--सुशांत को श्रद्धांजलि--
कारण चाहे जो भी रहा हो किंतु यह पुनः प्रमाणित हुआ है कि इस योग्यतम कलाकार को जिसने क्रिकेट के एम एस धोनी को साकार किया। यह दुखद है, संरक्षण के अभाव में निराकार हो गया। यह बहुत दुखद है कि हमारे देश में गुणवत्ता को, योग्यता को संरक्षण देने का कोई काम नहीं हुआ...., यह वैसा ही है जैसे कि बिहार के ही वरिष्ठ विद्वान वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ अन्याय हुआ, यह सही है कि उन्होंने आत्महत्या नहीं की थी किंतु देश की राजनीति ने उन्हें लगभग हत्या करके छोड़ दिया था...।
माया नगरी में इस घटना ने सिद्ध भी किया है कि अगर संवेदना में धंधा नहीं है तो संवेदना को संरक्षण नहीं मिलेगा। राजनीति से बिल्कुल नहीं ..।
रोहिणी हट्टंगड़ी शायद एकमात्र महिला बन कर आई थी जिन्होंने बुजुर्ग कलाकारों के लिए संरक्षण हेतु कोई ट्रस्ट बनाया था। किंतु नवोदय कलाकार, प्रतिभाशाली योग्यता के लिए कोई संरक्षण नहीं है... संवेदना हीन समाज का निर्माण की तस्वीर फिल्म इंडस्ट्री में किस प्रकार से जीवित है, सुशांत की आत्महत्या ने सिद्ध किया है। हमारी भी इस कला के धनी की आत्महत्या पर हार्दिक संवेदनाएं..... कामना है ईश्वर उन्हें सदगति दे। क्योंकि कला भी मोक्ष का लक्ष्य होता है.।
--------त्रिलोकीनाथ---------
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