शनिवार, 11 जुलाई 2020

पूरे भारत में छाये रहे,चौबेपुर के दुबे जी... (त्रिलोकीनाथ)


पिता रामकुमार नेे कहा, 
विकास को बहुत समझाया....
  "राजनीति के चक्कर में
 गुंडालाइन में पड़ गया .....,
उसके अंतिम संस्कार में नहीं जाऊंगा"


(त्रिलोकीनाथ)
तो नाथूराम गोडसे की विचारधारा ने 21वीं सदी में अपने तरीके से शासन चलाने का रास्ता खुलेआम उस वक्त घोषित कर दिया जब देश की बची कुची पत्रकारिता को नाका बंदी करके रोक दिया गया और न्यायपालिका को और न्यायपालिका के लिए निहित भारत के संविधान को उत्तर प्रदेश की पुलिस की एसटीएफ के जवान अप

 "चौबे जी" के आदेश से जूते की नोक पर रखते हुए एक लंबे चौड़े षड्यंत्र के तहत 8 पुलिस कर्मचारियों के हत्या के आरोपी विकास दुबे को छाती में गोली मारकर हत्या कर दी, कहते हैं उन्होंने एनकाउंटर किया।
    इसके पहले इसी प्रकार से तमिलनाडु में एक लोकप्रिय डॉक्टर के बलात्कारियों को जीप में बाहर ले जाकर चार बलात्कारियों की हत्या कर दी गई थी, उसे भी एनकाउंटर कहां गया था। इसका सच जो भी हो या राजनीति की गुंडागर्दी के धुंध में सच गुम जाए, यह मायने नहीं रखता, मायने यह रखता है कि "हिंदुत्व, के रामराज" में आज एशिया का महत्वपूर्ण सोलर एनर्जी रीवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य उद्घाटन किया और आज ही भारत ने चीन पर दबाव बनाने की सफलता सिद्ध की और आज ही भारत 8लाख कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की आंकड़े को पार कर गया (अब जारी करते वक्त साडे आठ लाख हो गए हैं) किंतु भारतीय मीडिया ने सिर्फ अपने दुबे जी को हीरो बनाया है यानी टीआरपी बटोरी है यानी कहते हैं अखबार समाज का आईना होता है आईने में आज चेहरा सिर्फ दुबे जी का है। क्योंकि चौबे जी ने उसकी गैर कानूनी तरीके से हत्या करके स्वयं को बड़ा गुंडा साबित किया है। बावजूद इसके आम नागरिक का एक पिता निष्कर्ष देते हैं "अच्छा किया, विकास दुबे को मार दिया"


हालांकि वे भी एक "मार्गदर्शक मंडल" के अलावा कुछ भी नहीं थे... किंतु उनकी आशा थी कि विकास को मार दिया जाए, भलाई वह उनका वंश था।
 पिताा ने कहा, उसके अंतिम संस्कार में नहीं जाऊंगा 
पिता राम कुमार दुबे नेेे यह भी कहा विकास ने जघन्य अपराध किया है बहुत समझाया "लेकिन राजनीति के चक्कर में गुंडा लाइन में पड़ गया..." पिता का दर्द रहा, "उसकेे पाप का अंजाम भोग रहा हूं..." उन्होंने सुनिश्चित किया, उसके साथ बिल्कुल ठीक हुआ...

गैर कानूनी तरीके से एनकाउंटर पर जश्न मनानेे वाला पुलिस का अमला संविधान मे प्रदत दिखनेे वाले नागरिक अधिकारों की हत्या का खुशी मना रहाा था। यह बदले की खुशी थी, किंतु लोकतंत्र की न्यायपालिका और पत्रकारिता दोनोंं ही शर्म से पानी पानी हो रही थी। क्योंकि आपराधिक विकास में वैधानिक तरीके से लोकतंत्र की हत्या भी हो गई थी। अब विकास दुबे की हत्या से कई हत्यारे सीना तान कर लोकतंत्र की हत्या का काम करेंगे.... ऐसा हमें अपने संदेह को समझाना पड़ रहा है
 कोलकाता के टेलीग्राफ विकास दुबे प्रकरण को लीड बनाया
अहमदाबाद में विकास की हत्या चर्चित रहा दिव्य भास्कर ने प्रमुख खबर दिया
केरल मैं केरलकौमुदी ने प्रथम पेज में जगह दी

शहडोल से जन्मा दैनिक भास्कर अखबार ने लीड खबर बनाया किंतु उसेेे हम नहीं क्योंकि उसने या ने इस पत्रकार के मालिक ने समाचार बेचने की शर्त लगा रखी है
राजस्थान की पत्रिका ने भी इसे लीड न्यूज़ बनाया

हालांकि कश्मीर में इसेेे उतनी जगह नहीं मिली क्योंकि वहां अपने विकास दुबे हैं 
भारत के हिंदीी बेल्ट में पत्रकारिता का एक विश्वसनीय चेहरा दैनिक जनसत्ता के कोलकाता चंडीगढ़ दिल्ली वह लखनऊ संस्करण ने इसेे सबसे बड़ी खबर बताया

दैनिक जागरण का एक हिस्सा इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेे भी खबर के रूप में प्रकाशित किया 
जबकि दूसरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रीवा सोलर एनर्जी  को वजन दिया

इस तरह दुबे जी आज भारत में पूरी तरह से छाए रहे ।यह अलग बात है की दुबे जी को छाती में गोली मारने वाले "चौबे जी" की चर्चा कब तक बनी रहती है।
 यह देखने योग्य होगा, क्योंकि चौबे जी कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक विचारधारा के डिसीज हैं। वह हमेशा अदृश्य ही रहते हैं एक बात और दुबे जी का दाह संस्कार करने के पहले कोरोनावायरस टेस्ट भी हुआ था। दुबे जी कोरोना अफेक्टेड थे अथवा नहीं, यह पता नहीं चला।
    किंतु भारतीय राजनीति की सड़ांध और उसकी गुंडागर्दी, तानाशाही गांधी को सरेआम गोली मारने वाला नाथूराम गोडसे की विचारधारा पर काम कर रहीहै। विधायिका और उसको साथ दे रहा कार्यपालिका दोनों ही "गोंडसे-वायरस" से इफेक्टेड हैं। वह पूरे भारत को संक्रमित करने पर तुले हुए हैं। इस बीच बताते चलें कि भारत साडे आठ लाख कोरोना संक्रमित व्यक्तियों पर राष्ट्र बन गया है। विश्व गुरु कब बनेगा कह नहीं सकते किंतु निश्चिंत रहें इनके पिता लालकृष्ण आडवाणी जी ने कहा है अगर भारत में विपरीत विचारधारा चार्र्वाक का सम्मान भी होता है तो लोकतंत्र भला ही कुछ देर के लिए किसी नाके में किसी उत्तर प्रदेश के और मध्य प्रदेश की मिलीभगत में कुछ देर के लिए रोक दिया जाए किंतु वह पुनः जीवित हो जाएगा और यह बात चौबे जी को समझना चाहिए।
 लोकतंत्र बहुत मुश्किल से हमारे पूर्वजों ने हमें विरासत में दिया है। किसी रहीस जादे की तरह इसे गुंडा-तंत्र बनाकर हम झूठे हैं में जी रहे हैं। तमिलनाडु के डॉक्टर के बलात्कारियों का एनकाउंटर मामला पर भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी ने अनुचित ठहराया था आज उनकी भतीजी कांग्रेस की नेता प्रियंका ने भी विकास दुबे मर्डर केस की सीबीआई की जांच की मांग की है। किंतु सिर्फ न्यायपालिका है जो सोच सकती है....?, बाकी सिस्टम गुलाम है ।
देखते हैं .....,ऊंट किस करवट बैठता है...
(व्हाट्सएप फोटो की हम पुष्टि् नहीं करते किंतु क्या है फोटो वायरल हुई है)

 बरहाल बहुत बधाई "चौबे जी" हम यह बात आपको खुश करने के लिए कह रहे हैं हालांकि हम भाग नहीं रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं की आप भी तड़ा तड़, धड़ा धढ़,  धांए-धांएं करके हमारे सीने में गोली न मार दीजिएगा जइसे चौबेपुर के थाने मे आज के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश कार्यकाल में उनके राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त है शुक्ला जी की तरह । 
इसलिए आपकी समुचित चमचागिरी भी कर रहे हैं.. सादर विनय।

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