गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

क्या यह भी नई धोखाधड़ी है..? (त्रिलोकीनाथ)

 वादा.., तेरा वादा....

आधुनिक युवा भारत के

युवकों के साथ

 नई धोखाधड़ी क्यों...? 

अगर यह भी जुमला है तो..

................................(त्रिलोकीनाथ).... 

चलो यह बात तो खत्म है कि नरेंद्र मोदी और मोदी वाली भाजपा ने जो वादा किया उसको निभाया नहीं, यह एक अलग बात है कि उनके वादा निभाने का विकास दर 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रखकर जो नया इवेंट क्रिएट किया गया है उसमें अब कहा गया है कि अगले 18 महीने में 10 लाख लोगों को नौकरियां दी जाएंगी।


जनसत्ता जैसे विश्वसनीय अखबार में आज इसे लीड न्यूज़ में कवर किया है।

 यानी 2014 में जो वादा किया गया 2 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष नौकरी का या रोजगार का उस हिसाब से 8 वर्ष में 16 करोड़ लोगों को रोजगार या नौकरी मिल जाना चाहिए किंतु हुआ उल्टा, करोड़ों भारतीय युवा 2014 के जन्मे नव धनाढ्य पूंजी पतियों के या तो गुलाम हो गए या फिर व्यक्तिगत रूप से कर्ज में लग गए और सूदखोरी के चक्कर में अपना जीवन नर्क कर लिए हैं इन 8 सालों में रोजगार के चक्कर में ।

अब जब आने वाले समय में लोकसभा का चुनाव है तो सत्ता में पुनः  कब्जा करने के लिए तो एक नया झुनझुना का आगाज किया गया है। जिसमें दावा किया गया है कि 18 महीने में 10 लाख लोगों को रोजगार दिया जाएगा। यानी रोजगार देने के नये वादा के हिसाब से विकास दर आंकड़ों में देखें तो0.00625 का अब तय किया गया है।

 इस तरह 56 इंच का सीना दिखाने वाली, मोदी-मोदी चिल्लाने वाली मोदी सरकार का वादा के हिसाब से बहुत ही निम्न स्तर और घटिया प्रदर्शन रहा है। इसके लिए वर्तमान में युवा भारत के युवकों से या तो इसके लिए उन्हें सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने का माफी मांग कर अपने कृत्यो  के लिये प्रायश्चित करना चाहिए और नए सिरे से नए वादे इमानदारी से करना चाहिए अन्यथा आने वाले गुजरात चुनाव और भविष्य के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह युवकों के लिए और उन पर आशान्वित सभी भारतीय परिवारों के लिए सिर्फ एक नई धोखाधड़ी के अलावा कुछ नहीं है ।

इस तरह इस देश में जुमला-बाजी, भ्रष्टाचार ,अनैतिकता और बेईमानी की राजनीति को ईमानदारी का नकाब पहना कर अथवा अयोध्या में दीपावली मना कर शिवाय वास्तविक मुद्दों को भटकाने के अलावा मोदी की भाजपा सरकार और उसके समर्थक राष्ट्रीय सेवक संघ की नई पीढ़ी देश के साथ कुछ अच्छा नहीं कर रही है... ऐसा माना जाना चाहिए आखिर कब तक धर्म के नाम पर आम भारतीय नागरिकों को ठगा जाता रहेगा अगर तौर तरीका यही है तो यह बड़ा प्रश्न है...?



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