शहडोल में
महामहिम श्रीमती मुर्मू
के मंच से मुमकिन है पेसा एक्ट...
पेसा अधिनियम, जिसे आज लागू करने की चर्चा जोरों पर है उस पर आईएएस विचारक ने अपने नजरिए से विस्तार पर बात कही है
शहडोल में आज संभव है कि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू की उपस्थिति में पेसा एक्ट को शहडोल आदिवासी क्षेत्र में भी लागू करने की बात हो हालांकि 1996 में इस अधिनियम में अनुसूचित होने के बाद शहडोल क्षेत्र में भी इसे लागू कर दिया गया था किंतु आंशिक रूप से प्रभावी होने के कारण इसके परिणाम दिख नहीं रहे थे प्राकृतिक संसाधनों और जनजाति विकास के संरक्षण के दृष्टिकोण से इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है संक्षेप में हम आइए जाने कि यह प्रावधान क्या शक्तियां विकेंद्रित करता है
इस अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जिन्हें अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे।पाँचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधानों की श्रृंखला प्रदान करती है।
दस राज्यों- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है जो इन राज्यों में से प्रत्येक में कई ज़िलों (आंशिक या पूरी तरह से) को कवर करते हैं।
उद्देश्य:
अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना।
यह कानूनी रूप से आदिवासी समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार को स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है। यह प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।
ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंज़ूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
पेसा अधिनियम में ग्राम सभा का महत्त्व:
लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण: पेसा ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की मंज़ूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है। इस प्रबंधन में निम्नलिखित शामिल है:
जल, जंगल, ज़मीन पर संसाधन।लघु वनोत्पाद।
मानव संसाधन: प्रक्रियाएँ और कार्मिक जो नीतियों को लागू करते हैं।
स्थानीय बाज़ारों का प्रबंधन।
भूमि अलगाव को रोकना।
नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना।
पहचान का संरक्षण: ग्राम सभाओं की शक्तियों में सांस्कृतिक पहचान और परंपरा का रखरखाव, आदिवासियों को प्रभावित करने वाली योजनाओं पर नियंत्रण एवं एक गाँव के क्षेत्र के भीतर प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण शामिल है।
संघर्षों का समाधान: इस प्रकार पेसा अधिनियम ग्राम सभाओं को बाहरी या आंतरिक संघर्षों के खिलाफ अपने अधिकारों तथा परिवेश के सुरक्षा तंत्र को बनाए रखने में सक्षम बनाता है।
पब्लिक वॉचडॉग: ग्राम सभा को अपने गाँव की सीमा के भीतर नशीले पदार्थों के निर्माण, परिवहन, बिक्री और खपत की निगरानी तथा निषेध करने की शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
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