गुरुवार, 2 सितंबर 2021

क्यों बने विंध्यप्रदेश.... (त्रिलोकी नाथ)

क्यों बने विंध्यप्रदेश....

दमन,शोषण और भ्रष्टाचार के विकास की कल्पना की नई


उड़ान, नया नगरनिगम...?




(त्रिलोकी नाथ)

 अगर वायरल हो रहा मध्यप्रदेश शासन का यह परिपत्र फेक न्यूज़ नहीं है तो मतलब साफ है की शहडोल जिले की धनपुरी, बुढार और प्रसव पीड़ा पर जन्म ले रहा नगर पंचायत बकहो  जो कि मध्य प्रदेश की अब तक सबसे बड़ी ग्राम पंचायत के रूप में रहा है इन सब को मिलाकर नगर निगम बनाकर विकास की रूपरेखा सरकार के सपना में हिचकोले भर रही है। मध्य प्रदेश शासन के अधिकारी ने शहडोल कलेक्टर को इस बाबत कल 2 सितंबर को पत्र लिखा । ठीक ही है ऐसा हो जाने से शायद छोटे-छोटे निम्न स्तरीय भ्रष्टाचारिओं को विराम मिले और बड़े भ्रष्टाचार की संभावना पैदा हो सके । क्योंकि धनपुरी का बहुतायत हिस्सा एसईसीएल कॉलोनी क्षेत्र में आता है तो कभी एशिया की सबसे बड़ी कागज कारखाना के रूप में स्थापित ओरियंट पेपर मिल का पूरा क्षेत्र नवजात नगर पंचायत बकहो हिस्सा है। सिर्फ बुढ़ार ही नगर निवासियों  की ऐतिहासिक शोषण की दास्तान है। जहां विकास का कोई मॉडल दिख रहा है तो पूरे क्षेत्रों में प्राकृतिक तालाबों के विनाश के रूप में देखा जा सकता है।


बुढार का राम मंदिर का तालाब जितने भी बौद्धिक प्रकार के प्राणी हैं उन सब के सम्मिलित प्रयास का विनाश का स्वरूप है। शायद नगर निगम बनने से इस तालाब को पूरी तरह से पाटकर जल्द विनाश कर दिया जाए और विकास का नया रास्ता खुल सके।

क्योंकि टुकड़े टुकड़े में इस मंदिर ट्रस्ट की पूरी प्रॉपर्टी मिलजुल कर लगभग नष्ट कर दी गई है। तालाब अंतिम प्रयास होगा।

बाकी में भगवान श्री राम का कब्जा बरकरार है कुछ इसी अंदाज में आने वाली नई व्यवस्था अपने हिसाब से विकास करें।

 क्योंकि कम से कम नगर निगम में जो अधिकारी आएगा वह पढ़े-लिखे होने की अपेक्षाकृत योग्य डिग्री रखकर आएगा। तो जिन लोगों ने अभी तक विकास के मील के पत्थर गाड़े हैं उनसे एक कदम आगे विकास करेगा। विकास का यह मॉडल यह प्रस्तावित नगर निगम का एक पक्ष होगा।

 दूसरा पक्ष सकारात्मक विकास के लिए होगा जो उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त अधिकारी की निजी योग्यता पर निर्भर करेगा। और यह बात इसलिए भी कही जा रही है कि अगर तीन-तीन परिषद और तीन-तीन अधिकारी विकेंद्रित तौर पर विकास के रास्ते पर नहीं कर पा रहे हैं तो एक योग्य अधिकारी क्या झंडा गाड़ लेगा...? सिवाय इसके की भ्रष्टाचार का केंद्रीकरण हो जाएगा ।किंतु आदिवासी क्षेत्र में इस प्रकार के चिंतन का और मंथन का सिर्फ मनोरंजन ही होता है क्योंकि जो होता है वह सामने दिखता है ।और दिख भी रहा है। तो देखते चलिए जबतक तटस्थ होकर पृथक होकर, किसी प्रथक सत्ता के नजदीक लोकतांत्रिक दबाव का निर्माण नहीं होता है तो सिर्फ भ्रष्टाचार की परंपरा निर्वहन हेतु आदिवासी क्षेत्र में प्रयोग किए जाते हैं।

 बेहतर होता कि काल्पनिक विंध्य प्रदेश को पुनः स्थापित किया जाए जो कभी मूल रूप से शहडोल नगर के प्रथम मुख्यमंत्री शंभूनाथ शुक्ला के नेतृत्व में विकास के आयाम खड़े किए थे। जिस पर आज भी हम विकास का मॉडल देखते हैं। अगर पृथक विंध्य प्रदेश अपने अस्तित्व में आता है तभी हम लोकतांत्रिक अस्तित्व की परंपरा में कुछ नया देख पाएंगे अन्यथा लकीर के फकीर की तरह जिंदा रहेंगे। शोषण और दमन के नए-नए रास्तों की प्रयोगशाला बनते रहेंगे ....



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