🤗बहुप्रतीक्षित भाजपा कि शहडोल जिला ज॔बो कार्यकार्णी अंततः घोषित
😯-भाजपा संगठन में पुनःखारिज किया विशेष आदिवासी क्षेत्र की संविधान की व्यवस्था
🙁 -तीन विधायक और एक सांसद भी मिलकर कार्यकारिणी में नहीं दिला पाए आदिवासियों को उनका हिस्सा...
😪आदिवासियों का प्रतिनिधित्व आर्मो के पास
😎कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज बने जिला भाजपा कोषाध्यक्ष
🤔शैलेंद्र को मिला पुनः मीडिया का दायित्व
अंततः कमल प्रताप कि भारतीय जनता पार्टी की जिला कार्यकारिणी जंबो जेट की तरह जिले में उतर गई।
करीब एक सैकड़ा संगठन पदाधिकारी व कार्यकारिणी के सदस्यों में शहडोल विशेष आदिवासी क्षेत्र की संवैधानिक
व्यवस्था को लगभग खारिज कर दिया गया ।
29 पदाधिकारियों में सिर्फ एक पदाधिकारी आदिवासी बनाए गए हैं। जो बताता है की भलाई संविधान ने विशेष आदिवासी प्रक्षेत्र की हैसियत बीसवीं सदी में ही शहडोल को दे दी हो और पांचवी अनुसूची में शामिल करके, उसे आदिवासियों के हित में सुरक्षित व सुनिश्चित करने का काम किया हो किंतु अभी तक यानी 24 साल बाद भी नागरिकों की मानसिकता ने आदिवासियों को संगठन में स्वीकार नहीं किया है।
यह बात सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के साथ लागू नहीं होती उतनी ही तत्परता से कांग्रेस में भी दिखाई देती है। अगर आरक्षण की व्यवस्था ना
हो तो शायद ही इस बहुसंख्यक समाज का पार्टी संगठन के अंदर कोई जगह होगी। कम से कम कमल प्रताप सिंह के घोषित जंबो संगठन
कार्यकारिणी में प्रदर्शित होता है । कार्यकारिणी में संविधान की मंसा को लगभग खारिज करते हुए 90 पदाधिकारियों में सिर्फ 7 पदाधिकारी आदिवासी वर्ग के बनाए गए हैं। पदाधिकारियों में मनोज आर्मो को रखा गया है जबकि छह कार्यकारिणी में शामिल किए गए हैं। अनुसूचित जाति के एक भी पदाधिकारी नहीं बनाया गया है। जबकि ओबीसी से यानी पिछड़ा वर्ग के 6 पदाधिकारी और 13 ब्राह्मण 3 ठाकुर 6 बनिया पदाधिकारी बनाए गए हैं। जबकि कार्यकारिणी में 17 ब्राह्मण चार ठाकुर 17 बनिया दो अनुसूचित जाति और 6 अनुसूचित जनजाति तथा 12 पिछड़ा वर्ग से लिए गए हैं। इस तरह कुल मिलाकर देखा जाए तो 90 सदस्यों वाली इस जिला कार्यकारिणी में 59 लोग अनारक्षित हैं और शेष आरक्षित वर्ग के हैं।
बहरहाल प्रभावशाली व्यवसायिक संगठन कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज गुप्ता को जिला कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण दायित्व जिला कोषाध्यक्ष का सौंपा गया है। जबकि मीडिया का काम पुनः शैलेंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में दिया गया है।
अनारक्षित वर्ग को विशेष तौर से ब्राह्मणों को ज्यादा तवज्जो दी गई है बावजूद इसके ब्राह्मणों का हित पार्टी का नेतृत्व संगठन नहीं कर पा रहा है तो यह पार्टी संगठन दिखावे का संगठन रह जाएगा अथवा उन गुलाम और बंधुआ मजदूरों का संगठन रह जाएगा जो अपने प्रतिनिधित्व और दायित्व का निर्वहन स्वतंत्रता पूर्वक नहीं कर सकते। बहरहाल सभी पदाधिकारियों को बधाई व शुभकामनाएं जो भी हैं जैसे भी हैं समाज हित में सकारात्मक कार्य करते दिखाई देंगे। क्योंकि पार्टी संगठन ने अनारक्षित वर्ग के लोगों को पर्याप्त तवज्जो दिया है जो उनकी एक कठिन परीक्षा भी है
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