बुधवार, 15 सितंबर 2021

शब्दों में एक अक्षर अर्थात ओंकार हूं

 शब्दों में एक अक्षर 

अर्थात 

ओंकार हूं 

चिंदी-चिंदी हो गई हिंदी,

इस हिंदी को समझो बंधु 

भगवान कृष्ण गीता के दसवें अध्याय में अपने विराट स्वरूप का प्रदर्शन करते हुए कहते हैं शब्दों में एक अक्षर अर्थात ओंकार हूं तो थोड़ा सा हम भी जान ले हिंदी सप्ताह में दुनिया के तमाम अक्षरों में एक अक्षर ओमकार का हमारे शरीर में क्या प्रभाव पड़ता है 

प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं।  इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।

01)  ॐ और थायराॅयडः- 

ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

02)  ॐ और घबराहटः-

अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

03)..ॐ और तनावः-

यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है। 

04)  ॐ और खून का प्रवाहः-

यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

5)  ॐ और पाचनः-

ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

06)  ॐ लाए स्फूर्तिः-

इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

07)  ॐ और थकान:-

थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

08) .ॐ और नींदः-

नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।

09) .ॐ और फेफड़े:-

कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

10)  ॐ और रीढ़ की हड्डी:-

ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।

11)  ॐ दूर करे तनावः-

ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।                      (संग्रहण पत्रिका)





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