बुधवार, 15 अप्रैल 2020

कोरोना पार्ट 3, एक सतर्क शुरुआत...? लोकतंत्र कोरोना और पत्रकारिता-6 (त्रिलोकीनाथ)


लोकतंत्र कोरोना और पत्रकारिता-6

कोरोना पार्ट 3,
 एक सतर्क शुरुआत...?

(त्रिलोकीनाथ)
कोरोना महायुद्ध पार्ट 3, इसे मैं पार्ट 3 इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि जब दुनिया में कोरोना इंट्री कर रहा था और दुनिया में भारत एक हिस्सा है तो पार्ट वन में ही शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दोस्त अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए भारत का खजाना खोल दिए थे ताकि लाखों की संख्या में बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन किए भारत की भव्यता को ट्रंप को दिखाया जा सके, एक साथ तालियों की गड़गड़ाहट का आनंद ट्रंप उठा सकें अगर अनुमान सही है तो ट्रंप के जीवन में यह अंतिम बड़ी भीड़ रही होगी ।क्योंकि इसके बाद आज ट्रंप अमेरिका में कोरोना से मरने वाले अपने नागरिकों के दुनिया के सबसे बड़े आंकड़ों का दुख झेल रहे हैं ।करीब 600000 की आबादी कोविड-19 से अमेरिका में प्रभावित है ,25000 से ज्यादा लोग मर चुके हैं। इसका असर ट्रंप के मनोमस्तिष्क पर इस कदर पड़ा की डब्ल्यूएचओ को दिया जाने वाला  अमेरिका के करदाता सालाना डब्ल्यूएचओ को यूएस डॉलर 400 (लगभग 30 अरब) से 500 मिलियन (लगभग 38 अरब) की राशि देते हैं। जबकि चीन मोटे तौर पर सालाना यूएस डॉलर 40 मिलियन (लगभग तीन अरब) या उससे भी कम राशि देता है। का वार्षिक सहयोग ट्रंप ने बंद कर दिया उसका आरोप है कि डब्ल्यूएचओ ने  चीन के पक्ष में काम किया .

बहरहाल इस मृत्युउत्सव ने ट्रंप के जाने के बाद ही जब भारत में प्रवेश किया तो भी कोरोना पार्ट वन पर भारत उतना चिंतित नहीं था ।क्योंकि मध्य प्रदेश की राजनीति के लिए शायद एक बड़ी छूट या कहना चाहिए कोविड-19 को नजरअंदाज करने का जोखिम उठाया गया ।भाजपा के हाथ में सत्ता तो आ गई ।साथ ही मध्यप्रदेश में वन-मैन-आर्मी याने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री की शपथ भी दिला दी गई ।एक स्वास्थ्य मंत्री की शपथ इसलिए नहीं दिलाई गई क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कहा था , "घोड़े को पानी दिखा देना, पिलाना नहीं ......" इसलिए 21 दिन की लॉगआउट में भी इस अत्यावश्यक कार्य के लिए मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में शायद एक भी विधायक या कार्यकर्ता स्वास्थ्य मंत्री के योग्यता का उपयोग करने वाला व्यक्ति उन्हें नहीं मिला ....? 
यह और दुखद रहा कोरोना पार्ट 2 के स्वास्थ्य सचिव पल्लवी जैन और कई आईएएस अधिकारी कोरोना के संक्रमण के शिकार हो गए, बावजूद 21 दिन में स्वास्थ्य मंत्री की आवश्यकता मध्यप्रदेश को महसूस नहीं हुई अकेले ही हमारे सर्वशक्तिमान मुख्यमंत्री श्री चौहान इस महायुद्ध का संचालन करते देखे गए....
     बहरहाल हम लौट के बुद्धू घर को आते हैं और देखते हैं कि कोरोना पार्ट 3 की शुरुआत मैं शहर का लब्बो-लुआब   क्या रहा....

कोरोना महायुद्ध पार्ट 3 तथाकथित ग्रीन जोन में हम नागरिक होने का अपनी आदिवासी क्षेत्र में संतोष करें क्योंकि प्रशासन की सतर्कता के कारण शहडोल सहित आसपास जिले और संभाग भी कोरोना मुक्त रहे इस प्रकार पार्टी 3 में के लागू होने का आज पहला दिन है पार्ट 2 मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 21 दिन की घर बंदी का जनता कर्फ्यू लगाया था इसी कर्फ्यू को बढ़ाते हुए 19 दिन के लिए और कल लागू किया गया जिसका पहला दिन आज 15 अप्रैल को प्रारंभ हुआ 21 दिन के लॉगआउट से थके  लोग जैसे बैंक में अपना धन निकालने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते दिखे उसके अलग-अलग कारण रहे खुशी की बात यह रही प्रशासनिक अमला इस पर नजर रखे हुए था जिसका असर बुढार रोड स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में दिखा यहां पर मोर्चा संभाले अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेव उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करते दिखे





शायद इसका असर यह रहा की पूंजी पतियों की तरह व्यवहार कर रही बैंकिंग व्यवस्था ने अंततः कड़ी धूप में 20 25 किलोमीटर दूर से पैदल आए अपने ग्राहकों के लिए नाममात्र का टेंट लगाया जिस कारण कई घंटे ग्राहकों ने अपनी पारी आने के इंतजार पर कड़ी धूप में खड़े देखे गए ना पीने के पानी की व्यवस्था थी ना अन्य

बुढार रोड स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा हो या फिर बस स्टैंड स्थित अन्य बैंक्स जिला जेल भवन के सामने पंजाब नेशनल बैंक हो या फिर कलेक्ट्रेट के सामने विजया बैंक जो सामने नजर आए किसी ने भी इस कड़क धूप में अपने ग्राहकों के लिए टेंट लगाकर के उनके पानी की व्यवस्था की मदद करते नहीं दिखे स्टेट बैंक ने अवश्य टेंट लगा रखा था जबकि कैनारा बैंक के भवन में सर्वाधिक भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करती हुई दिखाई दी क्योंकि दुकानें बंद थी इसलिए बैंक ग्राहक आराम से गलियारे पर बैठे देखे गए हालांकि यहां भी टेंट लगाकर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी वैसे शहडोल में विकास के नाम पर पूरे पेड़ कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने कटवा दिए सिर्फ एक नीम का पेड़ बैंक ऑफ बड़ौदा में बैंक ग्राहकों को राहत देता देखा गया








कड़क दोपहर में सबसे ज्यादा सोशल डिस्टेंसिंग का सम्मान अगर कहीं नहीं हुआ तो जिला अस्पताल शहडोल में देखा गया जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग जैसी कोई चीज क्यों नहीं देखी गई समझ से बाहर रहा शायद प्रधानमंत्री जीके कोरोना पार्ट  के 21 दिन के अनुभव से मरीजों ने और ना ही जिला अस्पताल प्रबंधन ने कुछ सीखा



इसके ठीक विपरीत जिला आयुष कार्यालय प्रधानमंत्री जी के 19 दिन कार्यालय बंदी को पूरी तरह से पालन करता देखा गया यह अलग बात है कि 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री जी ने पहली बार आयुर्वेद के दवाओं को लेकर प्रतिरोधक क्षमता बना बढ़ाए जाने का संदेश दिया किंतु जिला आयुष कार्यालय उनके संदेश से शायद कोई मतलब नहीं निकाला जबकि जिला आयुष चिकित्सालय मैं 2 डॉक्टर्स ने एक डॉ रितु खिड़की से मरीजों के संपर्क में बैठी देखी गई यह एक अलग बात है कि मरीज के नाम पर एक मैं और एक अन्य व्यक्ति वहां दिखे एक अन्य नर्स भी खिड़की से यदि कोई आ गया तो उन्हें पूरे परिवार सहित नाम लिखकर दवा देने का काम कर रही थी इस प्रकार वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 अप्रैल के भाषण का पूरा पालन करती देखी गई



एक और  जहां भारी भीड़ ने जिला अस्पताल  में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे थे  वही अपनी बदहाली का आंसू बहाता और अविश्वास का प्रतीक बना जिला आयुष का अमला ठीक उसी प्रकार से उपस्थिति दे रहा था जैसे किसी प्यासे के लिए इस परिसर में खुद आ गया यह ट्यूबवेल जो शायद पानी ना होने के कारण कचरे से भर गया और उसे छोड़ दिया गया है

इस तरह सुहागपुर के एसडीएम धर्मेंद्र मिश्रा भी जगह-जगह चेतावनी देते हुए लोगों को जनता कर्फ्यू के पालन करने का निर्देश देते देखे गए शाम होते होते जय स्तंभ चौक में तथाकथित तौर पर पाली थाना से सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाता एक वाहन में कई लोगों को भरकर जो शायद गोहपारू के थे उन्हें शहडोल भेजा गया जय स्तंभ चौक पर जिन्हें पुलिस ने रोककर चिकित्सा परीक्षण के लिए रैन बसेरा में भेज दिया ताकि वे परीक्षण प्रांत अपने घर भेजे जा सके पाली थाना पुलिस चाहती तो बड़ा वाहन कर इन्हें मदद कर सकती थी किंतु सांच को आंच क्या




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