बुधवार, 31 जुलाई 2019

हिंदू -मुस्लिम महिलाओं की अधिकार दिवस 30 जुलाई 2019



हिंदू -मुस्लिम महिलाओं की 
अधिकार दिवस 30 जुलाई 2019

(  त्रिलोकीनाथ  )  

30 जुलाई 2019 भारत की महिलाओं के लिए चाहे वह हिंदू हो या फिर मुस्लिम दोनों के लिए ही आजादी का दिन माना जाना चाहिए।

 मुस्लिम महिलाओं को लेकर तीन तलाक का विषय उनके आजादी का अहम कारण है ।समान अधिकार और महिला सुरक्षा की चिंता भारत के महासदन लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया ।विवादों के अंतर्विरोध के बावजूद यह गारंटी सुनिश्चित हो गई है अब कानूनन कि यह एक आचार संहिता है ।इस्लामी समाज में की महिलाओं का सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है । यह काम मुस्लिम समाज अपने धर्म-निष्ठ राष्ट्रों के अनुगमन से स्वयं सुनिश्चित कर सकता था , जिसमें उसने परंपरा और बाद में कुप्रथा के रूप में अघोषित मान्यता दे रखी थी। जो कठमुल्लापन के कारण लोकतंत्र के आजादी के परिपेक्ष में नागरिक हक का उल्लंघन करता था।
 भारी सुधार की गुंजाइश के संभावनाओं के बावजूद तीन तलाक बिल अंततः कानून बन गया है ।अब इसका सम्मान करना और न करना या कराना मुस्लिम समाज के रवैया पर निर्भर करता है.... अन्यथा उन्हें कानून का अपराधी माना जा सकता है।

 चलिए अब दूसरी तरफ चलते हैं,  परंपराओं की आड़ में बहुत कुछ हिंदू समाज में भी होता रहा है जिसके कारण सनातन धर्मी समाज का एक वर्ग स्वयं को तार्किक आधार पर अपमानित महसूस करता रहा। इसके कारण कल ही महाकाल के दरबार , उज्जैन में हिंदुत्व की फायर ब्रांड नेता सन्यासी उमा भारती ने एक और परंपरा को तोड़ कर महाकाल पर जलाभिषेक करने का काम किया है। कथित तौर पर यह परंपरा पुजारियों द्वारा साड़ी पहनकर महाकाल के पूजा की विधि पर निर्मित था। जिसे उमा भारती ने तोड़ते हुए अपनी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री की ड्रेस कोड  पर बगावत कर  30 जुलाई को सुबह अचला और धोती पहने उमा भारती ने गर्भ गृह में जाकर महाकाल के दर्शन किए और जल चढ़ाया।
  इससे विवाद खड़ा हो गया, यह काम पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती चाहती तो पूरी आजादी के साथ 14 साल मुख्यमंत्री रहे भाजपा के शिवराज सिंह चौहान के हिंदुत्व ब्रांड वाली भाजपा सरकार में कर सकती थी ...... और पूजा के अधिकार  मामले में महिला स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त कर सकती थी ....? किंतु शायद उन्हें अपने हिंदुत्व वाली भाजपा सरकार से अपमानित होने का खतरा था ।इसलिए वे शोषण को बर्दाश्त करती रही.... ?

 जैसे बरसों बरस आजादी के बाद प्रभावित व तार्किक मुस्लिम महि महिलाओं लाओं ने शोषण को बर्दाश्त किया । इससे यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र की ताकत अपनी अपनी परिभाषा में अपनी अपनी सत्ता पर स्वतंत्रता को हमेशा महसूस करती है। वह स्वतंत्रता गलत है या सही है यह वक्त के पैमाने पर कितना खरा उतरेगा.... एक अलग बात हो सकती है। 

किंतु वर्तमान संदर्भ में उसे ठीक समझ कर स्वतंत्रता  निर्णय का दिन 30 जुलाई 2019 महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता का दिन रहा एक तरफ महाकाल के समक्ष स्वतंत्रता तो दूसरी तरफ लोकतंत्र के महा सदन में तीन तलाक बिल पर मुस्लिम महिलाओं की स्वतंत्रता का अधिकार का दिवस समझा जाना चाहिए।

 बधाई हो ,भारत की महिला अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली सभी महिलाओं को।

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