भारत की रेलवे के निजीकरण के रास्ते
जानिए कोरोना वायरस की कृपा से भारत की रेलवे के निजीकरण के रास्ते कैसे विकसित होते चले गए और किस प्रकार से रेलवे की विशाल संपदा निकी लोगों के धंधे का जरिया बन जाएगी यह लोकतंत्र में 21वीं सदी का सबसे बड़ा घटना/दुर्घटना भी माना जाना चाहिए...... कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 109 रेल मार्गों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी इकाइयों को अनुमति दिए जाने के फैसले की आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सरकार गरीबों की एकमात्र जीवन-रेखा ‘रेल’ उनसे छीन रही है।
नयी दिल्ली, (भाषा) देश में निजी रेलगाड़ियों का परिचालन अप्रैल 2023 तक शुरू हो सकता है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी. के. यादव ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुये कहा कि इन रेलमार्गों पर यात्रा किराया इन मार्गों के हवाई यात्रा किराये के अनुरूप प्रतिस्पर्धी होगा।
यादव ने आनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यात्री रेलगाड़ी परिचालन में निजी कंपनियों के उतरने से रेलगाड़ियों को तेज गति से चलाने और रेल डिब्बों की प्रौद्योगिकी में नया बदलाव आएगा।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के बेहतर होने से रेलगाड़ी के जिन कोचों को अभी हर 4,000 किलोमीटर यात्रा के बाद रखरखाव की जरूरत होती है तब यह सीमा करीब 40,000 किलोमीटर हो जाएगी। इससे उनका महीने में एक या दो बार ही रखरखाव करना होगा।
यादव की ओर से यह टिप्पणियां रेलवे के यात्री परिचालन में निजी कंपनियों को प्रवेश देने की आधिकारिक घोषणा के एक दिन बाद आयी हैं।
यह भारत सरकार-नियंत्रित सार्वजनिक रेल्वेसेवा है। भारत में रेलवे की कुल लंबाई ६७,४१५ किलोमीटर है। भारतीय रेलवे रोजाना २३१ लाख यात्रियों और ३३ लाख टन माल ढोती है। भारतीय रेलवे के स्वामित्व में, भारतीय रेलवे में १२,१४७ लोकोमोटिव, ७४,००३ यात्री कोच और २८९,१८५ वैगन हैं और ८,७०२ यात्री ट्रेनों के साथ प्रतिदिन कुल १३,५२३ ट्रेनें चलती हैं। भारतीय रेलवे में ३०० रेलवे यार्ड, २,३०० माल ढुलाई और ७०० मरम्मत केंद्र हैं। यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा है। १२.२७ लाख कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है। रेलवे विभाग भारत सरकार के मध्य रेलवे विभाग का एक प्रभाग है, जो भारत में संपूर्ण रेलवे नेटवर्क की योजना बना रहा है। रेलवे विभाग की देखरेख रेलवे विभाग के कैबिनेट मंत्री द्वारा की जाती है और रेलवे विभाग की योजना रेलवे बोर्ड द्वारा बनाई जाती है।
उन्होंने कहा कि यात्री रेलगाड़ी परिचालन मे निजी कंपनियों को लाने का एक मकसद यह भी है कि इन्हें मांग के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा जिससे रेलगाड़ियों में ‘प्रतीक्षा सूची’ में कमी होगी।
यादव ने कहा कि कंपनियों को रेलवे की बुनियादी सुविधाओं, बिजली, स्टेशन और रेलमार्ग इत्यादि के उपयोग का शुल्क भी देना होगा। इतना ही नहीं कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बोलियां लगाकर भारतीय रेलवे के साथ राजस्व भी साझा करना होगा।
निजी कंपनियों को समयसारिणी के हिसाब से रेलगाड़ी परिचालन में 95 प्रतिशत समयबद्धता का पालन सुनिश्चित करना होगा। उन्हें प्रति एक लाख किलोमीटर की यात्रा में एक बार से अधिक बार असफल नहीं होने के रिकार्ड के साथ चलना होगा।
यादव ने कहा, ‘‘यदि निजी कंपनियां यात्री रेलगाड़ी परिचालन से जुड़े किसी भी प्रदर्शन मानक को पूरा करने में असफल रहती हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। हर रेलगाड़ी इंजन में एक बिजली मीटर भी होगा और कंपनियों को उनके द्वारा उपभोग बिजली का वास्तविक भुगतान करना होगा। यह उन्हें अपना बिजली खर्च कम रखने को प्रोत्साहित करेगा।’’
उन्होंने कहा कि इससे यात्रियों को कम लागत पर बेहतर रेलगाड़ियां और प्रौद्योगिकी मिल सकेगी। भारतीय रेल बसकी 95 प्रतिशत रेलगाड़ियों का परिचालन जारी रखेगी।
भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है, मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्थापना 271 कि॰मी॰ लंबी रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्य में पीपावाव पत्तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्द्र नगर जंक्शन से जोडती है
जानिए कोरोना वायरस की कृपा से भारत की रेलवे के निजीकरण के रास्ते कैसे विकसित होते चले गए और किस प्रकार से रेलवे की विशाल संपदा निकी लोगों के धंधे का जरिया बन जाएगी यह लोकतंत्र में 21वीं सदी का सबसे बड़ा घटना/दुर्घटना भी माना जाना चाहिए...... कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 109 रेल मार्गों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी इकाइयों को अनुमति दिए जाने के फैसले की आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सरकार गरीबों की एकमात्र जीवन-रेखा ‘रेल’ उनसे छीन रही है।
नयी दिल्ली, (भाषा) देश में निजी रेलगाड़ियों का परिचालन अप्रैल 2023 तक शुरू हो सकता है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी. के. यादव ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुये कहा कि इन रेलमार्गों पर यात्रा किराया इन मार्गों के हवाई यात्रा किराये के अनुरूप प्रतिस्पर्धी होगा।
यादव ने आनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यात्री रेलगाड़ी परिचालन में निजी कंपनियों के उतरने से रेलगाड़ियों को तेज गति से चलाने और रेल डिब्बों की प्रौद्योगिकी में नया बदलाव आएगा।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के बेहतर होने से रेलगाड़ी के जिन कोचों को अभी हर 4,000 किलोमीटर यात्रा के बाद रखरखाव की जरूरत होती है तब यह सीमा करीब 40,000 किलोमीटर हो जाएगी। इससे उनका महीने में एक या दो बार ही रखरखाव करना होगा।
यादव की ओर से यह टिप्पणियां रेलवे के यात्री परिचालन में निजी कंपनियों को प्रवेश देने की आधिकारिक घोषणा के एक दिन बाद आयी हैं।
यह भारत सरकार-नियंत्रित सार्वजनिक रेल्वेसेवा है। भारत में रेलवे की कुल लंबाई ६७,४१५ किलोमीटर है। भारतीय रेलवे रोजाना २३१ लाख यात्रियों और ३३ लाख टन माल ढोती है। भारतीय रेलवे के स्वामित्व में, भारतीय रेलवे में १२,१४७ लोकोमोटिव, ७४,००३ यात्री कोच और २८९,१८५ वैगन हैं और ८,७०२ यात्री ट्रेनों के साथ प्रतिदिन कुल १३,५२३ ट्रेनें चलती हैं। भारतीय रेलवे में ३०० रेलवे यार्ड, २,३०० माल ढुलाई और ७०० मरम्मत केंद्र हैं। यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा है। १२.२७ लाख कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है। रेलवे विभाग भारत सरकार के मध्य रेलवे विभाग का एक प्रभाग है, जो भारत में संपूर्ण रेलवे नेटवर्क की योजना बना रहा है। रेलवे विभाग की देखरेख रेलवे विभाग के कैबिनेट मंत्री द्वारा की जाती है और रेलवे विभाग की योजना रेलवे बोर्ड द्वारा बनाई जाती है।
यह भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक है। यह न केवल देश की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र की त्वरित प्रगति ने रेल परिवहन की उच्च स्तरीय मांग का सृजन किया है,
यादव ने कहा, ‘‘ट्रेनों की खरीद निजी कंपनियां करेंगी। उनके रखरखाव का जिम्मा भी उन्हीं का होगा। देश में निजी ट्रेनों का परिचालन अप्रैल 2023 तक शुरू होने की उम्मीद है। रेलगाड़ी के सभी डिब्बों की खरीद ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत की जाएगी। निजी क्षेत्र की रेलगाड़ियों के यात्रा किराये की प्रतिस्पर्धा उन्हीं मार्गों पर चलने वाली बस सेवा और हवाई सेवा से होगी।’’उन्होंने कहा कि यात्री रेलगाड़ी परिचालन मे निजी कंपनियों को लाने का एक मकसद यह भी है कि इन्हें मांग के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा जिससे रेलगाड़ियों में ‘प्रतीक्षा सूची’ में कमी होगी।
यादव ने कहा कि कंपनियों को रेलवे की बुनियादी सुविधाओं, बिजली, स्टेशन और रेलमार्ग इत्यादि के उपयोग का शुल्क भी देना होगा। इतना ही नहीं कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बोलियां लगाकर भारतीय रेलवे के साथ राजस्व भी साझा करना होगा।
निजी कंपनियों को समयसारिणी के हिसाब से रेलगाड़ी परिचालन में 95 प्रतिशत समयबद्धता का पालन सुनिश्चित करना होगा। उन्हें प्रति एक लाख किलोमीटर की यात्रा में एक बार से अधिक बार असफल नहीं होने के रिकार्ड के साथ चलना होगा।
भारत में रेलवे के लिए पहली बार प्रस्ताव मद्रास में १८३२ में किए गए थे.[8] भारत में पहली ट्रेन १८३७ में मद्रास में लाल पहाड़ियों से चिंताद्रीपेत पुल तक चली थी. इसे आर्थर कॉटन द्वारा सड़क-निर्माण के लिए ग्रेनाइट परिवहन के लिए बनाया गया था| इसम विलियम एवरी द्वारा निर्मित रोटरी स्टीम लोकोमोटिव प्रयोग किया गया था| १८४५ में, गोदावरी बांध निर्माण रेलवे को गोदावरी नदी पर बांध के निर्माण के लिए पत्थर की आपूर्ति करने के लिए राजामुंदरी के डोलेस्वरम में कॉटन द्वारा बनाया गया था। ८ मई १८४५ को, मद्रास रेलवे की स्थापना की गई, उसके बाद उसी वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे की स्थापना की गई। १ अगस्त १८४९ में ग्रेट इंडियन प्रायद्वीपीय रेलवे (GIPR) की स्थापना की गई संसद के एक अधिनियम द्वारा। १८५१ में रुड़की में सोलानी एक्वाडक्ट रेलवे बनाया गया था। इसका नाम थॉमसन स्टीम लोकोमोटिव द्वारा रखा गया था, जिसका नाम उस नाम के एक ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर रखा गया था। रेलवे ने सोलानी नदी पर एक एक्वाडक्ट के लिए निर्माण सामग्री पहुंचाई। १८५२ में, मद्रास गारंटी रेलवे कंपनी की स्थापना की गई।सन् १८५० में ग्रेट इंडियन प्रायद्वीपीय रेलवे कम्पनी ने बम्बई से थाणे तक रेल लाइन बिछाने का कार्य प्रारम्भ किया गया था। इसी वर्ष हावड़ा से रानीगंज तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। सन् १८५३ में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब पहली प्रवासी ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (३४ कि॰मी॰ की दूरी) की दूरी तय की थी, अब भारतीय रेल विशाल नेटवर्क में विकसित हो चुका है।
यादव ने कहा, ‘‘यदि निजी कंपनियां यात्री रेलगाड़ी परिचालन से जुड़े किसी भी प्रदर्शन मानक को पूरा करने में असफल रहती हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। हर रेलगाड़ी इंजन में एक बिजली मीटर भी होगा और कंपनियों को उनके द्वारा उपभोग बिजली का वास्तविक भुगतान करना होगा। यह उन्हें अपना बिजली खर्च कम रखने को प्रोत्साहित करेगा।’’
उन्होंने कहा कि इससे यात्रियों को कम लागत पर बेहतर रेलगाड़ियां और प्रौद्योगिकी मिल सकेगी। भारतीय रेल बसकी 95 प्रतिशत रेलगाड़ियों का परिचालन जारी रखेगी।
भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है, मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्थापना 271 कि॰मी॰ लंबी रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्य में पीपावाव पत्तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्द्र नगर जंक्शन से जोडती है
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