिक सत्यापन करेगी और यह सुनिश्चिचित करेगी की उपलब्ध संसाधनों का उपयोग आदिवासी छात्रों के लिये विहित गुणवत्ता के अनुरूप सुनिश्चिचित कराया जा रहा या फिर आदिवासी शिक्षा के नाम पर संसाधन और करोड़ों रुपए का बजट का आंशिक बंदरबांट हो रहा है ..? 

खबरोंं के अनुसार पांडे शिक्षा समिति द्वारा राज्य तथा केंद्र प्रवर्तित आदिवासी उपयोजना के तहत करोड़ों रुपये लेती है तथा 115 शिक्षकों के भारी-भरकम स्टाफ के साथ कार्यों का क्रियान्वयन करती है। भौतिक सत्यायापन के लिए बनाई गई समिति इस बात का भी जांंच करना होगा कि वास्तव में भौतिक स्तर में संबंधित छात्र संख्या व शिक्षक संख्या उपलब्ध है अथवा नहीं....?  शिक्षा समिति प्राइवेट स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षणिक संस्था के रूप मे स्वयं को पंजीकृत कराई थी।


 भौतिक सत्यापन से यह भी तय होगा कि इतनी बड़ी शिक्षा समिति स्थानीय शासकीय एजेंसियों के साथ कोर्डिनेट करके चल रही थी अथवा नहीं जबकि जिला शिक्षा केंद्र  द्वारा प्राइवेट शिक्षण संस्थानों मे ट्यूशन फीस के नाम पर बच्चों को भारी धनराशि उपलब्ध कराते है। यह अलग बात है कि प्राइवेट शिक्षा संस्थान इस राशि को उनके खंड स्तर के अधिकारियोंं के जरिए भ्रष्टाचार कर बंदरबांंट भी करते देखे गए। ऐसा प्राइवेट संस्थाओं के विभिन्न सूत्र बताते हैं। 

 क्योंकि अब यह बात भी उभर कर आ रही है कि एक तृतीय वर्ग कर्मचारी को सहायक आयुक्त का गैरकानूनी प्रभार देकर जो राशि आहरण करवाई गई है उसमें अंततः बड़ी चालाकी से कलेक्टर सत्येंद्र सिंह द्वारा नोटशीट में अपने अनुमोदन के साथ ही यह प्रदर्शित किया जाता रहाकार्यों का निष्पादन नियमानुसार किया जाए , तो अगर नियम विरुद्ध तरीके से कार्यों का निष्पादन तृतीय वर्ग कर्मचारी/ प्रभारी सहायक आयुक्त अंसारी द्वारा अथवा जिला कोषालय अधिकारी द्वारा किया गया है तो उसका दंड उन्हें ही भुगतना होगा या फिर इस उच्च संरक्षित भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए जांच की औपचारिकता पूरी की जाएगी यह जांच के निष्कर्षों से प्रदर्शित होगा। क्योंकि जिला शिक्षा केन्द्र (डीपीसी) में हुए भ्रष्टाचारो को इस धारणा से बल मिल गया था कि यदि कोई आईएएस अधिकारी अपने हस्ताक्षर से भ्रष्टाचार को संरक्षित करता है तो दूसरे आईएएस अधिकारी उसे दबाने का प्रयास करते हैं। इस मामले में शायद तृतीय वर्ग कर्मचारी को धोखा मिलेगा, अगर सूत्र विश्वसनीय रूप से पुष्ट होकर सामने आते हैं।

 फिलहाल तो यह स्पष्ट है की सहायक आयुक्त का प्रभार गैर कानूनी तरीके से तृतीय वर्ग कर्मचारी को दे कर करोड़ों का आहरण जिला कोषालय अधिकारी के कार्यालय में  भी होता रहा है। किंतु दो स्तर पर इस करोड़ों के घोटाले की जांच के निष्कर्ष क्या इसे प्रमाणित करेंगे यह भी देखना होगा...?



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