शनिवार, 20 जून 2020

सोन घड़ियाल संरक्षण, टांय-टांय फिश....? (त्रिलोकीनाथ)

सोन घड़ियाल संरक्षण
 टांय-टांय फिश.....?

(त्रिलोकीनाथ)विगत दिवस सोन घड़ियाल संरक्षण योजना के तहत संभाग स्तर के उच्चाधिकारियों की बैठक में शहडोल व रीवा संभाग  रेत के अवैध उत्खनन को लेकर गंभीर विमर्श हुआ वह कड़ी कार्यवाही की मनसा जाहिर की गई है  विंध्य क्षेत्र में सीधी लोकसभा की
ब्यौहारी क्षेत्र के विधायक शरद कोल  शायद इकलौते जनप्रतिनिधि हैं  जिन्होंने  रेत के अवैध उत्खनन के लिए  आक्रामक तरीके से ब्यौहारी की सड़क पर  अपनी बात उठाई थी परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रशासन ने कई जेसीबी अवैध वाहन जप्त्त किए किंतु लगताा है समय बीतनेेे के साथ सब कुछ ठंडा पड़ गया है।
 संबंधित खनिज अधिकारी गंगा की तरह पवित्र हो चुके है क्योंकि जमीनी हालात  सोन घड़ियाल संरक्षण के अनुकूल  उमरिया जिले में तो  कम से कम नहीं दिखाई देते। क्योंकि सरकारी खनिज का अमला स्वयं घड़ियाल बनकर पूरे सिस्टम को दबाए बैठा है आज एक समाचार में गैर कानूनी तरीके से चल रहे रेत खनिज पर प्रकाश डाला है जिसमें कहा गया है 
उमरिया जिले में नियमों को ताक में रखकर रेत उत्खनन का काम जोरो पर है। शासन के नियम कहते है कि नदियों में मशीन लगाकर रेत निकालने का कार्य न किया जाय लेकिन। नियमानुसार मशीनें नदी के तट से 200 मीटर दूर ही रहेंगी। लेकिन ठीक इसके विपरीत खुलेआम रेत का उत्खनन नदियों से दिन रात मशीनों से किया जा रहा हैं। जिला प्रशासन आंख बंद करके तमाशा देख रही है
 उमरिया जिले में एस. आर. आई. स्टोन वर्ड प्राइवेट लिमिटेड को रेत की लगभग 38 खदान स्वीकृत है खुलेआम मशीन लगाकर रेत निकालने का काम किया जा रहा हैं।

इतना ही नही ठेकेदार के द्वारा सैकड़ो गुर्गों को लाकर जिले में रखा गया है जो ग्रामीणों को धमकी भी देते हैं, बड़ी बात तो यह है कि ठेकेदार के आमद जिले के किसी भी थाने में दर्ज नही है, 

हालांकि जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने मानते हैं कि हम अपनी टीम को लेकर रेत खदानों में दबिश दे रहे है पकड़े जाने पर कठोर कार्यवाही की जायेगी।

हकीकत बात की है की खनिज विभाग  के अधिकारी  करोड़ों रुपए के  बेनामी मालिक हैं  कम से कम वे  अपने वेतन से  यह सब नहीं कर पाते  बात सिर्फ रेत की नहीं  तमाम खनिज संसाधन चाहे वह  कोयला हो  रेट हो पत्थर हो  अथवा सीबीएम गैस  सब में गैर कानूनी संरक्षण  इनकी अट्टालिकाओं की ऊंचाई बढ़ाता जा रहा है रही बात वाहनों के पकड़े जाने पर तो जब तक पर्यावरण संरक्षण की इच्छाशक्ति प्रगट नहीं होगी तब तक दिया तले अंधेरा सिद्ध होता रहेगा लेकिन फिलहाल यह सिद्ध हो रहा है की
 क्या सोन घड़ियाल संरक्षण की बात सिर्फ कागजी खानापूर्ति का हिस्सा है या फिर उमरिया जिला शहडोल संभाग से बाहर है अन्यथा क्या कारण है की कमिश्नर और उच्चाधिकारियों के द्वारा उठाए गए कदम फेल हुए हैं

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