युवा सांसद के चुनौती और अवसर भी......
चुनाव के धुंध में छुपा माफिया..
प्रशासन के हमलावर किसके संरक्षण में.
तो क्या हालात "बाड़ी के खेत खाने के हैं.. "..
----------------------(त्रिलोकीनाथ )-----------------------
चलिए चुनाव हो गया.... , लोकसभा का भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आ गई और शहडोल क्षेत्र के विरासत की राजनीति को बढ़ाने के लिए दलबीर सिंह-राजेश नंदनी सिंह की पुत्री हिमाद्री सिंह भारतीय जनता पार्टी के बैनर से पहली बार सांसद के रूप में शहडोल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगीं।नरेंद्र मरावी की पृष्ठभूमि से भाजपा के रास्ते प्रारंभ होने वाला हिमाद्री सिंह का राजनीतिक सफर शहडोल के हित में समर्पित हो,यही हमारी उनकी जीत पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं...।
फिर लौट चलें शहडोल क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण, महान नदियों और तालाबों से भरपूर शहडोल क्षेत्र की सुरक्षा व चिंतन के लिए ,जिसके लिए वर्तमान में प्रशासनिक दृष्टिकोण से शहडोल कमिश्नर शोभित जैन का भारी दबाव है । उनके दबाव का परिणाम ही है की अवैध रूप से उत्खनन व कार्य करने वाला माफिया अपने वर्चस्व को टूटता देख बौखलाया हुआ है ...।
पुलिस अधीक्षक सुशांत सक्सेना की माने तो शासन-प्रशासन और पब्लिक में अवैध रूप से सिस्टमैटिक काम करने वाला सिस्टम ही "माफिया" कहलाता है इस नजर से पिछले 15 वर्षों में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही और उसी दौरान प्रदेश के अन्य क्षेत्र के साथ शहडोल में भी रेत-माफिया का जन्म हुआ। वह 15 वर्षों में वयस्क हो, शायद इतना ताकतवर हो गया कि अपने कार्य पर हस्तक्षेप उसे बर्दाश्त नहीं .....! यही कारण है की व्योहारी में तहसीलदार के नेतृत्व में रेत माफिया अपने खिलाफ चल रही कार्यवाही को बर्दाश्त नहीं किया और तहसीलदार पर हमला कर दिया.. शहडोल से करीब 15 किलोमीटर दूर जैसीनगर एसडीएम क्षेत्र के एसडीएम, माइनिंग अफसर व अन्य बड़े अफसरों के ऊपर रात्रि को योजनाबद्ध तरीके से उस वक्त हमला हो गया ,जब वह 1:00 बजे रात को माफिया के खिलाफ धरपकड़ किया, उमरिया जिला में तो अनूपपुर जिला में भी प्रशासनिक अमले पर हमले की अलग-अलग खबरें आई हैं ....यह अलग बात है समन्वय के कारण वहां बातें दब गई।

"देश-भक्ति , जन-सेवा" की कसम का नारा क्या सिर्फ दिखावे का साइन बोर्ड है...? यह भी विचारण इसलिए है, क्योंकि अगर शहडोल मुख्यालय जहां पुलिस महानिरीक्षक स्तर के पदाधिकारी बैठता हो और वहां 15 किलोमीटर के दायरे में ही सुरक्षा की गारंटी पुलिस नहीं दे पा रही है तो वह या तो माफिया गिरी का हिस्सा है ...?,या फिर कर्तव्य हीन पुलिस व्यवस्था को प्रमाणित करता है या फिर परदे के पीछे कुछ और चल रहा है ...?


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