शुक्रवार, 22 मई 2020

अंकल-जज मामले


 ठंडे बस्ते में क्यों....?

(शुभदीप खरे )
भारत में लंबे समय तक तालाबंदी ने एक बात साबित कर दी है कि पुलिस को छोड़कर भारत में न्यायिक प्रणाली की कोई आवश्यकता नहीं है और अब कमजोर और गरीब लोगों को अमीर और शक्तिशाली के सामने आत्मसमर्पण कर देना चाहिए, यह उनके लिए फायदेमंद होगा और  विडियो क्लिप जो न्यूज चैंनल "आज तक"  अंकल जज के संबंध में दिखाई गई है, वह सही है और न्याय के चेहरे पर से पर्दा हटा दिया गया है। और यह मामला आजतक मे दिखाए जाने की तुलना में कई गुना ज्यादा गंभीर है....। केवल असली को
कलंक है। न्यायिक प्रणाली को केवल इसमें काम करने वाले वकीलों द्वारा या विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित शिकायतों को दिखाया जा सकता है। माननीय न्यायाधीश के कृत्यों की शिकायतों से जाना जा सकता है प्रेस या मीडिया के सामने प्रकट नहीं की जा सकती हैं। और अब भी उच्च न्यायालय सतर्कता विभाग पंगु है और मर रहा है... अब और भी अधिक अंकल जजों की नियुक्ति लंबित शिकायत को देखे बिना की जा रही है। ताकि वह भी थोड़ी बहुत जो शेष है ट्राई करना होगा। न्यायिक व्यवस्था खत्म और बंद हो रही है, अगर इसे सुधारने की जरूरत है, तो उसे सर्जिकल स्ट्राइक भी करना होगा, जो कर्ता आज की तारीख में नहीं दिखलाई देता। वह गिरता है। और बेईमान कन्टेम्प्ट के कानून का लाभ उठा रहे है। जो उन लोगों पर देखा गया है जो सच्चाई बताते हैं, उन लोगों की शिकायतें जिन्हें कचरे में फेंक दिया गया है, अब वह दिन नहीं है जब न्यायिक प्रणाली अपनी सारी गरिमा खो देगी ।
(लेखक शहडोल के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं)

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