आफ्टर को.कोविड-19 न्यू इंडिया द ग्रेट ट्रांसपेरेंट इंडिया
(त्रिलोकीनाथ)
कई करोड़ प्रवासी श्रमिकों के लिए समुचित रेलगाड़ी नहीं किंतु कुछ हजार लोगों के लिए हवाई जहाज के लिए चली घंटों लाइव प्रेस वार्ता उड्डयन मंत्री की.
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जी हां यह कोरोना लॉकडाउन के बाद का भारत है सब कुछ ट्रांस्प्रेंट है पारदर्शी है कुछ लुक्का छिपा नहीं है। साफ साफ सुथरा
सुथरा दिखने वाला समझने वाला सिस्टम भी है ।फिर भी अगर आप नहीं समझना चाहते है, ना समझे ....स्पष्ट है की कई करोड़ श्रमिक जो साधन व संसाधन नहीं था
इसलिए वह महीनों से लगातार पैदल चल रहा है.., चलते चलते प्रताड़ित भी है। और काफी हद तक मर भी रहा है। अब इन चल रहे और मर रहे... श्रमिकों के लिए सरकारी स्तर पर कोई इस स्तर की पत्रकार वार्ता, किसी मंत्री ने नहीं की ....,और ना उसमें कोई बहस हुआ.... पत्रकारों ने प्रश्न पूछे,
क्योंकि अवसर ही नहीं था.... "ना रहेगी बांस ना बजेगी बांसुरी" के अंदाज में शासन का काम चल रहा था। क्योंकि रेल मंत्रालय है ही नहीं, वह मर्ज हो गया है इसलिए रेल मंत्री को जरूरत ही नहीं है। कि वह इस तथाकथित लोक हितकारी परिवहन को हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी विषय वस्तु के बारे में ट्रेन यात्री को बताएं.....।
चुकी कुछ हजार में..... तो कुल मिलाकर, कुछ लाख में हवाई यात्री अमीर परिवार से आते हैं.... उनके लिए पूरी भारत सरकार का उड्डयन मंत्रालय किसी कर्मचारी की तरह उनकी सुविधा हेतु ताकि कोई तकलीफ ना हो , संपूर्ण सतर्कता हो, विस्तार से लाइव पत्रकार वार्ता करके हवाई यात्राओं को चालू करने की पूरी योजना बता दी... फिर भी
अगर कोई हवाई यात्री किसी कारण से मर जाता है जैसे कि हजारों श्रमिक मर ही रहे हैं..... तो उसका दुर्भाग्य है।
सिस्टम में बैठा हुआ नौकर अपने मालिक के प्रति वफादारी से काम कर ही रहा है ।
इसमें कोई शक नहीं यदि रेल मंत्रालय होता उसमें एक रेल मंत्री भी होता तो वह भी अपने मालिकों, श्रमिकों पदयात्रियों या रेलयात्रियों के प्रति जवाबदेह होता । वह भी घंटों हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज को विस्तार से बताता कि कैसे आप सुगमता से यात्रा कर सकते हैं। यह पारदर्शिता 21वीं सदी के लोकतंत्र के भारत की है...
इंडिया बदल रहा है ....यही है नया इंडिया..।
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