शनिवार, 20 जून 2020

आरटीआई आयुक्त ने उपसंचालक खनिज पर लगाया एक लाख का जुर्माना-----

आरटीआई में ऐतिहासिक फैसला

सतना खनिज विभाग ने एक साल तक जानकारी छुपाई सूचना आयुक्त ने लगाया एक लाख का जुर्माना
भोपाल। मध्य प्रदेश  के सूचना आयुक्त ने आरटीआई (RTI) की अवहेलना पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। यह एतिहासिक जुर्माना इसलिए लगाया गया, क्यों कि खनिज विभाग ने आवेदक से एक साल तक जानकारी छुपाई। प्रदेश में सूचना के अधिकार  की किस प्रकार धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह खनिज विभाग द्वारा एक साल तक जानकारी छिपाने के मामले में देखा जा सकता है।
बता दें कि इस मामले में मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने माइनिंग की जानकारी पिछले एक साल से नहीं देने को गलत माना है। इस पर खनिज शाखा सतना की उप संचालक दीपमाला तिवारी को एक लाख के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस थमाया है। आम तौर पर अधिकतम जुर्माना 25 हजार रुपए होता है। लेकिन इस मामले में चार अलग-अलग मामलों में एक साथ कार्रवाई करते हुए 25 हजार रुपए के हिसाब सेे एक लाख रुपये की जुर्माने की राशि लगाई गई है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अमित सिंह चौहान नाम के व्यक्ति ने सतना में प्रिज्म जोहन्सन माइनिंग कंपनी के खदानों से जुड़े कुल 10 बिंदुओ की जानकारी चार अलग अलग प्रकरणों में मांगी थी। उन्होंने यह जानकारी जुलाई 2019 में मांगी थी। लेकिन अमित सिंह उस वक्त आश्चर्य में पड़ गए, जब उल्टा उपसंचालक ने उनसे सवाल कर लिया कि माइंस का लैंड रिकॉर्ड ले कर आएं।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने 32 पन्नों के आदेश में इसे अपीलकर्ता अमित सिंह चौहान को परेशान करने की नीयत से किया गया काम माना है। अमित सिंह चौहान ने विभाग से लैंड शेड्यूल माइनिंग प्लान प्रोडक्शन और बकाया रॉयल्टी जैसे विषयों की जानकारी मांगी थी। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अधिकारी को आदेश जारी करते हुए लिखा कि जनहित में यह जानकारी देने योग्य है। पर फिर भी विभाग द्वारा आरटीआई (RTI) की अवहेलना की गयी।
क्योंकि मीडिया में कई माइनिंग कंपनियों द्वारा नियमों को ताक पर रख अवैध उत्खनन की खबरें उजागर होती रहती हैं। इसकी वजह से शासन को राजस्व का नुकसान होता है। साथ ही पर्यावरण को भी खतरा उत्पन्न होता है। तकरीबन एक साल में उपसंचालक दीपमाला तिवारी ने कई तरह के हथकंडे अपनाए ताकि आरटीआई कर्ता को जानकारी नहीं मिल सके। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इसे धारा दो का उलंघन बताया है।

दीपमाला तिवारी ने आयोग और अपीलकर्ता को गुमराह करने की कोशिश की। अपीलकर्ता अमित सिंह चौहान के माइंस के भू प्रवेश की जानकारी मांगने पर दीपमाला तिवारी ने कहा कि उनका विभाग सिर्फ भू प्रवेश पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करता है। इस पर आयुक्त राहुल सिंह ने अधिकारी को आड़े हाथों लेते हुए पूछ लिया कि ऐसा कैसे हो सकता है कि एनओसी हवा में जारी हो रही हो।
जिन दस्तावेजों के आधार पर एनओसी जारी की गई है वो कार्यालय में मौजूद नहीं हों। आयुक्त राहुल सिंह ने अपीलकर्ता को सभी जानकारियां नि:शुल्क देने का आदेश दिया। साथ ही एक लाख रुपए के जुर्माने के नोटिस का जवाब आयोग के सामने छह जुलाई को अगली पेशी से पूर्व देने का आदेश दिया। इस आदेश से उन अधिकारियों को सबक मिलेगा जो आरटीआई को अपने हिसाब से अनदेखा करते रहते हैं। (साभार - शब्दघोष)

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