गुरुवार, 21 जुलाई 2022

महामहिम आदिवासी क्या बनेगी भारत भाग्य विधाता....?

फर्श से अर्श तक आदिवासी आशा की किरण







                                           ( त्रिलोकीनाथ ) कनिष्ठ सहायक से लेकर भाजपा के जमीनी नेतृत्व से राष्ट्पति पद की होने तक का सफर आदिवासी नेता द्रौपदी  मुर्मू के लिए बेहद लंबा और मुश्किल रहा है. महामहिम पद पर स्थापित हो चुकी द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले  में हुआ था. बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं वे गरीबी और अन्य समस्याओं से जूुझते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया और ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था.










कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय संसद महामारी कोविड और कैंसर का खतरे मे.....: उपराष्ट्रपति

  मुंबई उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  राम राज्य में और अमृतकाल के दौर में गुजर रही भारतीय लोकतंत्र का सं...