बुधवार, 3 दिसंबर 2025

90.21रुपया प्रति डॉलर/ अरावली पहाड़ियों के लिए ‘डेथ वारंट’ : सोनिया/संसद परिसर में भौं-भौं

रुपया पहली बार 90 के नीचे गिरा, 90.21 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर

मुंबई: तीन दिसंबर (भाषा)


विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बीच रुपया बुधवार को पहली बार 90 प्रति डॉलर के नीचे चला गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 25 पैसे टूटकर 90.21 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है।विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता कायम रहने और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट थामने के लिए रिजर्व बैंक के आगे न आने से स्थानीय मुद्रा रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई।

मोदी सरकार ने अरावली पहाड़ियों के लिए ‘डेथ वारंट’ जैसा कदम उठाया है : सोनिया गांधी

नयी दिल्ली: तीन दिसंबर (भाषा) कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अरावली पहाड़ियों के लिए ‘‘डेथ वारंट’’ जैसा कदम उठाया है।उन्होंने अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘द हिंदू’ के लिए लिखे एक लेख में इस बात का उल्लेख किया कि अरावली के 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले किसी भी क्षेत्र में खनन को छूट दे दी गई है।

दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ छात्रों और आम नागरिकों ने किया प्रदर्शन

नयी दिल्ली: तीन दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छ हवा की मांग को लेकर बुधवार को जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और प्रदूषण की समस्या के खिलाफ प्रदर्शन किया।दिल्ली में लंबे समय से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है।

EC को पार्टियों को SIR के बारे में जानकारी देनी चाहिए ताकि चिंताएं दूर हो सकें: उमर अब्दुल्ला

जम्मू: (3 दिसंबर) जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को चुनाव आयोग से सभी राजनीतिक पार्टियों को वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बारे में जानकारी देने का आग्रह किया, ताकि बाकी चिंताओं को दूर किया जा सके और चुनावी प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।उन्होंने कहा कि चुनाव हमेशा निष्पक्ष और पारदर्शी होने चाहिए, जिसमें किसी भी शिकायत या शक की कोई गुंजाइश न रहे, जो EC की ज़िम्मेदारी है।अब्दुल्ला ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान रिपोर्टरों से कहा, "अगर SIR को लेकर कोई आशंका है, तो EC को सभी राजनीतिक पार्टियों को बुलाकर उन्हें इस काम के बारे में जानकारी देनी चाहिए और सभी चिंताओं को दूर करना चाहिए।"

विशेषाधिकार ; संसद परिसर में भौं-भौं...

नयी दिल्ली: तीन दिसंबर (भाषा) कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने संसद परिसर में कुत्ता लाए जाने को लेकर उनके खिलाफ सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की मांग किए जाने को लेकर बुधवार को पूछे गए सवाल पर दो बार ‘‘भौं-भौं’’ बोलकर जवाब दिया।



बुधवार, 26 नवंबर 2025

शहडोल : पारदर्शी भ्रष्टाचार का नया मॉडल

 शहडोल : पारदर्शी भ्रष्टाचार का नया मॉडल

     


 शहडोल शहर की सड़कें आजकल पानी के जहाज़ जैसा अहसास कराती हैं। गड्ढों की लहरें इतनी गहरी हैं कि लगता है जैसे कोई नाव सागर में डगमगा रही हो। करोड़ों रुपए खर्च करके जो सड़कें बनाई गईं, वे मात्र कुछ महीनों में ही टूट-फूट गईं। लेकिन नगर पालिका को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब तो मानो यह उनका “नया मॉडल” बन गया है – पहले सड़क बनाओ, फिर उसे तोड़ो, फिर नया काम दिखाकर फिर से टेंडर निकालो।

शहडोलनगर पालिका में 20 और 21 के बीच में सड़क बन बनी सड़क में चलने में लगता है जैसे पानी की जहाज मे चलते हैं हो सकता है यह उनका नया मॉडल हो करोड़ों रुपए खर्च करने वाला। 

लेकिन अब यहीं पर गुरु नानक चौक में रास्ता काट कर नया नाला का निर्माण किया जा रहा है। अपना मानना है कि भ्रष्टाचार यदि पारदर्शी हो जाए तो वह अघोषित कानून हो जाता है क्योंकि इसे शहडोल नगर पालिका परिषद के कांग्रेस के अध्यक्ष और भाजपा के उपाध्यक्ष सहित करीब 40सभी पार्षद मान्यता देने लगते हैं इसे पारदर्शी भ्रष्टाचार भी कहा जाता है। कुछ इसी प्रकार का इस नाला निर्माण का भ्रष्टाचार पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है।

 


 इसे इस प्रकार से समझ सकते हैं कलेक्टर मुकेश शुक्ला के कार्यकाल में नगर विकास की आंधी चल रही थी इसमें इंदिरा चौक  से गांधी चौक तकके शहडोल के भी पूरे पेड़ काट डाले गए यह कहा गया की सड़क निर्माण होगा इसलिए आसपास की नालियों का निर्माण शुरुआत में किया जा रहा था किंतु गुरुनानक चौक के यह निर्माण ब्रेक हो गया तब से यह बंद बस्ते की कहानी हो गई नाली और पानी की समस्या जस की तरस रही बरस 10 बरस बीत गए नया नाल भी लाखों रुपए का बन गया और पुराने नाले से पानी निकलता रहा अब अचानक होश आया है की सड़क को ठीक करने के लिए कनेक्ट कनेक्टिंग नाली का निर्माण किया जाए इसलिए गुरु नानक चौक से कमिश्नर बंगले की तरफ जाने वाला सड़क मार्ग बंद कर दिया गया है और नाली निर्माण हो रही है किंतु वह पुरानी नाली में ही नाले कानिर्माण किया जा रहा है नया नाली को पिछलेएक दशक से छोड़ दिया गया है इसलिए यह पारदर्शी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है इसे ठीक करने में किसी की रुचि दिखाई नहीं दे रही है विकास की धुंध में भ्रष्टाचार की लूट प्राथमिकता है इसलिए पुरानी नाली को ही ठीक किया जा रहा है नए नाले का कनेक्शन शायद दो-तीन दशक बाद जब कभी शहडोल में सड़क बनेगी तब तक यह यूं ही पड़ी रहेगी। यह शहर की इकलौती पारदर्शी भ्रष्टाचार की समस्या नहीं है इसलिए इस पर फोकस किया जा रहा है कि जब पैसा ही बर्बाद हो रहा है तो नए नाले से कनेक्ट करके उसे अच्छा रूप दिया जा सकता है देखना होगा शहडोल की भ्रष्टाचार पालिका परिषद कुछ बेहतर कर पाती है या फिर अपने प्राथमिक लक्ष्य पर ही अधिक रहेगी 

ताज़ा उदाहरण है गुरु नानक चौक का।   “कनेक्टिंग नाला बनाना है”। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस नाले को जोड़ने की बात हो रही है, वह नाला तो दस-बारह साल पहले ही बन चुका है और बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया था। इंदिरा चौक से गांधी चौक तक का जो भव्य नाला बनाने का सपना कलेक्टर मुकेश शुक्ला के समय दिखाया गया था, उसमें शहर के सैकड़ों पेड़ काट दिए गए थे, लाखों- रुपए खर्च हुए, पर नाला पूरा नहीं हुआ। अब अचानक होश आया है कि पुरानी नाली में ही  नाला जोड़ दो, नई वाली को फिर छोड़ दो।यह कोई छिपा हुआ भ्रष्टाचार नहीं है। यह बिल्कुल खुला, पारदर्शी भ्रष्टाचार है।जिसे शहडोल नगर पालिका के कांग्रेस अध्यक्ष, भाजपा उपाध्यक्ष और लगभग सभी 40 पार्षद मौन सहमति दे रहे हैं। कोई सवाल नहीं उठाता, कोई जवाब नहीं माँगता। टेंडर पास, कमीशन तय, काम शुरू – और फिर काम अधूरा छोड़ दो। दस साल बाद फिर वही जगह खोदो, फिर कमीशन लो। यह चक्र चलता रहता है।

जवाब किसी के पास नहीं है। क्योंकि जवाब माँगने की हिम्मत किसी पार्षद में नहीं है। न अध्यक्ष बोलते हैं, न उपाध्यक्ष। सबकी जेब गर्म है, सबका मुँह बंद है।शहडोल में विकास की जो आंधी चलाई जा रही है, उसमें सिर्फ़ धूल उड़ रही है – विकास की नहीं, भ्रष्टाचार की। पेड़ कट गए, सड़कें टूट गईं, नाले अधूरे पड़े हैं, और पैसा? पैसा तो हर बार नया-नया आता रहता है। केंद्र से, राज्य से, सांसद-विधायक फंड से – नाम कुछ भी हो, अंत में जाता एक ही जगह है।यह शहर की इकलौती समस्या नहीं है। हर गली, हर मोहल्ले में ऐसी ही कहानियाँ हैं। लेकिन गुरु नानक चौक का यह ताज़ा किस्सा इसलिए ज़्यादा शर्मनाक है क्योंकि यह बिल्कुल सबके सामने हो रहा है। 


वृद्धावस्था पेंशन 600 से बढ़ा कर 1500 की जाए : कैलाश तिवारी

वृद्ध जनों के सशक्तिकरण के लिए भी वृद्धावस्था पेंशन  600 ₹  से  बढ़ा कर 1500 ₹  की जाए : कैलाश 

शहडोल।      वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश तिवारी ने प्रधानमंत्री श्री मोदी जी एवं मुख्यमंत्री   मोहन यादव को पत्र लिखकर मांग की है कि जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी शासित प्रदेश सरकारो  ने तथा अन्य प्रदेश सरकारों ने महिलाओं को सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए लाडली लक्ष्मी बहना , माझी लड़की बहन योजना, लाडो लक्ष्मी योजना, मइया सम्मान योजना, बंगारू थल्ली योजना, मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना जैसी योजनाएं चल रही हैं और उनको इसका व्यापक लाभ भी मिल रहा है इस प्रकार की योजनाएं पूरे भारतवर्ष में वृद्धजनों के लिए भी चलाई जाएं। भारतवर्ष में कुल आबादी का लगभग 15 करोड़ की संख्या वृद्धि जनों की है। जो कि देश की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है। इतनी बड़ी आबादी को इस अवस्था में बेसहारा छोड़ना उचित नहीं है।वृद्धावस्था ऐसी अवस्था होती है जहां पर केवल ₹600 से गुजारा नहीं होता है। पूरे देश में वृद्धावस्था पेंशन₹600 से बढ़कर  न्यूनतम ₹2000 किया जाना, आज की सामाजिक परिस्थितियों में अनिवार्य हो चुका है। पेंशन में वृद्धि से वृद्ध जन भी सम्मानपूर्वक समाज में रह सकेंगे ।₹600 में जीवन यापन का कार्य किया जाना किसी भी स्थिति में संभव नहीं है।

केंद्र में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से सामाजिक दायित्व का भली भांति निर्वहन किया जा रहा है। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में भी शीघ्र ही कोई निर्णय लेकर देश के एक बड़े वर्ग की समस्या को दूर करें।

शनिवार, 20 सितंबर 2025

वोट चोरी और अंतरराष्ट्रीय नीतियों पर सवाल;1,00,000 डॉलर का शुल्क, प्रधानमंत्री मोदी कमजोर"

   


"  कमजोर"प्रधानमंत्री मोदी ;अमेरिका में एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने के फैसले 

 एच-1बी वीजा शुल्क विवाद: अमेरिका में एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने के फैसले को भारतीय आईटी उद्योग के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को "कमजोर" बताकर राजनीतिक हमला बोला है। यह नीति न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि वैश्विक आईटी क्षेत्र में भारतीय पेशेवरों की स्थिति को भी कमजोर कर सकती है।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का फैसला: 39 साल पुराने 100 रुपये रिश्वत मामले में बिल सहायक को बरी किया जाना न केवल न्यायिक प्रक्रिया की लंबी अवधि को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रश्न उठाता है कि छोटे-मोटे मामलों में दशकों तक न्याय क्यों लटकता है। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में ईमानदारी की उम्मीद जगाता है, लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे तंत्रों के दौर में भ्रष्टाचार की जटिलता पर भी सवाल उठाता है।

'आप' का निर्वाचन आयोग पर आरोप: आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनावों में 'वोट चोरी' के आरोपऔर निर्वाचन आयोग पर जानकारी छिपाने का दावा लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है। राहुल गांधी के समर्थन से यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है, जिससे मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर बहस छिड़ सकती है।

 


सोमवार, 6 जनवरी 2025

छत्तीसगढ़: नक्सलियों द्वारा आईईडी से वाहन उड़ाए , 8 जवान शहीद/ रुपया गिरकर 85.83 प्रति डॉलर //

 बीजापुर:


पुलिस ने बताया कि सोमवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों द्वारा एक आईईडी से वाहन उड़ाए जाने के बाद जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के आठ जवान और एक नागरिक चालक की मौत हो गई।पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने बताया कि यह घटना कुटरू पुलिस थाने के अंबेली गांव के पास हुई, जब सुरक्षाकर्मी नक्सल विरोधी अभियान के बाद अपने स्कॉर्पियो वाहन में वापस लौट रहे थे।डीआरजी राज्य पुलिस की एक इकाई है।एक अधिकारी ने बताया कि पिछले दो वर्षों में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाकर्मियों पर यह सबसे बड़ा हमला है।26 अप्रैल, 2023 को पड़ोसी दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षाकर्मियों को ले जा रहे एक काफिले में शामिल एक वाहन को नक्सलियों द्वारा उड़ाए जाने के बाद दस पुलिस कर्मियों और एक नागरिक चालक की मौत हो गई थी।


रुपया चार पैसे गिरकर 85.83 प्रति डॉलर के नए सर्वकालिक निचले स्तर परमुंबई: छह जनवरी (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट और विदेशी कोषों की लगातार निकासी के बीच सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया चार पैसे गिरकर 85.83 (अस्थायी) के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ।विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में उछाल और ‘एचएमपीवी वायरस’ के प्रकोप को लेकर चिंता के चलते सुरक्षित निवेश के रूप में अमेरिकी डॉलर ने अपनी ओर लोगों का ध्यान खींचा।

नई दिल्ली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसीने नई दिल्ली  स्थित अपने कार्यालय परिसर में 'व्यक्तियों की गरिमा और स्वतंत्रतामैनुअल स्कैवेंजरों के अधिकारपर हाइब्रिड मोड में खुली चर्चा का आयोजन किया। इस चर्चा की अध्यक्षता राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वीरामसुब्रमण्यन ने की। आयोग की सदस्य श्रीमती विजया भारती सयानी और न्यायमूर्ति (डॉबिद्युत रंजन सारंगीमहासचिव श्री भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर  उपस्थिति रहें।


अध्यक्ष ने कहा कि मैनुअल स्कैवेंजिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसे कानूनी रूप से निपटाया जा रहा है,इस काम को प्रबंधित किया जा रहा है और इसे बंद कराने के लिए न्यायिक रूप से निगरानी की जा रही है हालांकियह चिंताजनक है कि सीवेज और खतरनाक कचरे की मैनुअल सफाई को बंद किये जाने के कानूनी प्रावधानों के बावजूद अभी भी सफाई कर्मचारियों की मौतें हो रही हैं। चर्चा में निकले कुछ सुझाव इस प्रकार हैं;

प्रभावी कल्याण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए बेहतर प्रतिनिधित्व और जमीनी स्तर पर निगरानी की आवश्यकता;

पुनर्वास कार्यक्रमों और न्यूनतम मजदूरी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सर्वेक्षण आयोजित करना;

2013 अधिनियम में सफाई कर्मचारियों और मैनुअल स्कैवेंजरों के बीच अंतर आवश्यक है;

स्थायी आजीविका के लिए महिलाओं के नेतृत्व वाले एसएचजीको सशक्त बनाने के लिए सफाई के मशीनीकरण और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना;

एसबीएम और नमस्ते योजनाओं के तहत मैनुअल स्कैवेंजिंग डेटा और सीवर मृत्यु रिपोर्टिंगबजट विश्लेषण और जागरूकता अभियानों में पारदर्शिता की आवश्यकता है;

मैनुअल स्कैवेंजिंग और सीवर सफाई में शामिल लोगों के लिए क्षमता निर्माण प्रशिक्षण;

 खतरनाक अपशिष्ट सफाई के लिए तकनीकी नवाचार लाने वालों को वित्तीय सहायता देना;

डी-स्लेजिंग बाजार का पैनल बनाना और इसके संचालन को विनियमित करना;

सुरक्षा गियर उपलब्ध कराना और जागरूकता कार्यशालाओं का संचालन करना;

स्वास्थ्य बीमाशिक्षाआदि के लिए डेटाबेस बनाने के लिए हाथ से मैला ढोने में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने के लिए निगरानी तंत्र की आवश्यकता;

आयोगकानूनी और नीतिगत प्रावधानों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इन सुझावों पर आगे विचार-विमर्श करेगा तथा खतरनाक और सीवेज अपशिष्ट की मैन्युअल सफाई को प्रभावी रूप से समाप्त करने के साथ-साथ ऐसे कार्यों में शामिल लोगों के उचित पुनर्वास के लिए इनमें मौजूद खामियों को दूर करेगा।

   

शहडोल 6 जनवरी 2025-


संभागीय मुख्यालय शहडोल में 16 जनवरी 2025 को आयेाजित होने वाली रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की तैयारियेां के संबंध में पत्रकार वार्ता का आयोजन इंटरनेशनल सूर्या होटल में किया गया। पत्रकार वार्ता में कलेक्टर ने पत्रकारों को बताया कि 16 जनवरी को रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव  संभागीय मुख्यालय शहडोल के इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी 2025 तक की स्थिति में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हेतु 4471 उद्यमियों द्वारा पंजीयन किया गया है। उन्होंने बताया कि कि शहडोल संभाग के शहडोल जिले में 2076.578 हेक्टयर, अनूपपुर जिले में 2061.823 हेक्टेयर एवं उमरिया में जिले में 2959.315 हेक्टेयर शासकीय भूमि का चिन्हाकन किया गया है। कलेक्टर ने पत्रकारवार्ता में बताया कि शहडोल जिले में वनोपज कोयला, बाक्साइड, ग्रेनाइट की उपलब्धता है इस क्षेत्र में और अधिक विकास होगा। उन्होंने कहा कि उद्योग स्थापित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे ही वही पलायन भी रूकेगा। 

       रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव    संभागीय मुख्यालय शहडोल में 16 जनवरी 2025 को आयेाजित होने वाली रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की तैयारियेां के संबंध में कार्यशाला का आयेाजन किया गया। कार्यशाला को सम्बोंधित करते हुए विधायक जयसिंहनगर श्रीमती मनीषा सिंह ने कहा कि रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के आयोजन से शहडोल संभाग का विकास तेजी से बढ़ेगा तथा युवा स्वंय के रोजगार स्थापित कर अपने पैरो में खड़े होगे व दूसरों को रोजगार प्रदान करेंगे। विधायक ब्यौहारी श्री शरद कोल ने कहा कि शहडोल संभाग में नदियां, पहाड़, जंगल बहुत है यदि इनको दृष्टिगत रखते हुए  हम काम करें तो इससे जीवन सुरक्षित रहेगा और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगाकार्यशाला में कलेक्टर डॉ.केदार सिंह ने कहा कि संभागीय मुख्यालय शहडोल में 16 जनवरी 2025 को आयेाजित होने वाली रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हेतु अधिक से अधिक उद्यमी पंजीयन कराएं और दूसरों उद्यमियों को पंजीयन संबंधी जानकारी दें।

गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

समुद्री आनंद से साराबोर होंगे बिंन्ध्य के लोग..;आईलैंड (व्योहारी) के बाद अमरकंटक में सबसे बड़े रोप-वे पर्यटन में सपनों को साकार होने के लिए खुलेंगे रास्ते....?( त्रिलोकी नाथ)

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 14 दिसंबर को करेंगे सरसी आइलैंड रिसोर्ट का उद्घाटन 



देश की आजादी मिले कई दशक बीत गए थे तो भी कभी विंध्य प्रदेश की राजधानी रही रीवा को छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद नहीं मिला था ; रीवा में रेलवे स्टेशन हुआ और रेल आई..... अब समंदर तो नहीं है इस पहाड़ी क्षेत्र में इसके बावजूद इस क्षेत्र में सी-साइट, समुद्री किनारा का आनंद अगर किसी व्यक्ति के कारण मिलने जा रहा है तो उनका नाम राजेंद्र शुक्ला है जो मध्य प्रदेश के  उपमुख्यमंत्री हैं क्योंकि उन्होंने ही यह सपना देखा था....शहडोल 1 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 14 दिसंबर को पर्यटन विभाग द्वारा नवनिर्मित सरसी आइलैंड रिसॉर्ट का उद्घाटन करेंगे। शहडोल जिले में बाणसागर डैम के बैकवाटर पर निर्मित यह रिसॉर्ट प्रमुख पर्यटन स्थल बांधवगढ़ नेशनल पार्क और मैहर के समीप स्थित है। यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए यह एक अनूठा अनुभव होगा। इको-सर्किट परियोजना के तहत विकसित यह स्थल क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

प्रमुख सचिव, पर्यटन और संस्कृति विभाग एवं प्रबंध संचालक, म.प्र. टूरिज्म बोर्ड  शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि, सरसी आइलैंड रिसॉर्ट में पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। यहां तीन बोट क्लब बनाए गए हैं, जो वाटर स्पोर्ट्स के रोमांचक अनुभव का अवसर देंगे। पर्यटकों के ठहरने के लिए 10 इको हट्स तैयार किए गए हैं, जहां से प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है। खाने-पीने के शौकीनों के लिए एक आकर्षक रेस्टोरेंट की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही, कॉर्पोरेट और अन्य आयोजनों के लिए प्रकृति के बीच एक आधुनिक कॉन्फ्रेंस रूम भी उपलब्ध होगा। पर्यटकों की सेहत और मनोरंजन का भी ध्यान रखते हुए रिसॉर्ट में जिम, लाइब्रेरी और बच्चों के लिए प्ले एरिया बनाए गए हैं। 14 दिसंबर को होने वाले इस भव्य उद्घाटन के साथ शहडोल और इसके आसपास का क्षेत्र देशभर के पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन जाएगा।

वैसे तो पूरा बिंध्य प्रक्षेत्र ही पर्यटन की दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए जो दृष्टि चाहिए वह वर्तमान में सरकार के पास शायद संभव हो सकी है इसीलिए जो क्षेत्र आज वीरान पड़े थे उसमें पर्यटन की संभावना विकसित की जा रही है । निश्चित रूप से यह राज्य सरकार के लिए राजस्व आय का जरिया तो बनेगी किंतु इसका एक वैश्विक नजरिया भी विकसित होगा। इसमें कोई शक नहीं है लेकिन सवाल यह है कि इस दौर में विकसित वैश्विक नजरिया और आदिवासी विशेष क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में चिन्हित क्षेत्र में में रह रहे पिछड़े और पिछड़े भी निवासी जनों के बीच में इसका तालमेल किस प्रकार से होगा। उसे किस प्रकार से सरकार समन्वय कर आम आदिवासी को यह आभास कर सकेगी की आभासी दुनिया में ही सही आदिवासी समुदाय द्वारा अब तक संरक्षित आदिवासी विशेष क्षेत्र शहडोल अथवा सीधी क्षेत्र की विरासत आज कितनी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । इसका लाभ इस क्षेत्र को भी किस प्रकार से मिलेगा, अगर इस सरकार विकसित कर सकेगी तो शायद पर्यटन की अन्य संभावनाओं को विकास का बड़ा केंद्र आदिवासी क्षेत्र को बनाया जा सकता है। व्योहारी क्षेत्र में इस आईलैंड को डेवलप करने की सोच उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के कारण ही संभव हो सकी है।


और ऐसी ही संभावना पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय दलवीर सिंह कि दृष्टिकोण में अमरकंटक में भी चिन्हित की गई थी लेकिन उन्होंने तब बॉक्साइट निकलने वाले उद्योगपति के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस क्षेत्र से की विदाई के वक्त हमसे कहा था कि अगर उद्योगपति अपना इंफ्रास्ट्रक्चर रोप-वे इस क्षेत्र की हित के लिए छोड़ देते हैं तो यह  संभव होता है तो पेंड्रा रोड स्टेशन से लेकर अमरकंटक का सबसे बड़ा रोपवे सेंटर होता। जिसमें पर्यटकों को प्राकृतिक वन क्षेत्र अमरकंटक क्षेत्र में आने जाने का एक बड़ा मार्ग सुलभ होता जो प्रदूषण रहित होता जो पर्यावरण और पारिस्थितिकी  के लिए वरदान होता। और विकास की संभावनाएं अगर इसे सुनिश्चित होती हैं तो यह रोमांच छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के केंद्र में रोपवे के जरिए स्थापित सबसे बड़ा पर्यटन का केंद्र अब तक घोषित हो गया होता।

 किंतु दुर्भाग्य से आदिवासी नेता दलवीर सिंह को उनके आदिवासी समझ के साथ पिछड़ा मान लिया गया... और वक्त गुजर गया। अब वहां तरह-तरह से सड़क 2 लाइन, 4 लाइन अलग-अलग रास्तों में विकसित करके पर्यावरण और परिश्चित की को नष्ट करने के लिए जंगल काटे जा रहे हैं । जो सिर्फ अमीर आदमियों की विलासिता का परिचायक है इसका स्थानीय विकास से कोई संबंध नहीं है और आखिर वन क्षेत्र में ऐसा गैर जरूरी विकास होना क्यों चाहिए..?

और यदि अमीर आदमियों के हित के लिए भी यह हो रहा है तो हम यही चाहते हैं की अमीर आदमियों की विलासिता रोप-वे के जरिए यदि अमरकंटक पहुंचती तो इससे स्थानीय अमरकंटक की प्राकृतिक विरासत को विनाश करने से बचाया जा सकता था। ।


अभी भी संभावना जिंदा इसलिए है क्योंकि बहुत दिनों बाद एक ऐसे उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल को अपने भरोसेमंद नेतृत्व मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव  का विकास पूर्ण कार्यों के लिए आधार मिला हुआ है। राजेंद्र शुक्ला सबसे पहले पर्यावरण मंत्री हुआ करते थे उन्हें पर्यावरण का जो समझ है शायद उसी से आईलैंड का निर्माण भी हुआ है। बहरहाल अब  इस  प्रदेश की सबसे बड़े रूप में सेंटर पेंड्रा रोड से अमरकंटक तक का सपना जिसे कभी दलवीर सिंह ने देखा था पूरा किया जा सकता है.. पूर्व केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह जी एवं पूर्व सांसद श्रीमती राजेश नंदिनी की पुत्री श्रीमती हिमाद्री सिंह दोबारा सांसद बनी हुई है तो इसे अंजाम देने में केंद्र से भी कोई समस्या नहीं आने वाली है.... इस समय जो मां नर्मदा, सोन व जोहिला जैसे नदियों के लिए भी प्रकृति के साथ जीने के आदमियों के समाज का बड़ा उदाहरण बनेगा... व्योहारी क्षेत्र में आईलैंड बनने के बाद जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसका उद्घाटन कर रहे होंगे निश्चित तौर पर हमारे सपनों का संसार पर्यटन की दुनिया में कई रास्ते खुल जाएंगे... इसमें कोई शक नहीं है। देखना होगा कि हम कितनी दूर तक देख पाते हैं।

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मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

एक ईमानदार थे अधिवक्ता राकेश चतुर्वेदी ... (त्रिलोकी नाथ)

     


  डॉ राकेश चतुर्वेदी, एडवोकेट से मेरी मुलाकात मोहन राम मंदिर ट्रस्ट विवाद के मुकदमे के संबंध में स्वर्गीय पंडित मोहन राम पांडे के वंशज स्व. हर प्रसाद जी पांडे ने  1997- 98 में न्यायालय मुकदमा के दौर पर अपने पारिवारिक अधिवक्ता के रूप में मुझे परिचय कराया था। हर प्रसाद जी पांडे, पंडित मोहन राम पांडे के परिवार की ओर से अधिकृत प्रतिनिधि थे जो मोहन मंदिर ट्रस्ट के मुकदमों को देख रहे थे। उस दौर में उनको अक्सर अपने जमुना ,अनूपपुर जिला स्थित आवास से आना जाना पड़ता था। हालांकि डॉक्टर चतुर्वेदी शहडोल राजस्व बार में तब अपने सीनियर इंद्रजीत मिश्र के साथ प्रैक्टिस भी करते थे। राकेश चतुर्वेदी के बड़े भाई साहब प्रो. राजेंद्र प्रसाद चतुर्वेदी शहडोल कॉलेज में प्रोफेसर थे वर्तमान में वह वे अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उनके छोटे भाई इंद्रेश चतुर्वेदी रीवा न्यायालय में अधिवक्ता है. डॉ राकेश धर्मपत्नी अनूपपुर जिले के जमुना में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं। उनके दो पुत्री व एक पुत्र हैं। डॉ राकेश चतुर्वेदी अपने भाइयों के प्रति बहुत समर्पित थे और अपने बड़े भाई प्रोफेसर चतुर्वेदी को आदर्श मानकर उनकी हर बात को धार्मिक आदेश के रूप में देखे थे और उसका पालन करते थे उनका इस परिवारिक समझ व समरसता से भी मैं बहुत प्रभावित था जो आज के दौर में अक्सर कम परिवारों में देखने को मिलता है।

गत शुक्रवार को 59 वर्षीय राकेश बुढ़ार शहडोल मार्ग में सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे उन्हें बचाने के प्रयास में जबलपुर नागपुर हर संभव प्रयास किया गया किंतु गंभीर दुर्घटना के कारण डॉक्टर के दल ने जवाब दे दिया जिस कारण उन्हें रीवा मेडिकल कॉलेज में लाकर इलाज किया जा रहा था ।कल 10 दिसंबर को 10:15 में उन्होंने अंतिम सांस ली उनका अंतिम संस्कार उनके निज निवास गांव गोबरी (अमरपाटन) जिला सतना में किया गया।  

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राकेश चतुर्वेदी के निधन से मुझे एक विश्वसनीय विधिक सलाहकार का साथ छूट जाना का हमेशा कमी बनी रहेगी । उन्होंने शहडोल के मोहन राम मंदिर ट्रस्ट के विवादों को गंभीरता से जान लिया था इस कारण भी कि उनके परिजन पुरानी लंका चित्रकूट से दीक्षित थे। वे स्वयं पुरानी लंका चित्रकूट के पीठाधीश महंत बलराम प्रपन्नाचार्य जी से दीक्षित थे। इसलिए भी वह मोहन राम मंदिर ट्रस्ट के हर विवादों को गंभीरता से समझते थे। अगर मोहन राम मंदिर ट्रस्ट के न्यायालीन  विवादों में अधिवक्ता के रूप में शहडोल के स्व. बैजनाथजी शर्मा एडवोकेट की भूमिका को जब भी याद किया जाएगा डॉक्टर राकेश चतुर्वेदी के बिना वह हमेशा अधूरा रहेगा। क्योंकि पूरी पृष्ठभूमि में राकेश चतुर्वेदी ने हर जानकारी को समझने में हमें मदद की थी। मैं व्यक्तिगत तौर पर तुलनात्मक रूप में डॉक्टर राकेश चतुर्वेदी को हमेशा मंदिर विवाद की निर्णायक भूमिका में उनके निर्णय के साथ खड़ा रहा। 

उनके रोज (जमुना) अनूपपुर  में आने-जाने के कारण हर प्रसाद पांडे जी की सलाह पर तब मोहन राम मंदिर के अंदर पीछे में दो कमरे में उनके अस्थाई आवास भी बनाया। जहां उनका पूरा फर्नीचर और विधिक फाइलें रहा करती थीं ।जब भी कभी वह रुक जाते थे हमारी वहीं पर विस्तार से चर्चा होती थी। हर प्रसाद पांडे जी के सलाह पर वे मंदिर प्रांगण में अपना अस्थाई किराए का आवास बना लिए थे। उससे हर प्रसाद पांडे जी को भी बहुत मदद मिलती थी। आज भी उनका बहुत सारा पलंग फर्नीचर और फाइलें वहीं पर हैं क्योंकि समय-काल बदलने के बाद 2008 में पुरानी लंका चित्रकूट के पावर ऑफ अटॉर्नी लवकुश शास्त्री से मतातंर होने के बाद उन्होंने मंदिर प्रांगण में आना-जाना लगभग बंद कर दिया... किंतु उनका पूरा आवासीय सामान अन्य फाइलें मंदिर परिसर में ही रखा रह गया जो आज भी वहां पर रखा हुआ है.. कितना लवकुश शास्त्री ने गायब कर दिया है यह तो जब कभी मंदिर ट्रस्ट का प्रभार अगर स्वतंत्र कमेटी ले पाती है उसे स्पष्ट होगा ... बहरहाल आज यह विषय वस्तु नहीं है। 


आज का दिन डॉ राकेश चतुर्वेदी के न होने से उनकी स्मृतियों में उनके सहज व सरल स्वभाव के साथ एक ईमानदारी पूर्ण तरीके से वकालत कैसे की जाती है उसको याद करने का है। ऐसे  कम अधिवक्ता होंगे जिन्होंने नैतिकता को प्राथमिकता का तकाजा देकर अधिवक्ता के अपने पेसे को जीने का प्रयास किया है। उनके आदर्श में जिला न्यायालय में वर्तमान में नोटरी के पद पर पदस्थ अनिल मिश्रा कि वह हमेशा चर्चा करते थे। दरअसल राकेश चतुर्वेदी मूल रूप से अधिवक्ता के पेसे की बजाय शिक्षाविद के रूप में अपने को स्थापित करना चाहते थे ।उन्होंने "बैगा आदिवासी जनजाति" से आदेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी। उन्हें अक्सर सुना गया कि वह अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के परीक्षा कॉपियों को जांच भी करते थे। जिसमें उन्हें पारिश्रमिक मिल जाता था। उनकी सहजता और सरलता का यह प्रमाण था की शहडोल स्थित शिवम कॉलोनी के पास उनकी व उनके परिवार की करीब 45 डिसमिल जमीन में अतिक्रमणकारियों / भू माफिया ने अपनी निगाहें गड़ा दी थी। हम लोगों ने बड़ी मुश्किल से काफी जमीन पर उनका कब्जा कराया था। वह जमीन सुरक्षित कराई थी। तब भी भू माफियाओं से उनका अनबन चलता रहता था। वह न्यायालय प्रक्रिया पर बहुत विश्वास रखते थे‌ वह उसी से हर लड़ाई को जीतना चाहते थे। यह दुर्भाग्य है कि हमारी न्याय प्रक्रिया बहुत दूषित होने के साथ बेहद धीमी गति से चलने वाली एक प्रक्रिया है जिसके कारण न्याय नहीं हो पता है।


 उनकी सहजता और सरलता इस प्रकार की थी कि वह इस पर विश्वास रखते थे कि अधिवक्ता को फील्ड में जाकर के वकालत नहीं करना चाहिए उसका कार्य क्षेत्र न्यायालय का क्षेत्र के सीमा में ही सुनिश्चित होना चाहिए। ताकि लोकतांत्रिक तरीके से नई प्रक्रिया को अपनाया जा सके और ऐसा उन्होंने अपने जीवन में किया भी। यह अलग बात है कि इस कारण व्यक्तिगत तौर पर उनकी जमीन पर उन्हें भारी मुश्किल से कब्जा मिल पाया।

किंतु जहां भी उन्हें संशय होता था वह अपने बुद्धि की बजाय अपने सीनियर्स से उसे समझाना चाहते थे। मुझे याद है की एक मामले में हम सीनियर एडवोकेट खूबचंद्र जी अग्रवाल के पास गए हुए थे और राकेश चतुर्वेदी से उन्होंने पूछा कि यह प्रकरण एक-पक्षी कैसे हो गया.. बात के दौरान उसमें अधिवक्ता की लापरवाही या क्लाइंट को लेकर उसकी नाराजगी प्रदर्शित हो रही थी. तब खूब चंद्र जी अग्रवाल ने कहा कि किसी भी हालत में क्लाइंट कैसा भी हो और उसे कितनी भी नाराजगी हो अपने क्लाइंट के प्रति वफादार होना चाहिए और एक पक्षीय कार्यवाही अगर अधिवक्ता के अभाव में होती है तो यह बेहद दुखद है... डॉक्टर राकेश चतुर्वेदी ने मुझे इस बारे में करीब एक घंटा विस्तार से चर्चा किया और अधिवक्ता पेसे में उनकी बात को गांठ बांध ली थी उनकी इस सहजता और सरलता से में हमेशा उनसे प्रभावित रहता था। 


उनके ना रहने से मुझे एक विश्वसनीय मित्र, ईमानदार अधिवक्ता का अभाव हमेशा होता रहेगा। हम लगभग 28 साल साथ-साथ जीवन यात्रा में उनके साथ रहे। मेडिकल कॉलेज में हमारी भाभी यानी उनकी धर्मपत्नी ने मुझे बताया की जमुना से निकलने ते वक्त उन्होंने कहा था की मोटरसाइकिल पर ना जाएं.. क्योंकि गाड़ी बहुत तेज चलती है और वह रो पड़ी थीं.. सच में वह उनकी आत्मा की आवाज थी की कुछ अनहोनी होने वाली है.. उन्होंने अर्धांगिनी होने के नाते चेतावनी भी दी थी किंतु डॉ राकेश चतुर्वेदी की जीवन यात्रा यही तक सुनिश्चित थी.. इसलिए वह शहडोल की ओर चल पड़े थे और दुर्भाग्य से हेलमेट भी नहीं लगाया था जबकि ड्राइवर मिश्रा जी हेलमेट लगाए हुए थे। शायद इसीलिए उन्हें रफ्तार का आभास नहीं था... कहते हैं रास्ते में कोई बैल आ गया था और यह दुर्घटना हो गई. मिश्रा जी का सर बच गया क्योंकि उन्होंने हेलमेट लगाया था पीछे बैठने के कारण राकेश चतुर्वेदी इस दुर्घटना की गंभीरता से सर पर ब्लड क्लॉटिंग के कारण इतने गंभीर रूप से घायल हुए यह उनके जीवन की अंतिम यात्रा साबित हुई।

 यह अलग बात है कि हम भी उनसे कई बार काहे की जब शहडोल में जमीन है तो एक कमरा बनाकर यही रहिए किंतु उन्होंने अपने आजीविका की परिस्थितियों के चलते इस जीवन संघर्ष में यह युद्ध हार गए।

 डॉ राकेश चतुर्वेदी की निधन से शहडोल जिला अधिवक्ता संघ राजस्व बार एसोसिएशन सोहागपुर और अनूपपुर बार एसोसिएशन में शोक की लहर फैल गई।

 हमारी भी परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह जहां भी रहे उन्हें शांति प्रदान हो ईश्वर उनके भाइयों एवं परिवार को इस वज्रघात को सहन करने की क्षमता प्रदान करें यही हमारी श्रद्धांजलि है। ओम शांति:

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