शनिवार, 2 अप्रैल 2022

नागरिकों को दिया स्वच्छता का कड़वा घूंट

हो रही तारीफ....

कलेक्टर बंदना वैद्य

 की स्वच्छता की संवेदना का संदेश गांधी चौराहे में जब फैल गया....

(त्रिलोकीनाथ)

आज हिंदू नव वर्ष के पहले दिन की करीब 8:15 बजे रात जब कलेक्टर श्रीमती बंदना वैद्य गांधी चौक होकर निकल रही थी। शायद उन्होंने रास्ते पर देखा होगा की अति उत्साही कुछ हिंदू संगठनों ने जगह जगह अपने कार्यक्रमों के जरिए भंडारे का अथवा पीने की पानी की पॉलीथिन का भरपूर उपयोग किया था और इसके बाद पूरा कचरा सड़कों पर पड़ा हुआ था। कलेक्टर श्रीमती वैद्य को यह रास नहीं आया। पिछले लंबे समय से वह शहडोल विशेष की स्वच्छता के प्रति बहुत सतर्क हैं और अपने समर्पण के चलते उन्होंने नागरिकों संगठनों द्वारा उनके गैर जिम्मेदारी व्यवहार के चलते सड़कों पर पॉलीथिन का कचरा अथवा भंडारे में उपयुक्त किए गए कागजों के कचरे को लेकर वे सख्त हो गई। और गांधी चौक पर रुक कर वहां पर उपस्थित चेटीचंड के संगठन को कड़वी घूट दे रही, की स्वच्छता शहर के लिए और आम नागरिक के लिए क्यों आवश्यक है। उनके इस रवैया को लेकर उनके जाने के बाद लोगों में अच्छा संदेश गया है और इस बात की तारीफ भी हो रही है की कलेक्टर बंदना वैद्य अपनी कार्य और दायित्व के प्रति जो संवेदना प्रकट कर रही हैं उससे नागरिक वर्ग में स्वच्छता के प्रति एक लहर सी पैदा होगी।

 निश्चित तौर पर नवरात्रि के दौरान जगह जगह उन पर आस्था रखने वाले लोग भंडारों का उपयोग करेंगे किंतु भंडारे के बाद वहां पर फेंके जाने वाले कचरा के रूप में गिलास पॉलिथीन व अन्य उपयोग की गई सामग्री के संग्रहण के लिए भी जिम्मेवारी आस्थावान ग्रुपों के ऊपर नैतिक रूप से आ जाती है कि आखिर शहर अगर आपका है तो आप इसे सुंदर क्यों नहीं बनाएंगे ......?

क्या सिर्फ प्रशासन स्वच्छता को बनाए रखने के लिए मजबूर है आखिर यह जीवन शैली का सहज हिस्सा क्यों नहीं होना चाहिए कि जब हम कचरा कर रहे हैं तो उसके लिए एक व्यक्ति नियुक्त किया जाए जो उस कचरे को तत्काल साफ भी करें ताकि अन्य नागरिक  इससे सीख ले की स्वच्छता प्रति व्यक्ति की नैतिक दायित्व है ।

उम्मीद करना चाहिए की कलेक्टर श्रीमती बंदना वैद्य के स्वच्छता के प्रति संवेदना के संदेश को जिले के नागरिक गण गंभीरता से लेंगे और अपने तमाम कार्यक्रमों में खास तौर से सार्वजनिक स्थलों पर उपयोग करने वाले कार्यक्रमों से होने वाले कचरे के प्रति विशेष रूप से व्यक्तियों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी ताकि वह कचड़ों का संग्रहण स्वयं करें और यदि रास्ते पर जुलूस में एक तो कचरा फैलाया ना जाए अगर कचरा फैलाया जाना जरूरी है तो उस रैली में वही तरीके से ऐसे लोग नियुक्त हो जो सबसे पीछे हो और फैलाए गए कचरे का संग्रहण भी करते चलें। हालांकि कुछ नागरिक ऐसा करते देखे गए इससे शहडोल नगर का जो स्वरूप बनेगा और जो नागरिक जिम्मेदारी का संदेश जाएगा उससे अन्य शहरों में भी इसका अच्छा खासा स्वच्छता को लेकर एक बड़ा रूप देखने को मिलेगा बहरहाल शहडोल कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य की राह चलती इस सतर्कता के चौराहे में तारीफ हो रही है देखना यह होगा आम नागरिक क्या आप कलेक्टर की संवेदना से अपनी स्वच्छता की संवेदना के प्रति गंभीर आने वाले दिनों में दिखेंगे...?



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