बुधवार, 8 अप्रैल 2020

प्रथम 25 संक्रमित राष्ट्रों के समूह में भारत का हुआ प्रवेश / दिनांक 8 अप्रैल 20 / त्रिलोकीनाथ


दुनिया के प्रथम 25 संक्रमित राष्ट्रों के समूह में भारत का हुआ प्रवेश
दिनांक 8 अप्रैल 20 समय दोपहर बाद करीब 2:00 बजे       

                                                                                 (त्रिलोकीनाथ)



आज भारत में तथाकथित जनता कर्फ्यू का 14 मा दिन है| विश्व पटल पर भारत कोरोना के चक्रव्यूह में फंसता जा रहा है| दुनिया के 25 बड़े "कोरोना, कोविड-19 संक्रमित राष्ट्रों" में भारत प्रवेश कर गया है, उसकी संख्या 5000 संक्रमित व्यक्तियों से पार हो चुकी है|
    इस प्रगति की रफ्तार जो थम नहीं रही है और उसके कारण भारत में 21 दिनों का घोषित जनता कर्फ्यू मै ढील बहुत जल्द कोई संभावना नहीं है . बल्कि आंकड़ों की बढ़ती रफ्तार से भारत के बीच जीवन शैली अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार से दिखने लगेगी. केंद्र शासन का एक नजरिया यह भी है कि जिन जिलों में या क्षेत्रों में ज्यादा संक्रमण नहीं देखा गया या संक्रमण हीन क्षेत्र हैं वहां पर किस प्रकार से जनता कर्फ्यू में ढील दिया जाए...,
     यह अलग बात है कि कई नेता इस समस्या से अपने हाथ खड़े कर दिए हैं.. और जनता कर्फ्यू बनाए रखने के पक्ष में हैं .इस महामारी की गंभीरता इस बात पर आकलन की जा सकती है कि दुनिया के 6 प्रमुख संक्रमित राष्ट्रों में चीन को छोड़ दे,  5 राष्ट्र एक लाख से ऊपर के संक्रमण वाले श्रेणी में पहुंच गए हैं यदि ऊपर के 4 राष्ट्रों को याने स्पेन, इटली, जर्मनी, और फ्रांस की कुल संक्रमित लोगों की संख्या जोड़ी जाए तो अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका चार लाख से ऊपर के संक्रमित सदस्यों वाला सबसे प्रताड़ित राष्ट्र दिख रहा है...,
     और इस हालत में वहां के राष्ट्राध्यक्ष का ट्रंप का अविवेक पूर्ण वक्तव्य हमारी प्राथमिक कक्षा की गरीब की रोटी की कहानी की तरह प्रतीत होता है.., जिसमें साधु के कहने पर राजा जब गरीब की रोटी भिक्षा मांगने जाता है तो वह वहां भी राजा की तरह व्यवहार करता है, कुछ इसी अंदाज में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप जरूरी दवा की मांग करते वक्त भारत से रजवाड़ा दिखा रहे थे. बहराल सच यह है अमेरिका की हालत बहुत दयनीय है और उसे संवेदना की जबरदस्त जरूरत है....।

किंतु इन सबके बीच में आज के हालात भारत के लिए बहुत सुखद नहीं है .भविष्य का अंधकार भारत को भ्रमित किए है.... और हम सभी इस भ्रमपूर्ण  महामारी से निकलने के बाद अपनी नई जीवनशैली को जीने के लिए अभी से सीखना चालू कर दें... यह हमारे लिए व्यक्तिगत रूप से परिवर्तित जीवन शैली का बड़ा संदेश है, यह क्या होगा कैसा होगा आप अपने लोकज्ञान से आसपास की परिस्थितिकी के वातावरण से स्वयं सीख सकते हैं.
 जोकि भारतवर्ष की हजारों साल की सनातन विरासत सभ्यता का सहज हिस्सा है. दरअसल हमने पश्चिमी देशों की नकल करके आज जो अंध भक्तों की तरह पश्चिमी राष्ट्रों का अनुगमन किया वह हमारे लिए भयानक चक्रव्यूह बन सकता है.... यदि हमारे देश की अपनी शिक्षा प्रणाली ,उच्चतर औद्योगिक विकास ,कुटीर उद्योग या फिर कहना चाहिए महात्मा गांधी का दर्शन आधारित भारत होता तो शायद हम इस "कोरोना, कोविड-19 महामारी को आयात करके अपने देश में नहीं लाते... बहरहाल अब भी हमें हमारा लोकज्ञान ही सुरक्षा की गारंटी देता नजर आता है... किंतु क्या हमारा  प्रशासन हमारा संभाग प्रशासन इस परिस्थितियों को समझने के लिए समय निकालेगा...
 क्या वह नवाचार करने के लिए तैयार है या फिर लकीर की फकीर की तरह सिर्फ और सिर्फ अपनी भूमिका मैं बना रहेगा ,,,देखते हैं दुनिया के संक्रमित राष्ट्रों मैं टॉप 25 में प्रवेश के बाद आदिवासी क्षेत्र के प्रशासन किस प्रकार का नवाचार प्रस्तुत करते हैं क्योंकि एक तरफ कर्तव्यनिष्ठा तो दूसरी तरफ भविष्य का दर्शन की संभावना हमारी उत्कृष्ट जीवन कला का हिस्सा है........ शुभम मंगलम


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