सोमवार, 6 जुलाई 2020

शहडोल सहायक आयुक्त आदिवासी विकास की तीसरी संतान के मुद्दे पर लगी की तीसरी आंख.... (त्रिलोकीनाथ)



शहडोल सहायक आयुक्त आदिवासी विकास की तीसरी
संतान के मुद्दे पर लगी की तीसरी आंख....
(त्रिलोकीनाथ)

 करीब 20 साल पहले तीसरी संतान का जिंद शासन ने कर्मचारियों के लिए इसलिए प्रतिबंधित किया था ताकि कम से कम शासन और प्रशासन के लोग मॉडल बन सके.., जनसंख्या नियंत्रण के लिए। किंतु 20 साल बाद यह जिंद सहायक 
आयुक्त कार्यालय आदिवासी विभाग शहडोल में भ्रष्टाचार की कमाई का जरिया बन रहा है।
    अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग लक्ष्य से तीसरी संतान भ्रष्टाचार के पूर्ति का तीसरी आंख साबित हो रही है। आदिवासी विभाग शहडोल में एक उच्च अधिकारी इसे स्वीकार करते हैं कि जिस के जेब में जितनी ताकत होगी वह किसी भी प्रभार को ले सकता है। सीधी में स्वयं सहायक आयुक्त कोई कुपात्र व्यक्ति बना बैठा है ।इस तरह कई कुपात्र सहायक आयुक्त शहडोल में भी भ्रष्टाचार के समंदर में डुबकी लगा रहे हैं। जमकर पानी पी रहे हैं, जमकर पानी पिला रहे हैं।
      हालात यह है की तीसरी संतान का मुद्दा इस भ्रष्ट लक्ष्य के लिए पुनः जगाया गया, वह अब उल्टे बांस बरेली की ओर जाता दिख रहा है। कई भ्रष्ट कर्मचारी अधिकारी सहायक आयुक्त की कुर्सी पर उसकी नीलामी के लिए षड्यंत्र करना चालू कर दिए। कुछ लोगों ने तो वकायदे गोपनीय अपनी बैठक में करके सहायक आयुक्त की करोड़ों की कमाई वाली इस कुर्सी पर बोली भी लगा दी है। और कर्मचारियों की तीसरी संतान को अपनी तीसरी आंख के रूप में लक्ष्य भेद करने को तैयार है। सामान्य रूप से भाजपा समर्थित शिक्षक संघ ने शिक्षकों की परेशानी के हित में मुद्दा उठाया था ।जैसा कि संघ अध्यक्ष अरुण मिश्रा ने कहा ।
इसके बाद कुछ शिक्षक जब दुर्घटना बस मौत के शिकार हो गए तो उस पर राजनीति करके सहायक आयुक्त को पद से हटाने का लक्ष्य बनाया गया ।     
    वास्तव में जिन लोगों पर कमिश्नर शहडोल भ्रष्टाचार को प्रमाणित कर निलंबित किया था उन्होंने शासन बदलने के साथ कमिश्नर के आदेश की भाषा को ही बदल दिया और कहां वे हाईकोर्ट में स्थगन आदेश का झुनझुना के सहारे स्वयं को बचाते दिख रहे थे, अब हाईकोर्ट का रास्ता छोड़ मंत्रियों के रास्ते के जरिए पुनः संघ और संगठन को हथियार बनाकर अपनी अपनी कुर्सी में काबिज हो गए हैं और लामबंद होकर अपनी तीसरी आंख खोलकर तीसरी संतान को आधार बनाते हुए सहायक आयुक्त की कुर्सी में पदस्थ  अधिकारी का विध्वंस करना चाहते हैं। ताकि माफिया काकस का जो सहायक आयुक्त कार्यालय को चला रहा है वह बदली हुई प्रशासन की व्यवस्था में उनके लिए काम करें। और हर माह करोड़ों की राशि का बंटवारा परंपरागत भ्रष्टाचारियों की आपसी बंदरबांट में की जाए ना की किसी बाहरी कर्मचारी अधिकारी को इसका लाभ मिले । 
बीते कल एक हुई गोपनीय बैठक में आने वाले कल क्षेत्र के मंत्री बिसाहूलाल सिंह के समक्ष यह प्रस्ताव रखा जाएगा।
     हालांकि हाल में जो परिवर्तन हुए उसमें मीना सिंह जी का नाम बदनाम किया गया किंतु जब बिसाहूलाल स्वयं की ताकत से सरकार परिवर्तित करा सकते हैं तो सहायक आयुक्त की कुर्सी और उनके अधिकारी तो उनके इच्छा मात्र का खेल है। यह धारणा आदिवासी विभाग में पल्लवित भ्रष्टाचारियों के लिए उनकी आगामी रूपरेखा का आधार है।
    अन्यथा जब लालपुर में बैगा जनजाति के नाम पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार पकड़ा गया तो उसे दूध का दूध और पानी का पानी करने का काम होना चाहिए था अगर धोखे से यह मामला न्यायालय में चला ही गया तो विश्वास कर न्याय पाना चाहिए ना कि कर्मचारी आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए अपने ही अधिकारियों के खिलाफ लामबंद होकर कर्मचारियों की तीसरी संतान के मुद्दे पर किसी मौत को आधार बनाते हुए कोई षड्यंत्र करना चाहिए।
 यह अलग बात है कि सहायक आयुक्त कार्यालय भी अपनी गंदगी को ठीक करने के लिए उतना ही कटिबद्ध नहीं है जितना कि दूसरा पक्ष कर्मचारी आचार संहिता की भाषा को समझने के लिए ।क्योंकि लूट सके तो लूट इस लक्ष्य पर शहडोल जिले का आदिवासी विकास कार्यालय आदिवासियों का विकास कर रहा है देखने लायक होगा की हाल में हुई वह अपनी बैठ चुका परिणाम मंत्री बिसाहूलाल के आने के बाद क्या रंग लाता है।

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