पीएम केयर फंड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर प्रकरण दर्ज
.....सोनिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की जाएगी..... तब भोपाल में कहा जॉर्ज ने
गैर कांग्रेसी सरकार के, कट्टर गांधी परिवार विरोधी, जॉर्ज फर्नांडिस जो अटल बिहारी बाजपेई सरकार में रक्षा मंत्री तो थे ही साथ में वह इस सरकार के संकटमोचक भी थे ।
और तब गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बाजपेई सरकार की लिए आपदा बन गए थे। वे इतने ताकतवर थे एक मुख्यमंत्री के बतौर कि जब गुजरात में सांप्रदायिकता का वातावरण निर्मित हो गया था। तब किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह गुजरात जाए और अकेले जॉर्ज फर्नांडिस ने निर्णय लिया और जाकर सांप्रदायिकता के आग में झुलस रहे हालात में गुजरात की गलियों में चले । हालातों को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में पहल की थी ।
जॉर्ज गांधी परिवार के बहुत विरोधी थे, कारण चाहे जो हो कि वह भी क्रिश्चन थे या फिर व्यक्तिगत जीवन में उन्हें आपातकाल में बहुत प्रताड़ना सहनी पड़ी..... इसके बावजूद भी समाजवाद के यह धुरंधर बहुत लोकतांत्रिक थे।
वे सोनिया गांधी से बहुत परेशान थे, क्योंकि बतौर रक्षा मंत्री उनके ऊपर बार- बार शहीद सैनिकों की शवों के लिए ताबूतो में भ्रष्टाचार का झूठे आरोप वह बार-बार लगा रही थीं....।
लगातार अनदेखा करने के बाद अंततः वे एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह जब भोपाल आए, तो उन्हें अपनी समता पार्टी को भी दुनिया के फ्रंटपेज में लाना था।
तब उन्होंने भोपाल स्टेशन पर ही पत्रकारों से बातचीत में कहा की "...यदि सोनिया गांधी आज के बाद कोई भी सैनिकों को मनोबल गिराने वाला आरोप लगाएंगे तो उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की जाएगी......" यह उनकी धमकी थी, या चेतावनी यह बाद की बात थी किंतु तत्काल में श्रीमती सोनिया गांधी ने चुप्पी साध ली। एक शब्द नहीं बोली । हालांकि बाद में इस ताबूत प्रकरण पर जांच निष्कर्ष मुकदमा चला और जॉर्ज फर्नांडिस को मानसिक गुलामी इतनी हुई की भी उन्होंने रक्षाषा मंत्री पद सेे इस्तीफा भी दे दिया था और अंत में न्यायालय में यह प्रकरण भी निराधार पाया गया चार्ज के ऊपर झूठे आरोप लगाए गए थे।
बहरहाल यह महान समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस की राजनीत की महानता थी , वे अपने विरोधी को भी और अगर वह कट्टर विरोधी है तो उसको भी, बहुत सम्मान के साथ चेतावनी देते थे।
किंतु वर्तमान हालात इस कोरोनावायरस महामारी में कोविड-19 के दौरान कोविड-19 अधिनियम बनाकर कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के ऊपर पीएम केयर फंड को ट्रांसप्लांट किए जाने, पीएम केयर फंड के मामले में पुलिस प्रकरण दर्ज कराया जाना घटिया राजनीति मात्र है जो लोकतांत्रिक कतई प्रतीत होता।
कोविड-19 के संदर्भ में आपात हालात की एक बड़ी चेतावनी भी है कि सरकार की दशा और दिशा क्या गैर लोकतांत्रिक दिशा में बढ़ चली है....?,
कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उदारवादी और लोकतांत्रिक पक्ष देखने को मिला...। जब वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनके पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते दिखाए गए ।और कल ही राजीव गांधी की धर्मपत्नी श्रीमती सोनिया गांधी के ऊपर पुलिस प्रकरण दर्ज कराना कपट पूर्ण राजनीति के अलावा और कोई कदम नहीं है।
इसका आशय यह भी है कि जो भी होगा हम साम-दाम-दंड-भेद की तहत सभी मर्यादाओं को ताक में रखकर कदम उठाएंगे। कम से कम गैर कांग्रेसी सरकार के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस से और उनकी नैतिकता पूर्ण राजनीति से वर्तमान सरकार को सबक लेना चाहिए था.... जो फिलहाल होता नहीं दिख रहा....।
.....सोनिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की जाएगी..... तब भोपाल में कहा जॉर्ज ने
गैर कांग्रेसी सरकार के, कट्टर गांधी परिवार विरोधी, जॉर्ज फर्नांडिस जो अटल बिहारी बाजपेई सरकार में रक्षा मंत्री तो थे ही साथ में वह इस सरकार के संकटमोचक भी थे ।
और तब गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बाजपेई सरकार की लिए आपदा बन गए थे। वे इतने ताकतवर थे एक मुख्यमंत्री के बतौर कि जब गुजरात में सांप्रदायिकता का वातावरण निर्मित हो गया था। तब किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह गुजरात जाए और अकेले जॉर्ज फर्नांडिस ने निर्णय लिया और जाकर सांप्रदायिकता के आग में झुलस रहे हालात में गुजरात की गलियों में चले । हालातों को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में पहल की थी ।
जॉर्ज गांधी परिवार के बहुत विरोधी थे, कारण चाहे जो हो कि वह भी क्रिश्चन थे या फिर व्यक्तिगत जीवन में उन्हें आपातकाल में बहुत प्रताड़ना सहनी पड़ी..... इसके बावजूद भी समाजवाद के यह धुरंधर बहुत लोकतांत्रिक थे।
वे सोनिया गांधी से बहुत परेशान थे, क्योंकि बतौर रक्षा मंत्री उनके ऊपर बार- बार शहीद सैनिकों की शवों के लिए ताबूतो में भ्रष्टाचार का झूठे आरोप वह बार-बार लगा रही थीं....।
लगातार अनदेखा करने के बाद अंततः वे एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह जब भोपाल आए, तो उन्हें अपनी समता पार्टी को भी दुनिया के फ्रंटपेज में लाना था।
तब उन्होंने भोपाल स्टेशन पर ही पत्रकारों से बातचीत में कहा की "...यदि सोनिया गांधी आज के बाद कोई भी सैनिकों को मनोबल गिराने वाला आरोप लगाएंगे तो उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की जाएगी......" यह उनकी धमकी थी, या चेतावनी यह बाद की बात थी किंतु तत्काल में श्रीमती सोनिया गांधी ने चुप्पी साध ली। एक शब्द नहीं बोली । हालांकि बाद में इस ताबूत प्रकरण पर जांच निष्कर्ष मुकदमा चला और जॉर्ज फर्नांडिस को मानसिक गुलामी इतनी हुई की भी उन्होंने रक्षाषा मंत्री पद सेे इस्तीफा भी दे दिया था और अंत में न्यायालय में यह प्रकरण भी निराधार पाया गया चार्ज के ऊपर झूठे आरोप लगाए गए थे।
बहरहाल यह महान समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस की राजनीत की महानता थी , वे अपने विरोधी को भी और अगर वह कट्टर विरोधी है तो उसको भी, बहुत सम्मान के साथ चेतावनी देते थे।
किंतु वर्तमान हालात इस कोरोनावायरस महामारी में कोविड-19 के दौरान कोविड-19 अधिनियम बनाकर कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के ऊपर पीएम केयर फंड को ट्रांसप्लांट किए जाने, पीएम केयर फंड के मामले में पुलिस प्रकरण दर्ज कराया जाना घटिया राजनीति मात्र है जो लोकतांत्रिक कतई प्रतीत होता।
कोविड-19 के संदर्भ में आपात हालात की एक बड़ी चेतावनी भी है कि सरकार की दशा और दिशा क्या गैर लोकतांत्रिक दिशा में बढ़ चली है....?,
कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उदारवादी और लोकतांत्रिक पक्ष देखने को मिला...। जब वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनके पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते दिखाए गए ।और कल ही राजीव गांधी की धर्मपत्नी श्रीमती सोनिया गांधी के ऊपर पुलिस प्रकरण दर्ज कराना कपट पूर्ण राजनीति के अलावा और कोई कदम नहीं है।
इसका आशय यह भी है कि जो भी होगा हम साम-दाम-दंड-भेद की तहत सभी मर्यादाओं को ताक में रखकर कदम उठाएंगे। कम से कम गैर कांग्रेसी सरकार के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस से और उनकी नैतिकता पूर्ण राजनीति से वर्तमान सरकार को सबक लेना चाहिए था.... जो फिलहाल होता नहीं दिख रहा....।
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