रविवार, 11 अक्तूबर 2020

देश पहले पायदान पर, शहडोल पांचवें स्थान पर..,बावजूद प्राथमिकता में घंटा...( त्रिलोकीनाथ)

आभाषी दुनिया में देश पहले पायदान पर तो प्रदेश में शहडोल पांचवें स्थान पर....., बावजूद प्राथमिकता में घंटा....

(त्रिलोकीनाथ)
पौने चार करोड़ दुनिया की कुल कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा वर्ल्डोमीटर बता रहा है अनुमान की दुनिया में अकेले भारत इस आंकड़े के इर्द-गिर्द है...इन सबके बावजूद भारतीय सरकार की नजर में अयोध्या में घंटा लगाने का काम सर्वोच्च प्राथमिकता में एक है ताकि रामराज्य आ सके .....

 यूं तो भारत दुनिया का सर्वाधिक कोरोनावायरस से संक्रमित राष्ट्र बन चुका है यह अलग बात है कि भारत की स्वास्थ्य सेवाएं इसे सरकारी आंकड़ों में प्रदर्शित नहीं कर रही है क्योंकि ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ गुजरात में अंतिम सबसे बड़ी सर्वजनिक सभा किए थे और इसके बाद कोरोनावायरस दोनों ही राष्ट्रों में एक साथ विकसित हुआ था

चीन जो दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है और कोरोनावायरस कोविड-19 का जन्मदाता भी, उसने इस वायरस को सीमित क्षेत्र में नियंत्रित कर स्वयं को  संक्रमित राष्ट्रों की सूची में 49 में स्थान पर ला खड़ा कर दिया है,जो उसकी सफलता का प्रतीक है| यह अलग बात है कि कोरोनावायरस जैविक रासायनिक अस्त्र से कमजोर नहीं है और यह एक खतरनाक प्रयोग भी है किंतु भारत में इस लड़ाई में स्वयं को पराजित मान लिया है यही कारण है कि भारत में जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी प्रेसिडेंट-डिबेट में कहां है कि संक्रमित व्यक्तियों के आंकड़े छुपाए गए हैं..., उनकी बातों में काफी हद तक सच्चाई प्रकट होती है।


 अमेरिका ने अपनी कुल आबादी का 35% से ज्यादा लोगों की कोरोनावायरस टेस्टिंग की है जबकि भारत में सिर्फ 6.5 % प्रतिशत आबादी की टेस्टिंग की है और 35% टेस्टिंग के बाद वर्तमान में भारत अमेरिका से सिर्फ 9लाख  संक्रमित व्यक्तियों के आंकड़ों में पीछे है| भारत, समान रूप से चलते हुए 35% लोगों की टेस्टिंग किया होता तो करीब 6 गुना आंकड़े भारत के संक्रमित लोगों के बढ़ गए होते..... इस प्रकार भारत दुनिया का सर्वाधिक संक्रमित राष्ट्र के रूप में स्थापित है|





 और इस सच्चाई को स्वीकार करने की बजाय भारत में भयानक आपदा या जैविक हमला के दौर में भी लोकतांत्रिक पद्धति को कमजोर कर के आर्थिक उपायों पर अपनी सहमति व्यक्त करता नजर आ रहा है..?

इस तरह दुनिया का सर्वाधिक संक्रमित राष्ट्र होने के बावजूद भी भारत अपनी लोकतांत्रिक ताकत को कमजोर करता नजर आ रहा है। बहरहाल यह दुनियादारी की बातें मानकर हमें अपने आदिवासी अंचल के बारे में थोड़ा चिंतन करने की जरूरत है| कि क्या हम विश्व के इस जैविक हमले में आदिवासी क्षेत्र होने के नाते किन हालातों में गुजर रहे हैं.... और किस प्रकार से हम अपनी स्वतंत्रता खासतौर से स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सतर्क है... क्या.? 

 तो आइए देखते हैं मध्यप्रदेश के तुलनात्मक आंकड़ों में शहडोल कहां है..? जिस प्रकार से दुनिया की नजर में भारत दूसरे नंबर पर है उसी तरह मध्यप्रदेश की नजर में भारत शहडोल जिला 13वें स्थान पर है

किंतु वास्तविक परिवेश को दिखाएं तो शहडोल4 अक्टूबर को कोविड-19 में दर्शाए गए उसमें शहडोल का 14 वां स्थान प्रदर्शित किया गया था जो इस प्रकार से है

वर्तमान में 11 अक्टूबर को शहडोल 13 में स्थान पर प्रदर्शित हो रहा है किंतु वास्तव में शहडोल क्षेत्र  मध्यप्रदेश में सर्वाधिक संक्रमित पांचवा क्षेत्र है विंध्य क्षेत्र का शहडोल जिला  अब तीन टुकड़े में राजनीतिक कारणों से बांध दिया गया है जिसमें उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिला शामिल है इस तरह संयुक्त रूप से यह आदिवासी क्षेत्र शहडोल संभाग के रूप में स्थापित है 



सर्वाधिक तथाकथित आदिवासी कल्याण की योजनाएं और जन हितैषी कार्य के समर्पण के बावजूद शहडोल क्षेत्रमैं जहां माइनिंग माफिया अपनी चरम सीमा पर खनिज संपदा को लूटने में व्यस्त है जहां सरकारी वन विभाग के रेंजर पुष्पा सिंह के वीडियो खुलेआम वायरल हो रहे हैं कि वह किस प्रकार से खनन माफिया के साथ गठजोड़ करके जंगलराज कायम करते हुए वन क्षेत्र की खनिज संपदा का लूट मचाए हुए हैं|


जिसका बटवारा वह उच्च स्तरीय अधिकारियों के साथ करती रहती है| ऐसे क्षेत्र में प्रमाणित क्षेत्र में आदिवासी बाहुल्य जनसंख्या वाले क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति नेताओं की क्या निष्ठा है..?
क्या 2-2  कैबिनेट मंत्री वाले और एक पूर्व आदिवासी मंत्री तथा एक वर्तमान आदिवासी मंत्री कल्याण मंत्री होने के बावजूद क्यों शहडोल मध्य प्रदेश का सर्वाधिक पांचवां बड़ा कोरोनावायरस संक्रमित क्षेत्र बन गया है...? इसके लिए आखिर कौन जिम्मेवार हैं, एक भी नेता क्या मेडिकल कॉलेज में जाकर वर्तमान हालत को देखने का साहस किया है, शायद नहीं...? इस कारण जो प्रताड़ना मरीजों को झेलनी पड़ रही है उसके लिए क्या संभव उपाय किए जाए|
 दुनिया का सबसे बड़ा सीबीएम गैस का भंडार रखने वाला क्षेत्र, क्या दुनिया की उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं ko दे पाया...?
 कोयला भंडार रखने वाला क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में दलित क्यों है...? या फिर वर्तमान में कोयला और माफिया कुछ जंगली माफिया कुछ छोड़ दें तो सैकड़ों बरसों की विरासत में पड़ी हमारी रेत की खदान  चाहे जंगल के क्षेत्र में हो अथवा राजस्व क्षेत्र में लूटपाट के बड़े अड्डे बन गए हैं...? इन्हें कोई कोरोनावायरस का खतरा महसूस नहीं होता .../ खदानों का लाभ स्थानीय व्यक्तियों के लिए न की तरह है, बाहरी व्यक्तियों के लूटपाट का शहडोल स्वर्ग बना हुआ है..? मनमानी तरीके से रेत के रेट बढ़ाना, जैसा कि रेंजर पुष्पा सिंह ने वीडियो में कहां है उस हिसाब से खुली लूट का निमंत्रण देना... सरकारी कर्मचारियों की फितरत बन गई है| नेताओं की इस मामले में और भी खतरनाक है..? चुनाव के वक्त अगर यह मुद्दा नहीं बन पाए हैं...? इसका मतलब है कि शहडोल पूरी तरह से माफियाओं के गुलामी को महसूस कर रहा है ...और नेता और अधिकारी इनके राग दरबारी बने हुए हैं |माफिया राज शहडोल में इसलिए बन पाया है क्योंकि यह 16 वर्षों के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की गोद लिया हुआ क्षेत्र है ..?यह हम नहीं कह रहे हैं| खुद शिवराज सिंह ने इस चीज का दावा किया था , उन्होंने गोद लिया हुआ है|
 क्या मुख्यमंत्री जब किसी क्षेत्र को गोद लेता है तो वहां पर माफियाओं का स्वर्ग राज कायम हो जाता है...? कम से कम इस आदिवासी क्षेत्र में 2-2 कैबिनेट मंत्रियों की उपस्थिति के बाद यही आभास हो रहा है| 
तो आइए देखें कि अब इतने  माफिया के बावजूद क्या कारण है कि स्वास्थ्य सेवाओं में शहडोल क्षेत्र मध्यप्रदेश का सर्वाधिक पांचवा संक्रमित क्षेत्र क्यों बन गया है...? उसकी तुलना बड़े शहरों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर के स्तर पर होने लगी है|

रह गया किसी भी लोकतांत्रिक पद्धति को बाहर से मॉनिटरिंग करने वाला उस का चौथा स्तंभ तो वह है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की नजर में देखें तो भैंस के आगे बीन बजाता हुआ नजर आ रहा है

और खुद एक कोरोनावायरस बंद कर बनकर  स्वयं  अस्तित्व की लड़ाई  लड़ रहा है  उसका कोरोना  का रूप  राजनीति खिलौना बन गया है..  कभी  मुंबई की सड़कों में कभी उत्तर प्रदेश के हाथरस में हैं तो कभी  राजस्थान के करौली में मौत का नंगा जश्नन मना रहा है... स्वयं गिद्ध की तरह उतर कर पत्रकारिता को तार-तार कर रहा है... ऐसे में कोरोना के खिलाफ लड़ाई सिर्फ एक  पाखंड बनकर रह गई है.....
 तो दुनिया और देश  को समझते हुए और उससे सबक लेते हुए आदिवासी क्षेत्र  की गुलामी  की मानसिकता से मुक्त होते हुए  आप इस जैविक हमले से अपनी रक्षा स्वयं करें उसी में सार है.... कम से कम माक्स  का उपयोग आपकी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए, अन्यथा कीड़े मकोड़ेे की जीते हुए दुनिया के सबसेेेेे बडे कोरोना संक्रमित  और रिकवर्ड  विजेता बन जाए  या फिर  यमलोक पहुंच जाएं... जब सब कुछ  कोरोनाराम के भरोसे ऐसे में स्वयं राम बने और अपना भगवान बने,  यही वर्तमान की मांग है अन्यथा जैविक हमले कोरोना का शिकार बन जाए.....





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