सोमवार, 6 अप्रैल 2020

ऐ मालिक, तेरे बंदे हम.... त्रिलोकीनाथ

ऐ मालिक, तेरे बंदे हम....
 





(त्रिलोकीनाथ)
विंध्य-मेकल की गोद में बैठा आदिवासी क्षेत्र शहडोल, संपूर्ण भारत का इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तमाम भारतवर्ष के जितने भी प्रकार के निवासी हैं अलग-अलग क्षेत्र के विभिन्न राज्यों के वे शहडोल संभाग क्षेत्र में अपनी अजीबका पालन के लिए अलग-अलग उद्योगों में कॉलरियो में, ओपीएम में, पावर प्रोजेक्ट में अथवा रिलायंस प्रोजेक्ट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।हमारे क्षेत्र में उस क्षेत्र के भी निवासी रहते हैं जहां का चीनी-वायरस पूरी दुनिया में मौत का कहर बन गया है।

 कहते हैं कि मतंग व अगस्त ऋषि के आश्रम में कोई भी हिंसक प्राणी आ जाता था वह अहिंसक हो जाता था। विंध्य पर्वतराज के बारे में हमारी विरासत बताती है कि अपने गुरु आज्ञा के पालन में वे सिर झुकाकर आज भी नमन खड़े हैं शायद में हम ही को देख रहे हैं क्योंकि हम सब उनकी गोद में है।

फिलहाल हमारे यहां की समर्पित कार्यपालिका, विधायिका को नहीं कहूंगा... न्यायपालिका का रोल नहीं है..., हां पत्रकारिता जितनी भी बची-कुची है और अगर चैतन्य है...., तो उनका भी उतना ही नमन करूंगा, जितना की समर्पित कार्यपालिका का..
 जिसने फिलहाल आज 13 में दिन तक महामारी हिंसक बन चुका कोरोना को शहडोल संभाग क्षेत्र में या यूं कहें विंध्य-मैकल परिक्षेत्र में इंट्री नहीं होने दी... उसके प्रवेश पर, जैसी भी है हमारी कार्यपालिका और उसका जमीनी अमला जिस प्रकार का भी है... जितनी भी इच्छा शक्ति है..., पूर्ण समर्पण के साथ उसने अपने कर्तव्य निर्वहन के जरिए कोरोना पर कड़ी नजर रखी है.... ।
धनपुरी में जरा सी आहट हुई, प्रशासन के कान खड़े हो गए, किसी वफादार चौकीदार की तरह। क्षेत्र की सुचिता व सुरक्षा हमारी प्रकृति, एक वरदान की तरह हमारी सतत चौकीदारी कर रही है। आम नागरिक की भूमिका स्वयं एक चौकीदार की तरह ही रहनी चाहिए...., कि उसके यहां चीनी-राक्षस कोरोना प्रवेश न करने पावे....।
 हमें घमंड नहीं है, हम अभिमान भी नहीं करते..., आज तो स्वाभिमान भी नहीं करना चाहिए,  सिर्फ और सिर्फ  सतत चौकीदारी हमें इस अपवित्र चीनी वायरस से सुरक्षा दिला सकता है... तो कदम से कदम मिलाकर प्रशासन के साथ उसकी हर बात मान कर हम अपनी पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा को लेकर मां नर्मदा, पूज्य सोनभद्र और अन्य सहायक नदी नालों समस्त पर्यावरण क्षेत्र के चर-अचर जीव भी हमारी रक्षा शायद उतनी ही तत्परता से कर रहे हैं.., जितना बड़ा आक्रमण अदृश्य  चीनी-कोरोना किसी मानव मात्र का सहारा लेकर, उसके रूप में हमारे क्षेत्र पर आक्रमण कर सकता है..... हमारी अज्ञात शक्तियां उस अज्ञात ताकतवर राक्षस कोविड-19 से सतत संघर्षरत हैं।

 हमारी कृतज्ञता उनके प्रति भी होनी चाहिए उतनी ही जितनी की मानव के रूप में कार्यपालिका के महामानव बन चुके समस्त कर्मचारियों का, वर्तमान स्वरूप आज हमारे लिए बंदिनी है। बस कुछ दिन की बात है शायद हम इस 21 दिन के तथाकथित जनता-कर्फ्यू से मुक्त हो जाएं। क्योंकि केंद्रीय मंत्रालय के सूत्रों ने इस प्रकार के संदेश किए हैं कि जिस क्षेत्र में कोरोना का संक्रमित मरीज नहीं पाया गया, वहां पर लॉक डाउन हटाया जा सकता है ।
हो सकता है शहडोल, विंध्य-मेंकल क्षेत्र भी क्रमशः नीतिगत तरीके से जनता कर्फ्यू से मुक्त हो जाए...
21 दिन में भी अगर हम प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर प्राकृतिक नियमों की आराधना नहीं करेंगे, उससे वर्तमान परिस्थितियों का समन्वय नहीं करेंगे..., तो करोना  हम सब पर लौटकर हमला कर सकता है..।

 इसमें कोई शक नहीं तो आपको और हमको इस बात के लिए भी तैयार होना पड़ेगा कि हमारी जीवन पद्धति 14 अप्रैल के बाद किस प्रकार की होगी..., हमें अपने पिछड़ेपन पर गर्व होना चाहिए, अगर वह तथाकथित मनुवादी "छुआछूत" वर्तमान राजनीति के लिए नफरत की राजनीति का हिस्सा बन गया था... आज यही कमजोरी हमारी ताकत बन जाए... हमें सोचना चाहिए कम से कम, तब तक जब तक कोरोना का अंतिम विषाणु भी जीवित है...
 यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हम उसे देख नहीं सकते..
 फिल्म शोले के प्रसिद्ध डायलॉग 
"..जो डर गया, समझो मर गया..."
 को अभिनेता सलमान खान ने वर्तमान ने बदल कर कहा है, यह उसका वर्तमान स्वरूप है...
 "...जो डर गया, समझो बच गया..."
 तो मित्रों डरो और डरना सीखो, सिर्फ वायरस से... बाकी जिंदा रहना भी सीखो स्वाभिमान से.. देश की आजादी इतनी सस्ती नहीं है जितना हमने बना दिया था...
 "कट्टरता और जातिवाद" के इस वायरस ने भारत में जमकर धंधा किया धंधे बाज राजनीति ने सनातन की विरासत को नष्ट कर दिया ..?
 फिलहाल तो, इतना ही.. उन सबके लिए शुभकामना करनी चाहिए कि

 जैसे हमारे सभी कार्यपालिका के कर्मचारी, स्वीपर से लेकर कलेक्टर तक और कमिश्नर, सिपाही से लेकर पुलिस महानिदेशक  तक, अपना दिन रात एक कर के हमारे लिए सतर्क रहें... हर चौकीदार के लिए और उनके परिवार के लिए हमें सद्भावना पूर्ण वंदना करनी चाहिए .....यही परीक्षा की घड़ी होती है... कि क्या हमारी कार्यपालिका सतर्क है...?
 आइए हम सब उनका नमन करें,.... और कुछ दिन शहडोल संभाग को वह संपूर्ण सतर्कता के साथ सुरक्षित रखें....
 "नो एंट्री मतलब नो एंट्री...." इस अंदाज पर हम सबकी रक्षा करें... ऐसी कामना हमें इस शहडोल जैसे पवित्रतम तपोभूमि पर बंदना करनी चाहिए, यही हमारी आज की तपस्या है... जय हिंद।
और अंत में यह भी.... ..!





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