गुरुवार, 23 मई 2019

प्रशासन के हमलावर किसके संरक्षण में....? / तो क्या हालात "बाड़ी के खेत खाने के हैं.. "..







युवा सांसद के चुनौती और अवसर भी...... 

चुनाव  के धुंध में छुपा  माफिया..
 प्रशासन के हमलावर किसके संरक्षण में.
तो क्या हालात "बाड़ी के खेत खाने के हैं.. ".. 
----------------------(त्रिलोकीनाथ )-----------------------


लिए चुनाव हो गया.... , लोकसभा का भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आ गई और शहडोल क्षेत्र के विरासत की राजनीति को बढ़ाने के लिए दलबीर सिंह-राजेश नंदनी सिंह की पुत्री हिमाद्री सिंह भारतीय जनता पार्टी के बैनर से पहली बार सांसद के रूप में शहडोल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगीं।नरेंद्र मरावी की पृष्ठभूमि से भाजपा के रास्ते प्रारंभ होने वाला हिमाद्री सिंह का राजनीतिक सफर शहडोल के हित में समर्पित हो,यही हमारी उनकी जीत पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं...।
 फिर लौट चलें शहडोल क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण, महान नदियों और तालाबों  से भरपूर शहडोल क्षेत्र की सुरक्षा व चिंतन के लिए ,जिसके लिए वर्तमान में प्रशासनिक दृष्टिकोण से शहडोल कमिश्नर शोभित जैन का भारी दबाव है । उनके दबाव का परिणाम ही है की अवैध रूप से उत्खनन व कार्य करने वाला माफिया अपने वर्चस्व को टूटता देख बौखलाया हुआ है ...।
पुलिस अधीक्षक सुशांत सक्सेना की माने तो शासन-प्रशासन और पब्लिक में अवैध रूप से सिस्टमैटिक काम करने वाला सिस्टम ही "माफिया" कहलाता है इस नजर से पिछले 15 वर्षों में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही और उसी दौरान प्रदेश के अन्य क्षेत्र के साथ शहडोल में भी रेत-माफिया का जन्म हुआ। वह 15 वर्षों में वयस्क हो, शायद इतना ताकतवर हो गया कि अपने कार्य पर हस्तक्षेप उसे बर्दाश्त नहीं .....! यही कारण है की व्योहारी में तहसीलदार के नेतृत्व में रेत माफिया अपने खिलाफ चल रही कार्यवाही को बर्दाश्त नहीं किया और तहसीलदार पर हमला कर दिया.. शहडोल से करीब 15 किलोमीटर दूर जैसीनगर एसडीएम क्षेत्र के एसडीएम, माइनिंग अफसर व अन्य बड़े अफसरों के ऊपर रात्रि को योजनाबद्ध तरीके से उस वक्त हमला हो गया ,जब वह 1:00 बजे रात को माफिया के खिलाफ धरपकड़ किया, उमरिया जिला में तो अनूपपुर जिला में भी प्रशासनिक अमले पर हमले की अलग-अलग खबरें आई हैं ....यह अलग बात है समन्वय के कारण वहां बातें दब गई।
 यह सोचने की बात है की माफिया कैसे काम करता है ,उसे कहां से संरक्षण मिलता है ...खनिज महिला अधिकारी फरहत जहां निश्चित तौर पर स्वयं को प्रशासनिक संरक्षण में पाते हुए माफिया के खिलाफ रात के 1:00 बजे काम करने का निश्चय किया और जब माफिया ने उन पर हमला किया तब कथित तौर पर स्वयं दंडाधिकारी सतीश राय उनके साथ थे ।उन पर भी हमला हुआ। इन हालात में सोहागपुर थाने को सूचना दी गई.... किंतु 15 किलोमीटर के रेंज पर थाना जोकि शहडोल मुख्यालय में ही है जहां पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी बैठते हैं, वे 15 किलोमीटर के क्षेत्र में प्रशासनिक अमले पर हो रहे हमले को 3 घंटे बाद भी संरक्षण देने में असफल रहै। करीब 7:00 बजे सुबह खनिज अधिकारी औपचारिक तौर पर जरिए खनिज निरीक्षक इस बात की सूचना थाना शहडोल में ठीक उसी प्रकार से लिखाई जैसे कि शहडोल के आदिवासी सब कुछ घटित हो जाने के बाद थाने में जाकर रिपोर्ट लिखाते हैं ..। कथित तौर पर  कुटिया पकड़े गए  किंतु असली माफिया  अब तक नहीं हुए हैं चिन्हित और उससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक, दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम यह है कि घंटों ....नहीं कई दिनों बाद भी पुलिस प्रशासन का अमला यह निर्णय लेने में अक्षम रहा की सोहागपुर थाने की कर्तव्य-हीनता में तत्काल फेरबदल क्यों न कर दिया जाए ...? तो क्या पुलिस अधीक्षक सुशांत सक्सेना की बातें माफिया के बारे में सही हैं .....?  ,  यह विचारणीय है..।




 "देश-भक्ति , जन-सेवा" की कसम का नारा क्या सिर्फ दिखावे का साइन बोर्ड है...? यह भी विचारण इसलिए है, क्योंकि अगर शहडोल मुख्यालय जहां पुलिस महानिरीक्षक स्तर के पदाधिकारी बैठता हो और वहां 15 किलोमीटर के दायरे में ही सुरक्षा की गारंटी पुलिस नहीं दे पा रही है तो वह या तो माफिया गिरी का हिस्सा है ...?,या फिर कर्तव्य हीन पुलिस व्यवस्था को प्रमाणित करता है या फिर  परदे के पीछे  कुछ और चल रहा है ...?
आप .,अन्य आंख मूंदकर भी नहीं मान सकते इस पूरी घटना की जहां प्रशासनिक दंडाधिकारी स्तर का व्यक्ति प्रताड़ित हुआ हो ,शासकीय कार्य में बाधा हुई हो उसकी सूचना पुलिस मुख्यालय भोपाल अथवा मुख्य सचिव स्तर पर ना पहुंची हो ...? ,  फिर भी उसके परिणाम किसी चुनाव आचार संहिता से बंधे नहीं होने चाहिए बल्कि चुनाव आचार संहिता तो, तत्काल कानून पालन की गारंटी होती है.. यह आम धारणा है ।तो क्या है क्या यह अवधारणा माफिया गिरी में खत्म हो गई... अन्यथा क्या कारण है कि एतनी बड़ी प्रशासनिक घटना में मौन सहमति माफिया को मिल रहा है... क्या पुलिस अधीक्षक के नियंत्रण के हाथ में सोहागपुर की कानून व्यवस्था नहीं रह गई ....? , क्या शहडोल क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सिर्फ दिखावे का पुतला रह गया है..? यह सब गंभीर प्रश्न है ....क्योंकि यदि मुट्ठी भर प्रशासनिक अमला भी अपने कर्तव्य पालन में स्वतंत्र नहीं हैं क्षेत्र की लाखों लाख जनता की सुरक्षा के लिए निहित पुलिस व्यवस्था सिर्फ दिखावे की दुकानदारी है ....जो अपने लक्ष्य पर काम कर रही है ....?यह भी गंभीर प्रश्न है और इनका उत्तर इन्हीं प्रशासनिक और पुलिस के धुंध में खोया हुआ है...!  जिसे जितनी जल्दी हो पाक साफ करके जनमानस को कानून और व्यवस्था की सुरक्षा की प्राथमिक गारंटी का दिखाने का सत्य बताना चाहिए।
क्षेत्र में युवा सांसद हिमाद्री सिंह के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी और उसकी प्राथमिक कर्तव्यों में निर्वहन का कार्य भी। कि वह यदि शहडोल के कमिश्नर ऐसा चाहते हैं तो पर्यावरण संरक्षण के मामले में नदी तालाब रेत वन खनिज यह सब आदिवासी क्षेत्र की धरोहर और उसकी पूंजी आदिवासियों को संरक्षित व सुरक्षित करने वाली परिस्थितियां को सुरक्षित करने की गारंटी सबसे पहले मिलने चाहिए यह एक अलग बात है कि क्या हिमाद्री सिंह अपने कार्यों के निर्माण में इन्हें प्राथमिकता दे पाती हैं अथवा जीत के जश्न में प्रशासनिक हमले पर फिलहाल चुप्पी साधे रखते हैं.... और यही एक चुनौती है तो कार्य करने का एक बड़ा अवसर भी .... तो आइए देखें जिले के उच्च पदस्थ महिला अधिकारी ने क्या रिपोर्ट कराया , रिपोर्ट के प्रत्येक खंड स्वयं बोलता हुआ एक चित्र है....

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