शनिवार, 20 जून 2020

आदिवासी विभाग का माफिया कर रहाहै खनिज न्यास का बंदरबांट (त्रिलोकीनाथ)


सपनों का सब्जबाग से....
आदिवासी विभाग का 
माफिया कर रहाहै 

खनिज न्यास  का बंदरबांट




(त्रिलोकीनाथ)
कम से कम मध्यप्रदेश के आदिवासी  संभाग शहडोल में जिला खनिज न्यास के निर्माण होने के बाद से अब तक यदि समीक्षा की जाए तो हम पाएंगे कि खनिज न्यास के निर्माण का और उसमें आत्मनिर्भर होने का जो सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बार-बार देख रहे हैं वह शहडोल क्षेत्र में वास्तव में  एक ख्वाब है। और वह ख्वाब इसलिए है की प्रधानमंत्री बोलते हैं और चल देते हैं वह नहीं देख पाते कि क्रियान्वयन एजेंसी कितनी इमानदारी से प्रधानमंत्री की लोकप्रिय नीतियों पर अमल कर रहे हैं।
 अब  फिर से प्रधानमंत्री जी ने भारत के प्राकृतिक संसाधनों याने कोयला भंडार के दोहन के लिए ढेर सारे सपने देख डालें उन्होंने कोयला नीलामी के अवसर पर कहा
    कोल सेक्टर में हो रहा निवेश, विशेषकर हमारे गरीब और आदिवासी भाई-बहनों के जीवन को आसान बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।  कोयला उत्पादन से जो अतिरिक्त राजस्व राज्यों को  मिलेगाउसका इस्तेमाल वहां जन-कल्याण की योजनाओं में होगाउस राज्‍य के विकास में होगा। इसके साथ ही राज्यों को District Minerals Fund, उससे भी बहुत मदद मिलने वाली है और इस फंड का बड़ा हिस्सा कॉलरी क्षेत्रों के आसपास के इलाके में ज़रूरी सुविधाओं के विकास में लगाया जा रहा है। वहां के लोगों की  को जीने के लिए जूझना न पड़े वो आत्‍मसम्‍मान से जिएंवो आत्‍मनिर्भर हो करके जिएं यानि जहां संपदा हैवहां रहने वालों में संपन्नता भी होइस लक्ष्य को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। आज उठाए जा रहे ये कदमइस लक्ष्य को हासिल करने में बहुत मददगार सिद्ध होंगे।

तो क्या जिला खनिज न्यास का निर्माण औरंगाबाद ट्रेन एक्सीडेंट में लगभग हत्या कर दिए गए शहडोल के श्रमिकों की मौत की क्षतिपूर्ति के लिए निर्माण हुआ था....? क्योंकि इसी खनिज में न्यास ने पांच-पांच लाख मजदूरों के परिवार को दिए थे.., क्या इसी विकास का सपना प्रधान मंत्री जी ने देखा था...?
 और यही आत्मनिर्भरता है यह तो एक अपवाद था ताजा ताजा छानबीन का भी विषय हो सकता है कि किस के निर्देश पर खनिज न्यास का दुरुपयोग हुआ..? किंतु आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त शहडोल क्या खनिज न्यास से धन निकालने के लिए और उसमें निहित भ्रष्टाचार की पूर्ति के लिए यानी फर्नीचर खरीदी के नाम पर स्कूलों से जो प्रस्ताव मंगाए थे क्या उसके लिए भी खनिज न्यास का निर्माण हुआ है....? 
    यह प्रश्न बार बार खड़ा होता है अगर भोपाल में बैठे हुए आयुक्त आदिवासी विकास  पत्र भेजकर सहायक आयुक्तों को निर्देशित करते हैं कि स्कूलों और छात्रावासों में आवश्यक फर्नीचर खरीदी कि अगर आवश्यकता है तो वे प्रस्ताव भेजे, ताकि आदिवासी स्कूलों के विकास के लिए सुनिश्चित प्रतिपूर्ति की जा सके । बावजूद इसके अलग से खनिज न्यास से फर्नीचर खरीदी क्यों होना चाहिए?

 क्या सहायक आयुक्त कार्यालय शहडोल में बैठा हुआ भ्रष्टाचार का माफिया पहले से यह तय कर चुका है कि फर्नीचर के नाम पर बिल लगा कर के खनिज न्यास के धन को लूटना है।

     क्योंकि वर्तमान कमिश्नर नरेश पाल जी जब शहडोल में कलेक्टर के रूप में थे तब उन्होंने पाया था कि सहायक आयुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार का माफिया अवैध बिल लगा रहा है। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लालपुर में बैगा सम्मेलन के लिए आए थे उससे बैगा समाज का जो हुआ सो हुआ। अलग-अलग तरीके से अलग-अलग लोगों ने लाखों करोड़ों की लूट की। किंतु वर्षों से एसी कार्यालय में बैठा भ्रष्टाचारी जब फर्जी बिल लगाया सम्मेलन के नाम पर तब कलेक्टर नरेश पाल जी ने उस पर रोक लगा दी थी।
सूत्र बताते हैं किंतु जैसे ही कलेक्टर परिवर्तित हुए भ्रष्ट माफिया ने स्थितियों को छुपाकर तत्कालीन कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव से करीब 13 लॉख रुपए के खाने-पीने के बिल  निकलवा कर के दुर्गा टेंट हाउस को दिला दिए। निश्चित रूप से सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए पैसा पच गया अन्यथा नरेश पाल जी इस राशि पर रोक नहीं लगाते...? आज इसी बात को स्थानीय अखबार ने उठाया

 लालपुर का बैगा सम्मेलन सिर्फ इसी बात के लिए चर्चित नहीं हुआ था जब कमिश्नर आरबी प्रजापति ने एक शिकायत का निवारण किया तो पाया कि सोहागपुर और  के खंड शिक्षा अधिकारियों ने बैगा सम्मेलन के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है फर्जी बिल लगाए हैं, गबन किया है। उन्होंने दो खंड शिक्षा अधिकारियों को निलंबित कर दिया। सोहागपुर के अधिकारी एसपी चंदेल तत्काल हाई कोर्ट गए और वहां से स्थगन आदेश का झुनझुना बजाते हुए चले आए तथा आंवला तत्कालीन अधिकारी श्रीमती सावित्री शुक्ला को दबाव  दिखा कर अनियमित तरीके से खंड शिक्षा अधिकारी का प्रभार ले लिया। यह अलग बात है कि जिला कोषालय अधिकारी को यह गलत लगा और उन्होंने आहरण संबंधी व्यवस्थाओं पर रोक लगा दी। बुढार के खंड शिक्षा अधिकारी अशोक शर्मा हाईकोर्ट से स्थगन नहीं ला पाए और आज तक निलंबित हैं। कहते हैं  वे जोखिम उठाकर वह कोरोनावायरस से लड़ने भोपाल चले गए थे ताकि मंत्री जी शायद रास्ता निकाले।  यह एक अलग कहानी है अन्यथा भटक जाएंगे।
    तो कहानी क्या है ...? शहडोल सहायक आयुक्त कार्यालय में संरक्षित भ्रष्ट माफिया कैसे भ्रष्टाचार के प्रस्ताव बनाता है और सरकारी धन लूटकर शहर में बड़ा भू-माफिया  बन जाता है। क्योंकि किसी भी कर्मचारी को नियमानुसाार ही जमीन खरीदने का अधिकार है। बेनामी संपत्ति या चोरी छिपे संपत्ति संग्रह भी अपराध है। तो ऐसे प्रधानमंत्री जी का सपना आत्मनिर्भर भारत जिला खनिज न्यास के जरिए वीशेषकर आदिवासियों के विकास पर केंद्रित होकर प्राकृतिक संसाधनों का  कितना उचित होगा...? 
    यह बात इसलिए भी कही जा रही है कि कोयला खदानों के केंद्र में अमलाई चौक बुढार अरबों खरबों रुपए के अब तक कोयला निकासी का साक्षी रहा है सामान्य सा सर्वे किसी चपरासी को भी देंगे तो वह कर लेगा की  प्रदेश देश और दुनिया को चमकाने वाला शहडोल क्षेत्र का कोयला क्या बुढार के कच्चे मकानों के खपड़ों को आजादी के बाद बदल पाया है, शायद नहीं...? यदि एक भी मकान भारत की आजादी के कार्यकाल का यथा स्थिति में है तो आदिवासी अंचल के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति को प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का फायदा क्यों नहीं मिला....?
      यह बात क्यों कड़वे सच के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों पर कुठाराघात कर रही है और अगर यह सच स्थापित है तो क्यों दिल्ली में बैठकर प्रधानमंत्री जी को यह सपना देखना चाहिए कि खनिज न्यास विकास का कोई मॉडल है यह तो सिर्फ भ्रष्टाचार का ही एक मॉडल है यह बात कुछ अनुभव में शपथ पूर्ण भी कही जा सकती है। लेकिन आपके शपथ की वही औकात है जो सहायक आयुक्त कार्यालय में पल्लवित भ्रष्टाचार के अट्टहास की कड़वी सच्चाई बन गई है क्योंकि वर्षों से संरक्षित कर्मचारी माफिया को विभाग परिवर्तन का आदेश देने के बाद भी सहायक आयुक्त की हैसियत नहीं कि वह अपने आदेश का पालन करा सके। 
      देखना यह भी होगा कि जो तब कलेक्टर शहडोल थे अब कमिश्नर शहडोल हैं आदिवासी विकास विभाग में बैठे माफिया को हटा भी सकते हैं क्या....? बावजूद इसके कि अधिकारियों का वह प्यारा है।
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