मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021

इति वोटतंत्र part-1

 इति वोटतंत्र part-1

खान का पुत्र खान, 

गंजहो का शिकार....?


(त्रिलोकीनाथ)

माइ नेम इज़ ख़ान वर्ष 2010 में बनी एक हिन्दी फ़िल्म है। फिल्म के मुख्य कलाकार शाहरुख खान और काजोल देवगन हैं। धर्मा प्रोडक्शन और


रेड चिलीस एंटरटेनमेंट ने 100 करोड़ के बजट में जिसके कारण ये 2006 में बालीवुड की सबसे महँगी फिल्म थी |

माइ नेम इज़ खान अंतर्राष्ट्रीय रूप से 12 फरबरी को रिलीज़ हुई |
इसकी रिलीज़ पर इस फिल्म ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए | ये फिल्म उस समय की सबसे कमाऊ  फिल्म का जन्म कथित तौर पर अमेरिका में शाहरुख खान के अपमान से जुड़ा है जहां उनकी चेकिंग हो गई थी।

 अब 11 वर्ष बाद  शाहरुख खान का पुत्र आर्यन खान , क्या खान होने की कीमत चुका रहा है ...?यह ड्रामा मुंबई की मायानगरी में उनकी गोदी-मीडिया के लिए टाइमपास चनेभुने के रूप में इंडियन टेलीविजन न्यूज़ चैनल पर भारत का मनोरंजन कर अपनी टीआरपी और धंधा कर लाभ कमा रहा है। क्योंकि भारत में कुछ उपचुनाव तो कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।  और चुनाव के धंधे में हिंदू-मुस्लिम की वोट बैंक पर यह कितना असर डालता है यह तो चुनाव के बाद दिखेगा।

ड्रग्स के कारोबार में बड़े-बड़े शहरों में छोटी-मोटी बातें होती रहती है बड़े-बड़े राजनेताओं अफसरों के बीच में करोड़ों के भ्रष्टाचार की चर्चा के केंद्र  का ड्रामा का मुख्य किरदार  "प्रिय गांजा" जिसे ऊंचे लोग के ऊंची पसंद की भाषा में "ड्रग्स" भी कहा जाता है। किसी यज्ञ में हवन करते वक्त जो धुआं उठता है उसमें तमाम प्रकार की आकृतियां बनती और बिगड़ती रहती हैं जिसे देवता बनाकर लोग तुष्टि का धंधा भी करते हैं इसका वास्तविक धरातल से बहुत ज्यादा महत्व नहीं होता कुछ इसी तरह भारत की राजनीति हाल की भ्रष्ट तंत्र का गौरवशाली विरासत के रूप में स्थापित है और एक अज्ञात देवता की तरह हमारे पूरे छत्तीसगढ़  उड़ीसा मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में विशेष कारीडोर  में कई भ्रष्ट लोकतंत्र के लोगों प्रिय गांजादेवता हर प्रकार के उच्च शिक्षित अशिक्षित गैर शिक्षित तथा अनपढ़ गवार परिवार को  पालता रहता है । जैसे इन दिनों मुंबई में चर्चित होकर भारत की राजनीति का हीरो कम खलनायक बना हुआ है । यदा-कदा उस पर कार्यवाही भी हो जाती है। क्योंकि इमानदार दिखने वाली व्यवस्था उसे प्रमाणित करना होता है और वह पकड़ जाता है। तो यह एक प्रकार से भ्रष्ट तंत्र का उतना ही लाभकारी "प्रिय गांजा" है जितना कि इमानदार देखने वाली व्यवस्था को रिकॉर्ड बनाने का "प्रिय गांजा" है। ऐसा हमारे शहडोल क्षेत्र में पुलिस विभाग का समाचार हेडिंग भी बन जाता है हाल में जब शहडोल पुलिस ने गांजा का बड़ा खेप पकड़ मीडिया में चर्चा का कारण बना तो एक पूर्व पुलिस अधीक्षक को उस पर एतराज था क्योंकि उससे भी बड़ा लोगों ने करोड़ों का खेप पकड़ाय जा चुका था ऐसा बताया गया तो ऐसा माने शहडोल में एक बड़ा गोदाम न्यायपालिका को गांजा के बरामद स्टाक के रूप में बनाना चाहिए क्योंकि गांजा तस्करों के परिवहन होते गांजा कारोबार में इन बरामद गांजा स्टॉक का भंडार बढ़ता जा रहा है।

 दुनिया के ढाई प्रतिशत लोग भारत में नशा-खोर है भारत में जिन संस्थाओं पर ड्रग्स नियंत्रण की जड़ों पर वार करने की जिम्मेवारी है उसमें एनसीबी।       


भी महत्वपूर्ण भूमिका रखती स्वापक नियंत्रण ब्युरो या नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), ड्रग तस्करी से लड़ने और अवैध पदार्थों के दुरुपयोग के लिए भारत की नोडल ड्रग कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसी है। एनसीबी के महानिदेशक भारतीय पुलिस

सेवा (आईपीएस) या भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के एक अधिकारी होते हैं।

 इन दिनो एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेडे तो फिल्मी स्टाइल में गोदी मीडिया के हीरो है तो खलनायक के रूप में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक हैं और लगे हाथ वहां की गैर भाजपा सरकार भी है। पिछले एक पखवाड़े से लगातार टीवी के परदे पर इस फिल्म में नया-नया रोमांच आ रहा है। किंतु हम लोगों के लिए उबाऊ है।

 श्रीलाल शुक्ल के प्रसिद्ध उपन्यास रागदरबारी कि केंद्र में एक गांव शिवपाल गंज का जिक्र आता है जहां से पूरे किरदार अपना प्रकाश फैलाते हैं शिवपाल गंज के रहने वालों को प्यार से गंजहा भी कहा जाता था। उसी तरह इन दिनों भारत में समाचार जगत में चल रही इस फिल्म का महत्वपूर्ण किरदार "गांजा भाईसाहब" का जलवा हमारे यहां बरकरार है। जब "हम होने" की बात करते हैं तो हमारे साथ यानी मध्य प्रदेश के साथ हम से टूटा छत्तीसगढ़ भी होता है जहां गांजा का कारोबार अपने रिकॉर्ड तोड़ता रहता है। और रिकॉर्ड तोड़ने की गति इतनी तेज होती है कि वह लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा की अपने पिता के धमकी  के अनुसार किसानों को सबक सिखाने के लिए आंदोलन में चल रहे किसानों को कायरों की तरह पीछे से कुचल कर मार डालता है। ऐसा टीवी वालों का कहना है। पुत्र मिश्रा जी जेल के अंदर हैं पिता मिश्रा जी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं। सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। अब यह संयोग ही है कि गांजा के तस्कर इस चर्चित किसानों की हत्या के मामले की राजनीतिक नाटक नौटंकी में जशपुर नगर में एक धार्मिक स्थल यात्रा में ठीक उसी स्टाइल पर गांजा पार्टी तेजी से गाड़ी चलाते हुए पीछे से लोगों को कुचलती हुई निकल जाती है



यह वीडियो लखीमपुर खीरी में कुछ चलते हुए किसानों की घटना से ज्यादा खतरनाक दिखती है इससे गृह राज्य मंत्री के बेटे का विवाद थोड़ा सा डाइवर्ट हो जाता है। किंतु इस खतरनाक विचलित कर देने वाले वीडियो के बाद हम लोगों की पुलिस यानी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की पुलिस मिल बैठकर गांजा के तस्करों को पकड़ने की कोई जड़ में मट्ठा डालने के कोई काम करता नहीं दिखाई देता। मामला जुलूस में मारे गए लोगों की मौत जा में हो हल्ला हो कर चुप हो जाता। किंतु आर्यन खान के मामला टीवी न्यूज़ चैनल में लगातार छाया रहता क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह के अधीन काम करने वाली एनसीबी की निष्ठा भारत सरकार की कर्तव्य निष्ठा ज्यादा दिखाई देती हमारे आदिवासी क्षेत्र तो राग दरबारी के शिवपाल गंज के गंजहों की बस्ती जो ठहरी।                   (शेष भाग 2 में)



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